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Karni Mata Vrat – Power of 7 Fridays for Blessings

शुक्रवार के दिन करणी माता का व्रत करने से मिट जाएंगी सभी परेशानियां

करणी माता को शक्ति स्वरूपा माना जाता है। उनकी कृपा से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। करणी माता का व्रत करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भक्तों की आस्था के अनुसार, माता की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।


7 शुक्रवार करणी माता व्रत की विशेषता

1. संकटों से मुक्ति – माता की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
2. आर्थिक समृद्धि – धन संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं और समृद्धि आती है।
3. वैवाहिक जीवन सुखद – दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
4. संतान सुख – संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
5. शत्रुओं से रक्षा – शत्रु नष्ट होते हैं और विजय प्राप्त होती है।
6. स्वास्थ्य लाभ – मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
7. आध्यात्मिक उन्नति – साधना और भक्ति में मन लगता है।


करणी माता व्रत करने के अद्भुत लाभ

1. धन प्राप्ति का स्रोत खुलता है

व्रत करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन आगमन के नए स्रोत बनते हैं।

2. जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं

अगर कोई समस्या लंबे समय से बनी हुई है, तो यह व्रत करने से समाधान मिल सकता है।

3. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है

शक्ति देवी की कृपा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मनोबल मजबूत होता है।

4. ग्रह दोषों का निवारण होता है

शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

5. दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है

अगर दांपत्य जीवन में समस्याएं चल रही हैं, तो करणी माता व्रत करने से रिश्ते में सुधार आता है।

6. मुकदमों में जीत मिलती है

कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है और न्याय मिलता है।

7. भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है

माता की कृपा से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।

8. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है

परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और घर में शांति रहती है।

9. व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है

व्यवसाय में वृद्धि होती है और नौकरी में प्रमोशन के अवसर मिलते हैं।

10. नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है

माता के आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।

11. विद्यार्थियों को सफलता मिलती है

शिक्षा में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं और पढ़ाई में रुचि बढ़ती है।

12. घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है

माता की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

13. रोग और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं

माता के आशीर्वाद से स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार आता है।

14. आध्यात्मिक उन्नति होती है

व्रत करने से साधना में सफलता मिलती है और भक्ति में मन लगता है।

15. अविवाहितों के लिए विवाह के योग बनते हैं

अगर विवाह में देरी हो रही हो, तो व्रत करने से विवाह के योग बनते हैं।


करणी माता व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  2. माता की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  3. पूरे दिन सात्विक आहार ग्रहण करें और व्रत का पालन करें।
  4. माता को गुड़, चने और नारियल अर्पित करें।
  5. माता के मंत्रों का जाप करें और भजन-कीर्तन करें।
  6. जरूरतमंदों को अन्नदान करें और पुण्य लाभ प्राप्त करें।
  7. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।

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करणी माता व्रत का शुभ मुहूर्त

व्रत करने के लिए सबसे उत्तम समय शुक्रवार का दिन होता है। व्रत का संकल्प ब्रह्ममुहूर्त में लेना चाहिए। पूजा का शुभ समय सुबह 6 से 8 बजे तक और शाम को 5 से 7 बजे तक उत्तम होता है।

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करणी माता की संपूर्ण कथा

करणी माता का जन्म राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में हुआ था। वे चारण कुल में जन्मी थीं और अलौकिक शक्तियों से संपन्न थीं। करणी माता को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है।

कहा जाता है कि एक बार करणी माता के एक भक्त का पुत्र पानी में डूबकर मर गया। भक्त दुखी होकर माता के पास गया और अपनी पीड़ा सुनाई। करणी माता ने अपनी दिव्य शक्ति से यमराज से उस बालक को वापस लाने का आग्रह किया। पहले तो यमराज ने मना कर दिया, लेकिन माता की सिद्धियों के प्रभाव से उन्होंने बालक को जीवनदान दे दिया। तभी से करणी माता को अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ और वे लोगों के दुखों का निवारण करने लगीं।

करणी माता का मुख्य मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और हजारों चूहों की उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के चूहों को माता का रूप मानकर पूजा जाता है। कहा जाता है कि ये चूहे उन्हीं भक्तों की आत्माएं हैं, जिन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। जो भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


करणी माता व्रत की विधि

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. माता की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें
  3. केसर, चावल, गुड़, नारियल और पुष्प चढ़ाएं
  4. करणी माता के मंत्रों का जाप करें
  5. माता की आरती करें और भोग अर्पित करें
  6. गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन कराएं
  7. रात्रि में माता का भजन-कीर्तन करें
  8. अगले दिन व्रत का पारण करें

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. करणी माता व्रत कितने दिन तक करना चाहिए

कम से कम 7 शुक्रवार तक इस व्रत को करना चाहिए।

2. क्या व्रत में फलाहार कर सकते हैं

हाँ, फलाहार कर सकते हैं, लेकिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।

3. व्रत के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए

नकारात्मक विचार, क्रोध और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।

4. क्या करणी माता का व्रत हर कोई कर सकता है

हाँ, स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।

5. क्या व्रत के दिन किसी को दान देना चाहिए

हाँ, गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से माता की कृपा प्राप्त होती है।

6. क्या व्रत में पानी पी सकते हैं

हाँ, पानी पी सकते हैं, लेकिन दिनभर संयम बनाए रखना चाहिए।

7. क्या करणी माता की कथा सुननी आवश्यक है

हाँ, कथा सुनने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

8. व्रत का समापन कैसे करें

अगले दिन सात्विक भोजन करके और माता की आराधना करके व्रत समाप्त करें।


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