श्री यंत्र का अर्धरात्रि तंत्र प्रयोग – चमत्कारिक धन एवं सफलता का रहस्य
Sri Yantra Ritual श्री यंत्र, माँ लक्ष्मी और त्रिपुर सुंदरी का प्रतीक एक अद्भुत यंत्र है, जो देवी की शक्तियों को भौतिक जगत में आकर्षित करने का माध्यम माना जाता है। विशेष रूप से दीपावली, अमावस्या या ग्रहण की रात्रि में मध्यरात्रि के समय इसका तांत्रिक प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होता है। जब सारी सृष्टि निद्रास्थ होती है, तब ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है। ऐसे समय में श्री यंत्र पर गुलाब अर्पित कर विशेष मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा” का जप करने से दुर्भाग्य, दरिद्रता और रोग-बाधा समाप्त होती है।
DivyaYogAshram द्वारा सिद्ध श्री यंत्र का प्रयोग साधकों को जीवन के हर क्षेत्र में सुख, समृद्धि, सफलता और अद्भुत दिव्य अनुभव प्रदान करता है। यह प्रयोग विशेष रूप से धन, वैभव, शत्रु विनाश, व्यापार वृद्धि और आत्मिक विकास हेतु उपयोगी है।
विशेष लाभ (Benefits)
- दुर्भाग्य, दरिद्रता और आर्थिक तंगी समाप्त होती है।
- व्यापार में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
- अचल संपत्ति और निवेश में लाभ मिलता है।
- पारिवारिक कलह और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- शत्रुओं का नाश और कानूनी विवादों में विजय प्राप्त होती है।
- सौभाग्य और आकर्षण की ऊर्जा बढ़ती है।
- नौकरी या प्रमोशन में अड़चन दूर होती है।
- स्त्रियों को वैवाहिक सुख एवं संतुलन प्राप्त होता है।
- बुरी नजर और टोने-टोटके का प्रभाव समाप्त होता है।
- साधक की आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती है।
- बच्चों की शिक्षा में प्रगति होती है।
- घर में सुख-शांति एवं लक्ष्मी स्थायी होती है।
- रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- नए अवसर और भाग्योदय के द्वार खुलते हैं।
- सिद्ध योग और मनोकामना पूर्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
नियम (Rules & Niyam)
- श्री यंत्र को शुद्ध भोजपत्र, ताम्र या स्वर्ण-पट्ट पर होना चाहिए।
- साधक को पवित्र और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए (सफेद/लाल उत्तम)।
- प्रयोग रात्रि 12 बजे के आसपास करें – अकेले, शांत वातावरण में।
- प्रयोग के पूर्व स्नान आवश्यक है, विशेषतः गंगाजल स्नान हो सके तो श्रेष्ठ।
- आसन कंबल या कुश का प्रयोग करें – भूमि पर सीधे न बैठें।
- गुलाब के पुष्प पूर्ण शुद्धता से तोड़े जाएँ – कोई कटा-फटा न हो।
- यंत्र को पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें।
शुभ मुहूर्त (Muhurat)
उत्तम तिथियाँ:
- दीपावली की रात (महालक्ष्मी पूजन)
- अमावस्या की रात (विशेषतः कालरात्रि/स्नान दान अमावस्या)
- चंद्र/सूर्य ग्रहण की रात्रि (पूर्ण तांत्रिक प्रभावकाल)
शुभ समय:
- रात्रि 11:30 PM से 1:00 AM तक (मध्यरात्रि योग)
विधि (Step-by-Step Vidhi)
- एक पवित्र स्थान चुनें जहां आपको कोई बाधा न पहुंचे।
- पूर्व/उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- श्री यंत्र को चांदी की थाली में रखें, गंगाजल से शुद्ध करें।
- यंत्र पर केसर, चंदन, सिंदूर, इत्र एवं हल्का शहद चढ़ाएं।
- गुलाब के 11 फूल श्री यंत्र पर अर्पित करें।
- दीपक में गाय का घी भरें, दो बत्ती जलाएं।
- धूप-अगरबत्ती से स्थान को सुगंधित करें।
- अब 108 बार निम्न मंत्र का जप करें: 🔺 मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा”
- ध्यान करें कि देवी कमल पर विराजित होकर आपके यंत्र में प्रतिष्ठित हो रही हैं।
- अंत में नमस्कार कर यंत्र को वहीँ रख दें, अगले दिन उसे तिजोरी, पूजन स्थल या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
सामान्य प्रश्न
Q1. क्या यह प्रयोग हर कोई कर सकता है?
हाँ, परंतु पूर्ण शुद्धता और निष्ठा आवश्यक है।
Q2. श्री यंत्र को कहां से प्राप्त करें?
DivyaYogAshram द्वारा सिद्ध श्री यंत्र को प्राप्त करें।
Q3. क्या यह प्रयोग केवल दीपावली पर ही होता है?
नहीं, अमावस्या और ग्रहण की रात्रि भी अत्यंत प्रभावशाली होती हैं।
Q4. क्या मंत्र उच्चारण अनिवार्य है?
हाँ, मंत्र के बिना यंत्र निष्क्रिय रहता है।
Q5. क्या यंत्र को बार-बार प्रयोग कर सकते हैं?
हाँ, परंतु प्रति प्रयोग के बाद उसकी शुद्धि एवं नवचेतना आवश्यक है।
Q6. क्या महिलाएँ यह प्रयोग कर सकती हैं?
हाँ, लेकिन रजस्वला अवस्था में न करें।
Q7. क्या इस प्रयोग से तुरंत लाभ मिलेगा?
यह प्रयोग अत्यंत प्रभावी है, परिणाम शीघ्र अनुभव होते हैं, विशेषकर नियमित प्रयोग से।
अगर आप भी अपनी जिंदगी में स्थायी लक्ष्मी प्राप्ति, सफलता और आत्मिक जागृति की कामना रखते हैं, तो इस अर्धरात्रि श्री यंत्र प्रयोग को ज़रूर अपनाएं।
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