कर्ण पिशाचिनी साधना एक अत्यंत रहस्यमय और शक्तिशाली तंत्र साधना है। यह साधना व्यक्ति को अलौकिक शक्तियाँ और विशेषकर भविष्यवाणी करने की शक्ति प्रदान करती है। यह साधना गुप्त ज्ञान प्राप्त करने, शत्रुओं पर विजय पाने और जीवन के विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में सहायक मानी जाती है।
साधना विधि
कर्ण पिशाचिनी साधना को सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- स्थान चयन: साधना को शांत और एकांत स्थान पर करना चाहिए। यह स्थान किसी जंगल, नदी किनारे या अपने घर का पूजा कक्ष हो सकता है।
- समय चयन: इस साधना के लिए अमावस्या, पूर्णिमा या मंगलवार की रात्रि को सर्वोत्तम माना गया है। विशेषकर रात्रि के 12 बजे से 3 बजे तक का समय उत्तम है।
- वस्त्र और आसन: साधक को काले या लाल वस्त्र धारण करने चाहिए और काले रंग के आसन पर बैठना चाहिए।
- पूजन सामग्री: साधना के लिए काले तिल, काला तिलक, काला धागा, दीपक, धूप, और अगरबत्ती की आवश्यकता होगी।
- आरंभिक पूजन: भगवान गणेश की पूजा करें और अपने गुरु का आह्वान करें। तत्पश्चात, कर्ण पिशाचिनी देवी का ध्यान करें।
मंत्र
कर्ण पिशाचिनी साधना के मंत्र का जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
|| ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कर्ण पिशाचिनेय स्वाहा ||
जाप की विधि
- मंत्र जाप: मंत्र का जाप रुद्राक्ष या काले चंदन की माला से करें।
- जाप की संख्या: प्रतिदिन 108 माला का जाप करें।
- अवधि: इस मंत्र का जाप लगातार 21 दिनों तक करें। यदि आवश्यक हो तो साधना की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
कर्ण पिशाचिनी साधना के लाभ
- भविष्यवाणी: व्यक्ति भविष्य की घटनाओं को जानने में सक्षम होता है।
- दृष्टि: अदृश्य वस्तुओं और आत्माओं को देखने की शक्ति प्राप्त होती है।
- शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- गुप्त ज्ञान: गुप्त और रहस्यमय ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- सुरक्षा: आत्मा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
- स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- धन: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- सफलता: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
- प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
- सुख: पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- तंत्र सिद्धि: तंत्र विद्या में सिद्धि प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक विकास: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक कार्यों में उन्नति होती है।
- शक्ति: अद्भुत और अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
- संकल्प सिद्धि: इच्छाओं और संकल्पों की सिद्धि होती है।
- बुद्धि: बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है।
- संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- रोगमुक्ति: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
साधना के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- नियम और अनुशासन: साधना के दौरान पूर्ण नियम और अनुशासन का पालन करें।
- शुद्धता: शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- भयमुक्त: किसी भी प्रकार के भय से मुक्त रहें।
- समर्पण: साधना के प्रति पूर्ण समर्पण और विश्वास रखें।
- आहार: साधना के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें।
- निरंतरता: साधना को निरंतर और नियमित रूप से करें, कोई दिन न छोड़ें।
कर्ण पिशाचिनी साधना – सामान्य प्रश्न
1. कर्ण पिशाचिनी साधना क्या है?
कर्ण पिशाचिनी साधना एक रहस्यमय और शक्तिशाली तंत्र साधना है जो व्यक्ति को अलौकिक शक्तियाँ, विशेष रूप से भविष्यवाणी करने की शक्ति प्रदान करती है। यह साधना गुप्त ज्ञान प्राप्त करने, शत्रुओं पर विजय पाने और जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में सहायक मानी जाती है।
2. कर्ण पिशाचिनी साधना करने के लिए कौन सा समय उपयुक्त है?
इस साधना के लिए अमावस्या, पूर्णिमा या मंगलवार की रात्रि सर्वोत्तम मानी जाती है। विशेषकर रात्रि के 12 बजे से 3 बजे तक का समय इस साधना के लिए उत्तम है।
3. साधना करने के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
साधना के दौरान काले या लाल वस्त्र धारण करना चाहिए और काले रंग के आसन पर बैठना चाहिए।
4. कर्ण पिशाचिनी साधना में कौन-कौन सी पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है?
साधना के लिए काले तिल, काला तिलक, काला धागा, दीपक, धूप, और अगरबत्ती की आवश्यकता होगी।
5. कर्ण पिशाचिनी साधना का मंत्र क्या है?
साधना का मुख्य मंत्र निम्नलिखित है:
|| ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कर्ण पिशाचिनेय स्वाहा ||
6. मंत्र का जाप कैसे और कितनी बार करना चाहिए?
