गुरूवार, नवम्बर 7, 2024

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Madhurashtakam Path to Inner Peace & Prosperity

मधुराष्टकम्: श्रीकृष्ण की मधुर भक्ति का दिव्य स्तोत्र

मधुराष्टकम् पाठ भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति का एक अनुपम स्तोत्र है, जिसे श्रीवल्लभाचार्य जी ने रचा। यह स्तोत्र श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप की मधुरता का गुणगान करता है, जिसमें उनके अद्वितीय सौंदर्य और दिव्य लीलाओं का वर्णन किया गया है। ‘मधुर’ शब्द से ही इसका नाम मधुराष्टकम् पड़ा, जो भक्त को भगवान की ओर आकर्षित करता है।

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मधुराष्टकम् का संपूर्ण स्तोत्र एवं उसका अर्थ

मधुराष्टकम् पाठ में श्रीकृष्ण की वाणी, वेश, चाल, मुस्कान, और हर लीला को मधुर कहा गया है। यह स्तोत्र प्रेमी भक्तों को श्रीकृष्ण के प्रति गहन भक्ति और प्रेम में डूबा देता है।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥१॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥२॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥३॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥४॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥५॥

गुंफं मधुरं मलं मधुरं
यमुनामधुरं वीचिर्मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥६॥

गोप्यो मधुरा लीलामधुरा
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥७॥

गोपा मधुरा गावा मधुरा
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥८॥

मधुराष्टकम् का अर्थ

  1. श्रीकृष्ण के होंठ, मुख, नेत्र, हंसी, हृदय और उनकी चाल सभी मधुर हैं। वास्तव में उनके सम्पूर्ण स्वरूप में मधुरता का वास है।
  2. उनकी वाणी, चरित्र, वस्त्र, उनकी चाल और सभी गतिविधियाँ मधुर हैं। श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण अस्तित्व मधुरता से परिपूर्ण है।
  3. उनकी बांसुरी मधुर है, उनका पवित्र धूल मधुर है, उनके हाथ, पैर, नृत्य और सखा भाव भी मधुर हैं।
  4. उनका गीत, पीने का ढंग, भोजन, सोना, रूप, और उनके तिलक सभी मधुर हैं।
  5. उनके कान, तैरने का ढंग, सबको आकर्षित करना और उनकी रति (प्रेम) सभी मधुर हैं।
  6. उनकी फूलों की माला, उनके बाल, यमुना नदी, उसकी लहरें, जल और कमल सभी मधुर हैं।
  7. गोपियाँ मधुर हैं, उनकी लीलाएँ मधुर हैं, उनके मिलने का तरीका और मुक्ति देने का भाव भी मधुर है।
  8. गोप बालक, गायें, उनकी छड़ी, उनकी सृष्टि, उनके द्वारा फलित कार्य और उनकी समस्त लीला भी मधुर हैं।

सार: भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण स्वरूप और हर क्रिया मधुरता से परिपूर्ण है, जिससे उनके प्रति गहन भक्ति और प्रेम उत्पन्न होता है।

मधुराष्टकम् पाठ के लाभ

मधुराष्टकम् का नित्य पाठ करने से मन की शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इसके नियमित अभ्यास से जीवन में सकारात्मकता और आनंद की अनुभूति होती है।

मधुराष्टकम् पाठ की विधि

  1. दिन और अवधि: इस पाठ को विशेष रूप से 41 दिनों तक प्रतिदिन करना लाभकारी होता है।
  2. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त में यह पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
  3. नियम और विधि: पाठ से पहले स्नान और ध्यान करें। श्रीकृष्ण के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।

मधुराष्टकम् पाठ के नियम

  1. पूजा गुप्त रखें: साधना और पाठ को किसी के सामने प्रकट न करें, गुप्त भक्ति में अधिक फल मिलता है।
  2. भक्ति का अनुशासन: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ ही पाठ का आरंभ करें।

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मधुराष्टकम् पाठ के दौरान सावधानियां

  1. शुद्धता: मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. संयम: साधना के समय अन्य विचारों से मन को दूर रखें और केवल भगवान का ध्यान करें।

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पाठ के दौरान पुछे जाने वाले सामान्य प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: क्या मधुराष्टकम् का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?
    उत्तर: इसे प्रतिदिन, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए।
  2. प्रश्न: क्या इस पाठ के लिए किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता है?
    उत्तर: दीपक और श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने किया जाए तो श्रेष्ठ माना गया है।
  3. प्रश्न: क्या इस पाठ को मन में दोहराया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, मन में दोहराना भी लाभकारी होता है।
  4. प्रश्न: क्या मधुराष्टकम् पाठ से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, यह पाठ मानसिक शांति और आनंद प्रदान करता है।
  5. प्रश्न: क्या इस पाठ के दौरान मन में संदेह आना गलत है?
    उत्तर: संदेह नहीं होना चाहिए, पूर्ण श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  6. प्रश्न: क्या मधुराष्टकम् पाठ केवल भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए है?
    उत्तर: नहीं, इसे कोई भी व्यक्ति शांति और आध्यात्मिकता के लिए कर सकता है।
  7. प्रश्न: क्या पाठ के दौरान श्रीकृष्ण की छवि का ध्यान करना आवश्यक है?
    उत्तर: हाँ, श्रीकृष्ण का ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  8. प्रश्न: क्या पाठ की अवधि को कम किया जा सकता है?
    उत्तर: नियमितता बनाए रखना अधिक लाभकारी है, अवधि कम न करें।
  9. प्रश्न: क्या इसे परिवार के साथ मिलकर किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, पूरे परिवार के साथ करने पर भी लाभ मिलता है।
  10. प्रश्न: क्या स्तोत्र का पाठ मन्नतों के लिए किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इस पाठ से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
  11. प्रश्न: क्या पाठ की समाप्ति पर किसी विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, श्रीकृष्ण को धन्यवाद देते हुए उनकी स्तुति करें।
  12. प्रश्न: क्या मधुराष्टकम् का पाठ जीवन में प्रेम और सुख की प्राप्ति में सहायक है?
    उत्तर: निस्संदेह, यह पाठ जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि लाता है।

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