महिषासुर मर्दिनी कवचम्: पूरे शरीर की रक्षा करे
महिषासुर मर्दिनी कवचम् देवी दुर्गा का एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो उन्हें महिषासुर का वध करने वाली शक्ति के रूप में समर्पित है। यह कवचम् माँ दुर्गा के उन रूपों का स्मरण और स्तवन करता है जो भक्तों को हर प्रकार की बाधाओं और विपत्तियों से बचाते हैं। इस कवच का पाठ विशेष रूप से भक्तों द्वारा कठिनाइयों से रक्षा और दुर्जनों पर विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है।
संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ
संस्कृत में महिषासुर मर्दिनी कवचम्:
ॐ अस्य श्री महिषासुर मर्दिनी कवचस्य ब्रह्मा ऋषिः,
अनुष्टुप छन्दः, महिषासुरमर्दिनी देवी देवता,
महिषासुरमर्दिन्याः प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
ध्यानम्-
दुर्गा देवी शिवा या दिग्वस्त्रा सिंहवाहिनी।
शूला-द्यायुध-पाणि चाभयदा भगिन्यात्मिका॥
शिवा श्मशान-वसनान्नरा, मुण्ड-मालिनि।
शरणागत सुराधार, रक्षस्व मां महेश्वरी॥
कवचम्-
सिरो मे शर्वाणि पातु, ललाटं पातु कालिका।
नेत्रे मे त्रिपुरा पातु, कर्णौ चण्डी तु पातु मे॥
घ्राणं पातु महाकाली, वदनं पातु सर्वदा।
जिह्वां ज्वालामुखी पातु, कण्ठं मे शूलधारिणी॥
स्कन्धौ पातु महादेवी, हृदयं ललिता शिवा।
नाभिं पातु जगद्धात्री, कटिं ते कौशिकी तथा॥
ऊरु नखेश्वरी पातु, जानुनी भवभञ्जनी।
जंघे महेश्वरी पातु, पादौ दुर्गा सदावतु॥
महिषासुरमर्दिन्याश्च कवचं शुभदं भवेत्।
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वसिद्धिदमात्मनः॥
विप्रेभ्यश्च तथा दास्यं या पठेत्तु समाहितः।
तस्य वीर्यवती कीर्तिः, सर्वत्र विजयी भवेत्॥
महिषासुर मर्दिनी कवचम् का अर्थ
ध्यान:
- इस ध्यान में देवी दुर्गा का वर्णन किया गया है, जो शूला (त्रिशूल) और अन्य आयुधों से सुसज्जित हैं, सिंह पर आरूढ़ हैं और शरण में आए हुए भक्तों को अभयदान प्रदान करती हैं।
- देवी शिवा को श्मशान में वास करने वाली, मुण्डों की माला धारण करने वाली के रूप में भी वर्णित किया गया है।
कवच:
- सिर की रक्षा: “सिरो मे शर्वाणि पातु” – शर्वाणी देवी (शिव की शक्ति) मेरे सिर की रक्षा करें।
- ललाट की रक्षा: “ललाटं पातु कालिका” – कालिका देवी मेरे ललाट (माथे) की रक्षा करें।
- नेत्रों की रक्षा: “नेत्रे मे त्रिपुरा पातु” – त्रिपुरा देवी मेरे नेत्रों की रक्षा करें।
- कानों की रक्षा: “कर्णौ चण्डी तु पातु मे” – चण्डी देवी मेरे कानों की रक्षा करें।
- घ्राण की रक्षा: “घ्राणं पातु महाकाली” – महाकाली देवी मेरे घ्राण (नाक) की रक्षा करें।
- मुख की रक्षा: “वदनं पातु सर्वदा” – सर्वदा (सर्वकालिक) देवी मेरे मुख की रक्षा करें।
- जिह्वा की रक्षा: “जिह्वां ज्वालामुखी पातु” – ज्वालामुखी देवी मेरी जिह्वा (जीभ) की रक्षा करें।
- कण्ठ की रक्षा: “कण्ठं मे शूलधारिणी” – शूलधारिणी (त्रिशूल धारण करने वाली) देवी मेरे कण्ठ (गले) की रक्षा करें।
- स्कन्धों की रक्षा: “स्कन्धौ पातु महादेवी” – महादेवी (महान देवी) मेरे दोनों कन्धों की रक्षा करें।
- हृदय की रक्षा: “हृदयं ललिता शिवा” – ललिता शिवा (शिव की शक्ति) मेरे हृदय की रक्षा करें।
- नाभि की रक्षा: “नाभिं पातु जगद्धात्री” – जगद्धात्री (संसार को धारण करने वाली) देवी मेरी नाभि की रक्षा करें।
- कटि की रक्षा: “कटिं ते कौशिकी तथा” – कौशिकी देवी मेरी कटि (कमर) की रक्षा करें।