मंत्र का जाप रुद्राक्ष या काले चंदन की माला से करें। प्रतिदिन 108 माला का जाप करें और इसे लगातार 21 दिनों तक करें। यदि आवश्यक हो तो साधना की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
7. क्या कर्ण पिशाचिनी साधना करते समय किसी विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
साधना के दौरान साधक को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
8. क्या साधना के दौरान किसी विशेष प्रकार का आहार लेना चाहिए?
साधना के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें और मांस, मदिरा, और तामसिक खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
9. साधना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- पूर्ण नियम और अनुशासन का पालन करें।
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
- किसी भी प्रकार के भय से मुक्त रहें।
- साधना के प्रति पूर्ण समर्पण और विश्वास रखें।
- साधना को निरंतर और नियमित रूप से करें, कोई दिन न छोड़ें।
10. क्या साधना के दौरान कोई दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
साधना के दौरान यदि विधि और नियमों का पालन नहीं किया गया तो कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, साधना करते समय सभी निर्देशों का पालन करें और किसी अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन लें।
11. क्या कर्ण पिशाचिनी साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
हाँ, कर्ण पिशाचिनी साधना एक अत्यंत शक्तिशाली तंत्र साधना है, इसलिए इसे करते समय गुरु का मार्गदर्शन लेना अत्यंत आवश्यक है।
12. कर्ण पिशाचिनी साधना से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हो सकते हैं?
- भविष्यवाणी करने की शक्ति
- अदृश्य वस्तुओं और आत्माओं को देखने की शक्ति
- शत्रुओं पर विजय
- गुप्त ज्ञान की प्राप्ति
- आत्मा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
- आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति
- मानसिक शांति और स्थिरता
- सभी कार्यों में सफलता
- समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा
- पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में सुख और समृद्धि
- तंत्र विद्या में सिद्धि
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति
- धार्मिक कार्यों में उन्नति
- अद्भुत और अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति
- इच्छाओं और संकल्पों की सिद्धि
- बुद्धि और ज्ञान का विकास
- संतान सुख की प्राप्ति
- सभी मनोकामनाएँ पूर्ण
- विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति
13. कर्ण पिशाचिनी साधना में कितने दिन तक साधना करनी चाहिए?
साधना को लगातार 21 दिनों तक करना चाहिए। यदि साधक को आवश्यक हो तो साधना की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
14. क्या साधना के दौरान अन्य पूजा-पाठ किया जा सकता है?
साधना के दौरान साधक अन्य पूजा-पाठ कर सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि कर्ण पिशाचिनी साधना के समय किसी और देवी-देवता का आह्वान न करें।
15. साधना के बाद साधक को क्या करना चाहिए?
साधना के बाद साधक को भगवान गणेश और अपने गुरु का धन्यवाद करना चाहिए और साधना समाप्ति की विधि का पालन करना चाहिए।
16. साधना के दौरान किसी प्रकार की विपरीत परिस्थिति का सामना कैसे करें?
साधना के दौरान यदि किसी विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़े तो धैर्य बनाए रखें और अपने गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें। साधना के नियमों का पालन करते हुए शांति और संयम बनाए रखें।
17. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार के यंत्र या ताबीज का उपयोग किया जा सकता है?
साधना के दौरान यदि गुरु ने किसी यंत्र या ताबीज का उपयोग करने का निर्देश दिया हो तो उसका पालन करें। अन्यथा, साधना को सरल और शुद्ध रूप से करें।
18. क्या साधना के दौरान परिवार के अन्य सदस्यों को सूचित करना चाहिए?
साधना के दौरान परिवार के अन्य सदस्यों को सूचित करना चाहिए ताकि वे साधना के समय आपकी सहायता कर सकें और किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो।
19. साधना के दौरान क्या साधक को मौन रहना चाहिए?
साधना के दौरान साधक को मौन रहना चाहिए और ध्यान और मंत्र जाप में पूरी तरह से लीन रहना चाहिए।
20. क्या साधना के बाद कोई विशेष पूजन किया जाता है?
साधना के बाद साधक को भगवान गणेश और अपने गुरु का धन्यवाद करना चाहिए और साधना समाप्ति की विधि का पालन करना चाहिए। साथ ही, साधना के दौरान किए गए सभी संकल्पों की सिद्धि के लिए विशेष पूजा और हवन कर सकते हैं।
अंत में
कर्ण पिशाचिनी साधना एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय साधना है। इसे करने से साधक को अद्भुत शक्तियाँ प्राप्त होती हैं और वह जीवन में विभिन्न समस्याओं का समाधान पा सकता है। इस साधना को सही विधि और नियमों के साथ करने पर निश्चित रूप से सफलता मिलती है। साधना के दौरान धैर्य, विश्वास और समर्पण का विशेष महत्व है।
यह साधना ग्रहस्थ व्यक्तियों के लिये नही हैं