धन और समृद्धि देने वाली माता सुखमनी, जिन्हें सुखदायिनी और संकटों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। इनकी चालीसा का पाठ जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है। माता सुखमनी लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है।
माता सुखमनी चालीसा के लाभ
- सुख-समृद्धि: माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
- संकट मुक्ति: यह चालीसा जीवन के सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाती है।
- मानसिक शांति: माता सुखमनी चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है।
- पारिवारिक कलह का नाश: इस चालीसा के प्रभाव से परिवार में शांति और प्रेम बना रहता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति की कामना करने वाले भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा आध्यात्मिक प्रगति और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं के दुष्प्रभाव से मुक्ति और उनका नाश होता है।
- आर्थिक उन्नति: यह चालीसा आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करती है।
- शुभ फल की प्राप्ति: सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता और अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
- क्लेश मुक्ति: घरेलू और मानसिक क्लेशों का नाश होता है।
- शक्ति का संचार: माता सुखमनी की कृपा से भक्तों में आत्मशक्ति का संचार होता है।
- आरोग्य प्राप्ति: यह चालीसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है।
- भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- धैर्य और साहस: यह चालीसा धैर्य और साहस को बढ़ाने में मदद करती है।
- मानसिक स्थिरता: माता सुखमनी चालीसा का पाठ मानसिक स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
संपूर्ण माता सुखमनी चालीसा
॥दोहा॥
श्री सुखमनी मातारानी, संतान सुख देना।
विष्णु जी की हो तुम वंदना, भक्तों का दुःख हरना॥
॥चौपाई॥
जय सुखमनी मातारानी, जय हो सबका कल्याणी।
बैर नाशिनी, अज्ञान हरनी, जय जय माँ जग जननी॥
सुख देने वाली, संकट हरनी, करुणा की मूरत भवानी।
वंदना करते हैं भक्त सारे, माँ सुखमनी जय हो भवानी॥
संकट मोचन, संतोष दायिनी, श्रद्धा के संग प्यार बढ़ाती।
संकट में जो पुकारे तुमको, दुख-दर्द सभी हर लेती॥
दया की सागर, कृपा की मूरत, आशीष का संग बरसाती।
माँ सुखमनी हे जगदंबे, भक्तों के दुख दूर भगाती॥
निराकार रूप, निरंजन हो तुम, भक्तों की पालनहारी।
शत्रु का विनाश करे तुम, मातु सुखमनी त्राहि त्राहि॥
जो भी सच्चे मन से ध्यावे, कष्ट सभी दूर हो जावे।
ध्यान लगाये जो तेरा माँ, धन-धान्य सभी मिल जावे॥
सुख-दुःख हरने वाली हो तुम, हर वक्त रक्षा करती।
जय जय माँ सुखमनी देवी, भक्तों की सुनती विनती॥
जय हो तेरी माँ सुखमनी, संकट से रक्षा करती।
ध्यान लगाये जो सच्चे दिल से, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती॥
भक्तों को संकट से मुक्त कराती, जीवन में सुख शांति लाती।
करुणा की देवी माँ सुखमनी, भक्तों का उद्धार करती॥
॥दोहा॥
माँ सुखमनी की जो भी भक्ति, सभी दुखों से मुक्ति।
कहे नवल सिंह हरि, जो भी माने उसकी सुनी जाए सन्तुष्टि॥
पाठ विधि
- दिन और समय: माता सुखमनी चालीसा का पाठ मंगलवार या शुक्रवार के दिन करना शुभ माना जाता है। इसे ब्रह्म मुहूर्त में या शाम के समय करना उत्तम होता है।
- अवधि: इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21, 51 या 108 बार करने से माता सुखमनी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- मूहुर्त: शुभ मुहूर्त में माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
चालीसा के नियम
- सच्ची श्रद्धा: पाठ करते समय सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव का होना आवश्यक है।
- शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- ध्यान: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और माता सुखमनी के ध्यान में लीन रहें।
- आसन: पाठ करते समय एक स्वच्छ और सुरक्षित स्थान पर आसन ग्रहण करें।
- नियमितता: इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करें ताकि माता सुखमनी की कृपा प्राप्त हो।
- व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत का पालन करें।
- आरती: पाठ के उपरांत माता सुखमनी की आरती अवश्य करें।
- प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- धूप-दीप: पाठ से पहले धूप और दीप जलाकर माता सुखमनी की पूजा करें।
- स्वर का ध्यान: पाठ करते समय स्वर को स्थिर और मधुर रखें।
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माता सुखमनी चालीसा पाठ के लिए सावधानियाँ
- शुद्धता का पालन: पाठ के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
- ध्यान में लीनता: पाठ करते समय मन को विचलित न होने दें और ध्यान को एकाग्र रखें।
- अपवित्र स्थान से बचें: ऐसे स्थान पर पाठ न करें जहां शोर-शराबा हो या अपवित्रता हो।
- आहार का ध्यान: पाठ के दिन सात्त्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
- बिना श्रद्धा पाठ न करें: यदि आप मन से श्रद्धा नहीं रखते तो पाठ का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
माता सुखमनी चालीसा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- माता सुखमनी कौन हैं?
- माता सुखमनी संकट हरने वाली और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ कैसे करें?
- इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ शुद्ध मन से किया जाता है, ध्यान में लीन होकर।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?
- मंगलवार और शुक्रवार को माता सुखमनी चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
- हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त या संध्या का समय विशेष फलदायी माना जाता है।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- इसे 21, 51, या 108 बार करने से विशेष लाभ मिलता है।
- क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ व्रत के साथ करना आवश्यक है?
- व्रत के साथ पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
- यह चालीसा सुख, समृद्धि, शांति और संकटों से मुक्ति के लिए की जाती है।
- क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ केवल महिलाओं द्वारा किया जा सकता है?
- नहीं, इसे सभी भक्त कर सकते हैं, चाहे वे महिला हो या पुरुष।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
- मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, संकट मुक्ति और आर्थिक समृद्धि जैसी प्राप्ति होती है।
- क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए?
- हाँ, यदि संभव हो तो प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहिए।
- माता सुखमनी चालीसा का पाठ कैसे शुरू करें?
- पाठ से पहले माता सुखमनी की आराधना करें और शुद्ध मन से पाठ की शुरुआत करें।
- क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
- एक शांत और पवित्र स्थान पर पाठ करना उचित होता है।