महाकाल भैरव स्तोत्र – असीम शक्ति और सुरक्षा का मार्ग
महाकाल भैरव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव के स्वरूप भगवान भैरव की कृपा इलती है। यह स्तोत्र भैरव की कृपा प्राप्त करने और साधक को भौतिक व आध्यात्मिक लाभ देने के लिए अत्यंत प्रभावी है। महाकाल भैरव स्तोत्र शत्रुओं से मुक्ति, तंत्र-मंत्र दोषों से सुरक्षा, और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रमुख रूप से पाठ किया जाता है। इसका नियमित जाप जीवन में शांति, सुरक्षा और सफलता लाता है।
संपूर्ण महाकाल भैरव स्तोत्र व उसका अर्थ
ॐ भ्रं महाकाल भैरवाय नम:
श्लोक 1
जलद् पटलनीलं दीप्यमानोग्रकेशं, त्रिशिख डमरूहस्तं चन्द्रलेखावतंसं।
विमल वृष निरुढं चित्रशार्दूलवास:, विजयमनिशमीडे विक्रमोद्दण्डचण्डम्।।
भावार्थ:
जो महाकाल भैरव बादलों के समान नीले और अग्नि के समान तेजस्वी हैं। उनके मस्तक पर चंद्र की सुंदर रेखा है और हाथ में डमरू है। वे वृषभ (बैल) पर आरूढ़ हैं और चित्रित शार्दूल की खाल पहनते हैं। उनकी शक्ति और विजय का मैं हमेशा स्तुति करता हूं, जो संसार को नियंत्रित करने वाले हैं।
श्लोक 2
सबल बल विघातं क्षेपाळैक पालम्, बिकट कटि कराळं ह्यट्टहासं विशाळम्।
करगतकरबालं नागयज्ञोपवीतं, भज जन शिवरूपं भैरवं भूतनाथम्।।
भावार्थ:
जो भैरव अपने बल से अन्य सभी शक्तियों का नाश करते हैं। उनकी कटि पर विकट और कराल रूप है, और उनका हट्टहास संसार को भयभीत करता है। उनके गले में नाग का यज्ञोपवीत है। मैं उस भैरव को नमन करता हूं, जो शिव का स्वरूप और भूतों के नाथ हैं।
महाकाल भैरव स्तोत्र पाठ
श्लोक 1
यं यं यं यक्ष रूपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं।
सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
श्लोक 2
रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम्।
घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम्।।
कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं।
दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
श्लोक 3
लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं।
धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम्।।
रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम्।
नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
श्लोक 4
वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम्।
खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्।।
चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम्।
मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
श्लोक 5
खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालांधकारम्।
क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन नेत्र संदिप्यमानम्।।
हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहनगर्जित भूमिकम्पं।
बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।
अंतिम श्लोक
ओम तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पांत दहन प्रभो!
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातु महर्षि!!
भैरव स्तोत्र का अर्थ
भावार्थ:
जो भैरव यक्ष रूप में दिक्पालों के समान विशाल हैं और जिनके आने से पृथ्वी कांप उठती है। उनके मस्तक पर चंद्रमा की छवि और जटाजूट की शोभा है। उनका विकट और लंबा शरीर है और उनके विकृत नाखून और मुख डरावने हैं। वे पापों का नाश करने वाले हैं, उन्हें सदा प्रणाम करें।
भावार्थ:
जो भैरव रक्तवर्ण के हैं, जिनकी दंष्ट्राएँ तीक्ष्ण हैं, और उनकी विशाल काया है। उनका घोर घोष और गरजता हुआ स्वर डरावना है। वे काल के रूप में प्रकट होते हैं, जिनकी ज्वलंत देह कामनाओं को जलाती है। उनकी दिव्य देह को नमन करें।
भावार्थ:
जो भैरव लम्बे दांत और दीर्घ जीभ वाले हैं, उनका कराल रूप अत्यंत भयानक है। उनके धूम्र वर्ण का विकृत मुख और भीम रूप है। उनके गले में खोपड़ी की माला है और रक्त से सना मुख और ताम्रवर्ण नेत्र हैं। वे नग्न रूप में प्रकट होते हैं, उन्हें सदा प्रणाम करें।
भावार्थ:
जो भैरव वायु की गति से चलते हैं और प्रलय के समय ब्रह्मांड के रक्षक होते हैं। उनके हाथ में तलवार है, और वे त्रिभुवन के निवासी हैं। वे सूर्य के समान चमकते हैं और भीम रूप धारण करते हैं। भूतों की सेना को अपने संकेत से हिलाते हैं। उनके मायावी रूप को नमन करें।
भावार्थ:
