Lord Narasimha – Divine incarnation of half human and half lion

भगवान नरसिंह – आधे मानव और आधे सिंह का दिव्य अवतार

भगवान नरसिंह की हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के चौथे अवतार के रूप में पूजा उपासना की जाती है। वे आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे। नरसिंह अवतार को धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए असुर हिरण्यकश्यप का संहार किया था। इस कथा का महत्व भारतीय पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान रखता है और भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

नरसिंह अवतार की कथा (Story of Narasimha Avatar)

हिरण्यकश्यप एक दुष्ट राजा था जिसने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकेगा, न कोई पशु; न दिन में, न रात में; न घर के अंदर, न बाहर; न आकाश में, न पाताल में; न किसी हथियार से। इस वरदान के कारण हिरण्यकश्यप अहंकारी हो गया और उसने स्वयं को ईश्वर मान लिया।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति से रोकने का कई बार प्रयास किया, परंतु असफल रहा। अंततः हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण किया। वे आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप को संध्या के समय अपने महल के द्वार पर अपनी जांघों पर रखकर अपने नुकीले नाखूनों से मार डाला। इस प्रकार भगवान नरसिंह ने ब्रह्मा के वरदान को भी सत्य रखा और धर्म की स्थापना की।

अवतार का महत्व (Importance of Narasimha Avatar)

  1. धर्म की स्थापना:
    • भगवान नरसिंह ने अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना की, जिससे समाज में न्याय और सत्य की विजय हुई।
  2. भक्तों की रक्षा:
    • भगवान नरसिंह के अवतार ने यह संदेश दिया कि भगवान अपने सच्चे भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में आ सकते हैं।
  3. अहंकार का नाश:
    • हिरण्यकश्यप के अहंकार का नाश करके भगवान नरसिंह ने यह सिद्ध किया कि अहंकार का अंत निश्चित है।

नरसिंह जयंती

नरसिंह जयंती भगवान नरसिंह के अवतरण का पर्व है, जो वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। भगवान नरसिंह की आराधना करने से भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

Mantra- ‘ॐ क्ष्रौं नरसिंहाय नमः’ “OM KSHROUM NARSINHAAY NAMAHA”

Kamakhya sadhana shivir

भगवान नरसिंह की पूजा विधि (Method of worship of Lord Narasimha)

  1. स्वच्छता:
    • पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  2. आसन:
    • स्वयं स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा के लिए आसन पर बैठें।
  3. धूप-दीप:
    • धूप और दीप जलाएं और भगवान नरसिंह की आरती करें।
  4. मंत्र जाप:
    • “ऊं उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलंतं सर्वतोमुखम्। नरसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥” मंत्र का जाप करें।
  5. प्रसाद:
    • भगवान नरसिंह को फल, मिठाई और पंचामृत का प्रसाद अर्पित करें।

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भगवान नरसिंह का अवतार हमें यह सिखाता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं। यह अवतार अधर्म पर धर्म की विजय, अहंकार के नाश और सच्ची भक्ति की महत्ता को दर्शाता है। भगवान नरसिंह की आराधना से भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, और जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है।

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