- ऊरुओं की रक्षा: “ऊरु नखेश्वरी पातु” – नखेश्वरी देवी मेरी ऊरुओं (जांघों) की रक्षा करें।
- जानु की रक्षा: “जानुनी भवभञ्जनी” – भवभञ्जनी देवी मेरे जानु (घुटनों) की रक्षा करें।
- जंघाओं की रक्षा: “जंघे महेश्वरी पातु” – महेश्वरी देवी मेरी जंघाओं की रक्षा करें।
- पैरों की रक्षा: “पादौ दुर्गा सदावतु” – दुर्गा देवी मेरे पैरों की सदैव रक्षा करें।
सारांश: यह कवच व्यक्ति के शरीर के हर अंग की रक्षा के लिए विभिन्न देवी रूपों की प्रार्थना करता है। देवी दुर्गा के विविध रूपों का स्मरण और स्तवन करके, भक्त अपनी हर प्रकार की रक्षा और हर संकट से बचाव की कामना करता है।
कवच का फल
- महिषासुर मर्दिनी कवच की नियमित पूजा और पाठ से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है, सभी बाधाएं समाप्त होती हैं, और व्यक्ति की हर दिशा में विजय होती है।
- जो व्यक्ति इस कवच का पाठ करता है, उसकी वीरता और कीर्ति बढ़ती है, और वह सर्वत्र विजयी होता है।
महिषासुर मर्दिनी कवचम् देवी दुर्गा के उन शक्तिशाली रूपों का आह्वान है, जो भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करते हैं और उन्हें जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। इस कवच का पाठ करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी भय, बाधाएं और शत्रुओं का नाश होता है।
कवचम् के लाभ
- सर्वरक्षाकारी प्रभाव: यह कवच व्यक्ति को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और विपत्तियों से बचाता है।
- सभी सिद्धियों की प्राप्ति: इस कवच के नियमित पाठ से व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- सभी कार्यों में सफलता: महिषासुर मर्दिनी कवच का पाठ करने वाला व्यक्ति अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
- शत्रुओं पर विजय: इस कवच के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- भय का नाश: महिषासुर मर्दिनी कवच के नियमित पाठ से हर प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।
- धन की प्राप्ति: इस कवच का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है।
- सुख-शांति: इस कवच के प्रभाव से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
- आरोग्यता: इस कवच का पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से बचा रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह कवच व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
- जीवन में स्थायित्व: इस कवच के नियमित पाठ से जीवन में स्थायित्व आता है।
- मानसिक शांति: महिषासुर मर्दिनी कवच के पाठ से मन शांत रहता है।
- धार्मिक जागरूकता: यह कवच व्यक्ति में धार्मिक जागरूकता बढ़ाता है।
- नवग्रह दोषों का निवारण: इस कवच के प्रभाव से नवग्रह दोषों का निवारण होता है।
- आकस्मिक घटनाओं से सुरक्षा: यह कवच आकस्मिक दुर्घटनाओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
- अदृश्य शक्तियों से रक्षा: यह कवच अदृश्य शक्तियों से भी रक्षा करता है।
महिषासुर मर्दिनी कवचम् की विधि
दिन और अवधि
- दिन: मंगलवार और शुक्रवार विशेष रूप से उपयुक्त माने जाते हैं, हालांकि इसे प्रतिदिन भी किया जा सकता है।
- अवधि: इस कवच का नियमित रूप से 41 दिनों तक पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
- मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक) सबसे उपयुक्त समय माना जाता है, परंतु यदि संभव न हो तो किसी भी शुद्ध समय में इसे किया जा सकता है।