जो भैरव काल का अंधकार मिटाने वाले हैं और विष तथा अमृत दोनों के स्वामी हैं। उनके नेत्रों से आग निकलती है और उनका गर्जन पृथ्वी को हिला देता है। उनके बाल रूप को नमन करें, जो बालक की तरह भी खेलते हैं।
भावार्थ:
हे तीक्ष्ण दंष्ट्र और महाकाय भैरव, जो कल्पांत के समय सब कुछ जलाते हैं, आपको प्रणाम! महर्षियों से हमें आपके दर्शन की अनुज्ञा प्राप्त हो।
महाकाल भैरव स्तोत्र के लाभ
- शत्रुओं से मुक्ति।
- तंत्र-मंत्र दोषों से रक्षा।
- बुरी नजर से बचाव।
- मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति।
- कर्ज से छुटकारा।
- व्यापार में उन्नति।
- परिवार में सुख-शांति।
- अदृश्य बाधाओं से सुरक्षा।
- कानूनी मामलों में सफलता।
- आध्यात्मिक प्रगति।
- आत्मबल में वृद्धि।
- संकटों से सुरक्षा।
- जीवन में समृद्धि।
- साधना में सफलता।
- भय से मुक्ति।
- दुर्घटनाओं से बचाव।
- मानसिक शांति और स्थिरता की प्राप्ति।
महाकाल भैरव स्तोत्र का पाठ किसको करना चाहिए
यह स्तोत्र उन व्यक्तियों के लिए है, जो शत्रु बाधा, तंत्र-मंत्र दोष, मानसिक तनाव, और जीवन में असफलताओं से परेशान हैं। साधक को एकाग्रता और श्रद्धा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी है जो तंत्र-मंत्र के दोषों से ग्रसित हैं या शत्रुओं से परेशान हैं।
महाकाल भैरव स्तोत्र विधि
इस स्तोत्र का पाठ किसी भी मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करें। यह पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए। जप का सबसे उचित समय ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि 10 बजे के बाद का होता है। साधक को एक निश्चित समय पर ध्यान लगाकर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और प्रतिदिन नियमपूर्वक इसका पालन करना चाहिए।
महाकाल भैरव स्तोत्र के नियम
- साधना को गुप्त रखें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मांसाहार, मद्यपान, और धूम्रपान से दूर रहें।
- लाल वस्त्र धारण करें और तामसिक आचरण से बचें।
- नीले और काले वस्त्र न पहनें।
- शुद्ध स्थान और सामग्री का प्रयोग करें।
- नियमित रूप से एक ही समय पर पाठ करें।
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महाकाल भैरव स्तोत्र पाठ की सावधानियाँ
- पूर्ण शुद्धता बनाए रखें।
- मानसिक और शारीरिक स्थिरता बनाए रखें।
- तामसिक विचारों और क्रोध से बचें।
- साधना के दौरान अशुद्ध स्थानों पर पाठ न करें।
- मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से करें।
- स्तोत्र को कभी भी बुरे उद्देश्यों के लिए न प्रयोग करें।
महाकाल भैरव स्तोत्र प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: महाकाल भैरव स्तोत्र किसके लिए उपयोगी है?
उत्तर: यह स्तोत्र शत्रु बाधा, तंत्र-मंत्र दोष, और जीवन में सफलता के लिए उपयोगी है।
प्रश्न 2: महाकाल भैरव स्तोत्र का पाठ किस दिन से प्रारंभ करना चाहिए?
उत्तर: पाठ मंगलवार या शनिवार से प्रारंभ करना चाहिए।
प्रश्न 3: कितने दिन तक महाकाल भैरव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए?
उत्तर: 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 4: क्या विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: पाठ के दौरान लाल वस्त्र धारण करना चाहिए।
प्रश्न 5: क्या मांसाहार और मद्यपान से बचना आवश्यक है?
उत्तर: हां, मांसाहार, मद्यपान, और धूम्रपान से दूर रहना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या साधना गुप्त रखनी चाहिए?
उत्तर: हां, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।
प्रश्न 7: महाकाल भैरव स्तोत्र के मुख्य लाभ क्या हैं?
उत्तर: शत्रु बाधा से मुक्ति, तंत्र दोष निवारण, और कर्ज से छुटकारा इसके मुख्य लाभ हैं।
प्रश्न 8: क्या यह स्तोत्र व्यापार में सफलता दिलाता है?
उत्तर: हां, यह स्तोत्र व्यापार में उन्नति और सफलता दिलाता है।
प्रश्न 9: क्या इस स्तोत्र से मानसिक शांति मिलती है?
उत्तर: हां, स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
प्रश्न 10: क्या साधक को पाठ के दौरान किसी विशेष सामग्री का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर: हां, शुद्ध स्थान और सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 11: क्या तामसिक विचारों से बचना आवश्यक है?
उत्तर: हां, तामसिक विचार और क्रोध से बचना चाहिए।
प्रश्न 12: क्या यह स्तोत्र कानूनी मामलों में मदद करता है?
उत्तर: हां, यह स्तोत्र कानूनी मामलों में सफलता दिलाने में सहायक है।