Buy now

spot_img
spot_img

Mahamaya Bhog Yakshini Mantra -Material Prosperity & Success

महामाया भोग यक्षिणी साधना विधि: जीवन में समृद्धि और सफलता का रहस्य

महामाया भोग यक्षिणी मंत्र प्राकृत ग्रंथों में वर्णित एक अद्वितीय साधना मंत्र है। यह मंत्र भौतिक सुख, सांसारिक समृद्धि, आर्थिक उन्नति और कार्यक्षेत्र में सफलता प्रदान करने में समर्थ है। महामाया देवी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह मंत्र साधक के जीवन में सुख-शांति और ऐश्वर्य लाने का मार्ग प्रशस्त करता है।


मंत्र विनियोग

संस्कृत में किसी भी मंत्र के जाप से पहले उसका विनियोग किया जाता है। विनियोग से यह निर्धारित होता है कि मंत्र का उपयोग किस उद्देश्य से और किन देवता, ऋषि, और छंद की स्तुति के लिए किया जा रहा है। यहाँ महामाया भोग यक्षिणी मंत्र का विनियोग प्रस्तुत है:

विनियोग:

ॐ अस्य श्री महामाया भोगदायिनी यक्षिणी मंत्रस्य। ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। श्री महामाया भोगदायिनी देवता। हुं बीजम्। स्वाहा शक्तिः। मम सर्वकामना सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।


विनियोग का अर्थ:

  1. अस्य श्री महामाया भोगदायिनी यक्षिणी मंत्रस्य: यह महामाया भोगदायिनी यक्षिणी के मंत्र का विवरण है।
  2. ब्रह्मा ऋषिः: इस मंत्र के ऋषि ब्रह्मा जी हैं, जिन्होंने इस ज्ञान का सृजन किया।
  3. अनुष्टुप् छन्दः: मंत्र का छंद अनुष्टुप् है, जिसका अर्थ है कि यह मंत्र 32 अक्षरों का है।
  4. श्री महामाया भोगदायिनी देवता: इस मंत्र में श्री महामाया भोगदायिनी देवी मुख्य देवता हैं।
  5. हुं बीजम्: “हुं” इस मंत्र का बीज मंत्र है, जो शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है।
  6. स्वाहा शक्तिः: “स्वाहा” मंत्र की शक्ति है, जो पूर्णता और समर्पण का प्रतीक है।
  7. मम सर्वकामना सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः: यह मंत्र मेरे सभी कार्यों और इच्छाओं की पूर्ति के लिए जप किया जा रहा है।

विनियोग के बाद जाप करने का तरीका:

  • शुद्ध आसन और शांत स्थान पर बैठकर, मंत्र का विनियोग करके ध्यानपूर्वक 108 बार (एक माला) या अधिक जाप करें।
  • जाप के दौरान देवी महामाया की कृपा और उनकी उपस्थिति का ध्यान करें।

इस प्रक्रिया से मंत्र का प्रभाव और अधिक प्रबल होता है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः दिशाबंधनाय नमः।”

अर्थ:

  1. : यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है, जो हर दिशा में व्याप्त है।
  2. ह्रां, ह्रीं, ह्रूं, ह्रैं, ह्रौं, ह्रः: ये बीज मंत्र हैं जो विभिन्न दिशाओं और उनकी ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • ह्रां: पूर्व दिशा के लिए।
    • ह्रीं: पश्चिम दिशा के लिए।
    • ह्रूं: उत्तर दिशा के लिए।
    • ह्रैं: दक्षिण दिशा के लिए।
    • ह्रौं: आकाश या ऊर्ध्व दिशा के लिए।
    • ह्रः: पाताल या अधो दिशा के लिए।
  3. दिशाबंधनाय नमः: सभी दिशाओं को बांधने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह समर्पण और नमस्कार का भाव है।

महत्व:

दिग्बंधन का उपयोग किसी विशेष साधना, पूजा, या यज्ञ के समय किया जाता है। यह मंत्र सभी दिशाओं से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर रखता है और एक संरक्षित क्षेत्र (यज्ञ-मंडल) बनाता है। यह साधक को एकाग्रता और सुरक्षा प्रदान करता है।

विधि:

  1. स्थान शुद्धि: पूजा स्थान को शुद्ध जल और गंगा जल से शुद्ध करें।
  2. दिग्बंधन प्रक्रिया:
    • पूर्व दिशा से शुरू करके, एक-एक दिशा की ओर ध्यान करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।
    • ध्यान में हर दिशा की ऊर्जा का अनुभव करें और उसके देवता का स्मरण करें।
    • दिशाओं का क्रम इस प्रकार रखें:
      • पूर्व → पश्चिम → उत्तर → दक्षिण → ईशान (उत्तर-पूर्व) → आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) → नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) → वायव्य (उत्तर-पश्चिम) → ऊर्ध्व (आकाश) → अधो (पाताल)।

लाभ:

  1. सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों और बाहरी बाधाओं से सुरक्षा।
  2. एकाग्रता: साधना और पूजा के दौरान मन को शांत और स्थिर रखने में सहायता।
  3. ऊर्जा संतुलन: सभी दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
  4. सफलता: साधना और अनुष्ठान की सफलता सुनिश्चित करता है।

