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Mahabhaya Yakshini Mantra for Peace & Fear

महाभया यक्षिणी मंत्र – मनोबल व सुरक्षा के लिये

Mahabhaya Yakshini Mantra, एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो साधक को भयों से मुक्ति दिलाने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र मुख्यतः आत्मरक्षा और विभिन्न प्रकार के भय से छुटकारा पाने के लिए प्रयुक्त होता है।

मंत्र: ॥ॐ ह्रीं महाभये यक्षिणे हुं फट्ट स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है, “हे महाभया यक्षिणी, मुझे सभी प्रकार के भय से मुक्त करो।”

महाभया यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. दुर्घटना का भय: यह मंत्र दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. मृत्यु का भय: साधक को अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करता है।
  3. शत्रु का भय: शत्रुओं द्वारा किए गए प्रयासों से रक्षा करता है।
  4. बीमारी का भय: गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
  5. तंत्र बाधा का भय: तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
  6. भूतप्रेत का भय: भूतप्रेत, जादू टोने और दुष्ट आत्माओं से मुक्ति दिलाता है।
  7. चोरी का भय: घर और संपत्ति की चोरी से रक्षा करता है।
  8. परिवार का भय: परिवार के सदस्यों के प्रति किसी भी प्रकार के भय को दूर करता है।
  9. संतान का भय: संतान से संबंधित किसी भी प्रकार की चिंता और भय को समाप्त करता है।
  10. अंधकार का भय: अंधकार और अनजाने भय से मुक्ति दिलाता है।
  11. विपत्ति का भय: अनजान विपत्तियों से बचाने में सहायक है।
  12. आर्थिक भय: आर्थिक नुकसान और गरीबी के भय से मुक्ति दिलाता है।
  13. लोकलाज का भय: समाज में अपमान या बदनामी के भय से बचाता है।
  14. विपरीत परिस्थितियों का भय: जीवन में आने वाली किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देता है।
  15. अज्ञात भय: किसी भी प्रकार के अज्ञात और अकारण भय से मुक्ति दिलाता है।

महाभया यक्षिणी मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहुर्थ: इस मंत्र का जप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, या शुक्रवार को। मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होती है।

मंत्र जप सामग्री: जप के लिए सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए और एक स्वच्छ आसन पर बैठना चाहिए। जप के समय स्फटिक की माला का उपयोग किया जाता है।

मंत्र जप संख्या: मंत्र का जप रोज 11 माला यानी 1188 मंत्र करना चाहिए।

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महाभया यक्षिणी मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: मंत्र जप के लिए साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. वस्त्र का रंग: मंत्र जप के समय नीले और काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
  4. खान-पान: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन: जप के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

महाभया यक्षिणी मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. जप की शुद्धता: मंत्र का उच्चारण शुद्धता से करना चाहिए।
  2. स्थान की पवित्रता: जप का स्थान पवित्र और स्वच्छ होना चाहिए।
  3. समय की पाबंदी: जप के लिए निर्धारित समय का पालन करना चाहिए और रोज एक ही समय पर जप करें।
  4. विधिवत समापन: जप के अंत में विधिवत आरती और मंत्र का समापन करना चाहिए।

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महाभया यक्षिणी मंत्र: प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: महाभया यक्षिणी मंत्र क्या है?
उत्तर: महाभया यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक मंत्र है जो साधक को विभिन्न प्रकार के भय से मुक्ति दिलाने के लिए जपा जाता है।

प्रश्न 2: महाभया यक्षिणी मंत्र के प्रमुख लाभ क्या हैं?
उत्तर: इस मंत्र के लाभों में दुर्घटना का भय, मृत्यु का भय, शत्रु का भय, बीमारी का भय, तंत्र बाधा का भय, भूत-प्रेत का भय, चोरी का भय, परिवार का भय, और संतान का भय आदि से मुक्ति शामिल है।

प्रश्न 3: मंत्र जप के लिए कौन सा दिन और समय सर्वोत्तम है?
उत्तर: इस मंत्र का जप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, या शुक्रवार।

प्रश्न 4: मंत्र जप के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: मंत्र जप के लिए सफेद वस्त्र, स्वच्छ आसन, और स्फटिक की माला का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 5: मंत्र जप की संख्या क्या होनी चाहिए?
उत्तर: रोजाना 11 माला यानी 1188 मंत्र का जप करना चाहिए।

प्रश्न 6: मंत्र जप के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: साधक को 20 वर्ष से अधिक उम्र का होना चाहिए, नीले और काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए, धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए, और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप की सावधानियाँ क्या हैं?
उत्तर: मंत्र जप के दौरान स्थान की पवित्रता, मन की एकाग्रता, और उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 8: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?
उत्तर: 20 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 9: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जप के बाद विधिवत आरती और समापन करना चाहिए ताकि साधना पूरी तरह से सफल हो सके।

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