नियम
- पूजा का गुप्त रखाव: इस कवच के पाठ और साधना को गुप्त रखना चाहिए, इसे सार्वजनिक रूप से करने से इसके प्रभाव में कमी हो सकती है।
- शुद्धता का पालन: साधक को तन-मन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शुद्ध वस्त्र पहनकर और शुद्ध स्थान पर बैठकर ही इस कवच का पाठ करें।
- नियमितता: कवच का नियमित पाठ अत्यंत आवश्यक है। इसे नियमित रूप से एक निश्चित समय पर करना चाहिए।
- आहार नियम: साधना के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और मांस, मद्य, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- भक्ति भावना: इस कवच का पाठ अत्यंत भक्ति भाव और श्रद्धा से करना चाहिए।
सावधानियाँ
- अव्यवस्थित मन: इस कवच का पाठ अव्यवस्थित मन से नहीं करना चाहिए। पाठ के समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
- कवच का अनुचित प्रयोग: इस कवच का प्रयोग अनुचित उद्देश्यों के लिए नहीं करना चाहिए।
- साधना का अभिमान: साधक को अपनी साधना का अभिमान नहीं करना चाहिए, इससे साधना में बाधा उत्पन्न होती है।
- अत्यधिक तामसिकता: साधक को अत्यधिक तामसिक वस्तुओं और भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
- साधना की गोपनीयता: साधना के अनुभवों को गोपनीय रखना चाहिए, उन्हें दूसरों के साथ साझा करने से बचना चाहिए।
महिषासुर मर्दिनी कवचम्: प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: महिषासुर मर्दिनी कवचम् क्या है?
उत्तर: महिषासुर मर्दिनी कवचम् देवी दुर्गा का एक प्रभावशाली स्तोत्र है जो उन्हें महिषासुर का वध करने वाली शक्ति के रूप में समर्पित है।
प्रश्न 2: महिषासुर मर्दिनी कवचम् का पाठ कौन कर सकता है?
उत्तर: महिषासुर मर्दिनी कवचम् का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहता हो।
प्रश्न 3: इस कवच का नियमित पाठ करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: इस कवच का नियमित पाठ करने से सुरक्षा, सफलता, धन, आरोग्यता, और शांति प्राप्त होती है।
प्रश्न 4: महिषासुर मर्दिनी कवचम् का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इस कवच का पाठ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या अन्य शुद्ध समय में करना चाहिए।
प्रश्न 5: क्या महिषासुर मर्दिनी कवचम् का पाठ 41 दिनों तक करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, 41 दिनों तक नियमित पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 6: क्या इस कवच के पाठ के समय कोई विशेष नियम पालन करने होते हैं?
उत्तर: हां, पाठ के समय शुद्धता, नियमितता, और सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या इस कवच के पाठ के लिए कोई विशेष दिन निर्धारित है?
उत्तर: मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है, लेकिन इसे प्रतिदिन भी किया जा सकता है।
प्रश्न 8: क्या महिषासुर मर्दिनी कवचम् के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है?
उत्तर: हां, इस कवच के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
प्रश्न 9: क्या महिषासुर मर्दिनी कवचम् का पाठ सभी कष्टों का निवारण करता है?
उत्तर: हां, यह कवच सभी कष्टों का निवारण करता है और सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 10: क्या इस कवच का पाठ सभी प्रकार के भय को समाप्त करता है?
उत्तर: हां, महिषासुर मर्दिनी कवच का पाठ सभी प्रकार के भय को समाप्त करता है।