महामाया भोग यक्षिणी मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: “ॐ नमो महामाया महाभोगदायिनी हुं स्वाहा”

अर्थ:

  1. : यह परमात्मा का प्रतीक है और दिव्य ऊर्जा का आह्वान करता है। यह सृष्टि, संरक्षण और संहार का प्रतिनिधित्व करता है।
  2. नमो: विनम्रता और समर्पण का भाव, जिसका अर्थ है “मैं नमन करता हूं” या “श्रद्धा से प्रणाम करता हूं।”
  3. महामाया: यहां “महामाया” का अर्थ है महान दिव्य शक्ति, जो सृष्टि की रहस्यमय और असाधारण ऊर्जा का प्रतीक है। यह शक्ति ब्रह्मांड की रचनात्मक और माया (भ्रम) की ऊर्जा को दर्शाती है।
  4. महाभोगदायिनी: इसका अर्थ है “वह जो महान भोग या आनंद प्रदान करती हैं।” यह सुख, समृद्धि, और भौतिक तथा आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी की ओर इशारा करता है।
  5. हुं: यह एक बीज मंत्र है, जो शक्ति और संरक्षण का प्रतीक है। यह नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  6. स्वाहा: यह समर्पण और आहुति का संकेत है। इसका अर्थ है कि आपकी प्रार्थना या ऊर्जा दिव्य शक्ति तक पहुंच चुकी है।

मंत्र का उद्देश्य और उपयोग:

यह मंत्र देवी महामाया की स्तुति करता है, जो भोग यक्षिणी के रूप में जानी जाती हैं। इसका उपयोग भौतिक सुख, समृद्धि, और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। यह मंत्र साधक को न केवल बाहरी सुख प्रदान करता है, बल्कि आंतरिक शांति और दिव्य शक्ति से जोड़ने में भी सहायक होता है।


जप काल में सेवन योग्य पदार्थ

  • दूध और फलों का सेवन करें।
  • सात्विक भोजन अपनाएं।
  • हल्दी व तुलसी का प्रयोग अधिक करें।

महामाया भोग यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
  2. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  3. मानसिक शांति।
  4. परिवार में सुख-शांति।
  5. स्वास्थ्य में सुधार।
  6. जीवन में स्थायित्व।
  7. कर्ज से मुक्ति।
  8. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  9. व्यापार में उन्नति।
  10. आकर्षण शक्ति में वृद्धि।
  11. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति।
  12. शत्रुओं पर विजय।
  13. घर में समृद्धि का वास।
  14. रिश्तों में मधुरता।
  15. आत्मबल में वृद्धि।
  16. दैविक कृपा की प्राप्ति।
  17. भय और चिंता से मुक्ति।
  18. दीर्घायु प्राप्ति।

Panchanguli sadhana shivir


पूजा सामग्री और विधि

  • सामग्री: पुष्प, दीपक, कपूर, धूप, चंदन, तांबे का पात्र, शुद्ध जल।
  • विधि: साफ वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा में बैठें। दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें। मंत्र का जाप करें।

मंत्र जप का दिन, अवधि व मुहूर्त

  • दिन: पूर्णिमा या शुक्रवार।
  • अवधि: 11 दिन तक 20 मिनट प्रतिदिन।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त या सूर्यास्त के समय।

मंत्र जप के नियम

  • 20 वर्ष से अधिक आयु के साधक ही जाप करें।
  • स्त्री और पुरुष दोनों जाप कर सकते हैं।
  • नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

Get mantra diksha


जप में सावधानियां

  • आसन का उपयोग करें।
  • शुद्ध और एकाग्र चित्त से जाप करें।
  • आस-पास का वातावरण स्वच्छ रखें।
  • जाप के दौरान किसी से बात न करें।

Get Mahamaya Bhog Sadhana Articles with Diksha


मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: महामाया भोग यक्षिणी मंत्र क्या है? उत्तर: यह भोग, सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला देवी महामाया का पवित्र मंत्र है।

प्रश्न 2: मंत्र जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ समय कौन सा है? उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त या सूर्यास्त का समय सर्वोत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जाप कर सकती हैं? उत्तर: हां, महिलाएं भी जाप कर सकती हैं।

प्रश्न 4: जाप के दौरान कौन से वस्त्र पहनें? उत्तर: सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।

प्रश्न 5: क्या जाप में विश्राम लिया जा सकता है? उत्तर: हां, लेकिन पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।

प्रश्न 6: मंत्र जाप के लिए किन बातों का ध्यान रखें? उत्तर: शुद्धता और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 7: क्या जाप के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता है? उत्तर: हां, पुष्प, दीपक, और शुद्ध जल आवश्यक हैं।

प्रश्न 8: मंत्र जाप से क्या लाभ मिलते हैं? उत्तर: सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति।

प्रश्न 9: जाप के दौरान क्या न करें? उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार न करें।

प्रश्न 10: जाप के लिए स्थान कैसा होना चाहिए? उत्तर: शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।

प्रश्न 11: जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए? उत्तर: 20 मिनट प्रतिदिन 11 दिन।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जाप से तुरंत लाभ मिलता है? उत्तर: नियमित और श्रद्धापूर्वक जाप से शीघ्र लाभ मिलता है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency