Narsingh Kavacham Path for Strong Protection

नरसिंह कवचम् पाठ – शत्रु नज़र व तंत्र बाधा से जबर्दस्त सुरक्षा

नरसिंह कवचम् पाठ एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान नरसिंह, भगवान विष्णु के चौथे अवतार की स्तुति में रचा गया है। नरसिंह कवचम् का पाठ भक्तों को सुरक्षा, समृद्धि और शांति प्रदान करने में सहायक होता है। यह कवच मुख्य रूप से भय, बाधाओं और शत्रुओं से रक्षा के लिए जाना जाता है। जो व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा के साथ इस कवच का पाठ करता है, उसे भगवान नरसिंह की कृपा से अनंत सुख और शांति प्राप्त होती है।

संपूर्ण पाठ व अर्थ

नरसिंह कवचम् भगवान नरसिंह की स्तुति में रचा गया एक पवित्र स्तोत्र है, जो भक्तों को सुरक्षा और सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह पाठ भगवान नरसिंह की महिमा और उनके संरक्षण की शक्ति का वर्णन करता है। यहाँ नरसिंह कवचम् का संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ प्रस्तुत है:

ध्यानम

ध्यानं ॐ क्षौम् मेघश्यामं पीतकेशं त्रिनेत्रं
नानाकुञ्चिताक्षं द्विभुजं वीरमूर्तिम्।
गह्वरावतारं गरुडास्य-वक्त्रं
ध्यायेद्विश्वरूपं कवचं मुमुक्षुः।।

अर्थ: ध्यान में भगवान नरसिंह का ध्यान करना चाहिए, जो मेघ के समान श्यामवर्ण, पीले केश, तीन नेत्र, कुंडलित भुजाओं वाले, वीरता की मूर्ति, गुफा में अवतरित हुए, गरुड़मुखी और विश्वरूप धारण करने वाले हैं।

कवचम्

श्रीनरसिंहः शिरः पातु लोकरक्षार्थसंस्थितः।
सर्वगोऽपि स्तंभवासः फलमेनं हरत्वजः।। 1

प्रह्लाद-वरदः पातु मुखं मे नृकेसरः।
शुद्धः हिरण्यकशिपु-वक्षःस्थल-विदारकः।। 2

अस्त्रं शार्ङ्गधरो पातु चक्षुषी मे सुरेश्वरः।
स्व-पाद-नख-निर्युक्त-नारायण-स्वरूपधृक्।। 3

नासां मे सिंहनादस्तु फणाराट-विशासनः।
जिह्वां मे पातु वैकुण्ठः शिराः पातु गदाधरः।। 4

गृवां मे चंद्रक-वंद्यश्च भुजौ पातु नृकेसरः।
हृदयं योगिसाध्यश्च निवासं पातु भक्तिनुतः।। 5

उदरं पातु मे नित्यं नाभिं मे पातु वैष्णवी।
कामनाशोऽधः पातु कुक्षिं पातु जनार्दनः।। 6

त्रैलोक्य-संभवं पातु शुचिं पातु श्रियःपतिः।
वामां धरणिधरः पातु दक्षिणां पातु मादवः।। 7

नितम्बयोः पातु सत्यधर्मरतः श्रीनृकेसरः।
कटिं च रक्त-वस्त्रः श्रीनृसिंहः सतां पतिः।। 8

ऊरू मे पातु कर्ता च सर्वलोकशुभंकरः।
जानुनी नारायणः पातु जङ्घे पातु महाबलः।। 9

गुल्फौ मे पातु धर्मज्ञो सर्वशत्रुनिबर्हणः।
पादौ विश्वरूपधृक् पातु सर्वभाग्यमयोऽच्युतः।। 10

अंगानि सर्वतो मे पातु नारायणः समन्ततः।
इति ते कथितं दिव्यं कवचं भक्तिवर्धनम्।। 11

य एतत् पठते नित्यं पापानि नश्यन्ति तत्क्षणात्।
धनं धान्यं पवित्रं च परिवारो धनैर्वृतः।। 12

अर्थ:

  • श्लोक 1-2: “भगवान नरसिंह, जो समस्त लोकों की रक्षा के लिए प्रकट हुए हैं, हमारे सिर की रक्षा करें। जिन्होंने हिरण्यकशिपु के वक्ष स्थल को विदीर्ण किया, वे हमारे मुख की रक्षा करें।”
  • श्लोक 3-4: “भगवान शार्ङ्गधरी हमारे नेत्रों की रक्षा करें। सिंहनाद रूपी भगवान हमारे नासिका की रक्षा करें और वैकुंठधाम हमारे जिह्वा की रक्षा करें।”
  • श्लोक 5-6: “जिनका नमन चंद्रमा भी करता है, वे हमारे ग्रीवा और भुजाओं की रक्षा करें। योगियों के द्वारा सधने योग्य भगवान हमारे हृदय और निवास स्थान की रक्षा करें।”
  • श्लोक 7-8: “त्रैलोक्य के सभी देवता जिनका सम्मान करते हैं, वे हमारे कमर और नाभि की रक्षा करें।”
  • श्लोक 9-10: “भगवान नरसिंह, जो धर्म का पालन करते हैं और समस्त लोकों में शुभ का संचार करते हैं, वे हमारे जाँघों और पिंडली की रक्षा करें।”
  • श्लोक 11-12: “भगवान नरसिंह, जो समस्त अंगों की रक्षा करने वाले हैं, वे हमारे शरीर के सभी अंगों की रक्षा करें।”

फलकथनम्ः

इदं नरसिंह कवचं प्रह्लादमुखमण्डितम्।
भक्तिमान् यः पठेन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते।। 13

पठनं कीर्तनं स्नानं दर्शनं यत्र यत्र च।
सर्वत्र लाभमायाति भक्तानां यत्र यत्र च।। 14

अर्थ:

  • श्लोक 13: “जो भक्त नरसिंह कवच का नित्य पाठ करते हैं, वे सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।”
  • श्लोक 14: “कवच के पाठ, कीर्तन, स्नान या दर्शन से भक्त को सर्वत्र लाभ प्राप्त होता है।”

लाभ

  1. भय से मुक्ति: यह कवच व्यक्ति को सभी प्रकार के भयों से मुक्त करता है।
  2. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के प्रभाव और उनकी बुरी नजर से बचाता है।
  3. अध्यात्मिक विकास: साधक के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  5. धन और समृद्धि: व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
  6. शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  7. कर्मों का शुद्धिकरण: पापों का नाश करता है और शुभ कर्मों का उदय करता है।
  8. मंत्र सिद्धि: जो साधक इसे निरंतर पढ़ते हैं, उन्हें मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
  9. सुरक्षा कवच: जीवन के हर क्षेत्र में सुरक्षा का कवच बनता है।
  10. आध्यात्मिक जागरण: साधक के भीतर आध्यात्मिक जागरण लाता है।
  11. दुर्घटनाओं से बचाव: किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
  12. सकारात्मक ऊर्जा: वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  13. कुटुंब की रक्षा: परिवार और प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  14. दुष्ट शक्तियों से मुक्ति: तंत्र-मंत्र और अन्य दुष्ट शक्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  15. भगवान की कृपा: साधक को भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त होती है।

पाठ की विधि

दिन और अवधि:

नरसिंह कवचम् का पाठ किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को आरंभ करना विशेष शुभ माना जाता है। इसका नियमित पाठ ४१ दिन तक किया जाता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे के बीच) को पाठ करना सर्वोत्तम होता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत रहता है, जिससे पाठ का अधिक लाभ मिलता है।

नियम:

  1. साधक को प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. भगवान नरसिंह की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर, धूप अर्पित कर पाठ प्रारंभ करें।
  3. साधना को गुप्त रखें और किसी से चर्चा न करें।
  4. पाठ के बाद भगवान नरसिंह की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

नियम

  1. पूजा स्थल: एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें जहां रोजाना पूजा की जा सके।
  2. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. श्रद्धा और विश्वास: पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  4. मौन व्रत: पाठ के दौरान मौन रहें और अपने मन को एकाग्र करें।
  5. पूजा सामग्री: भगवान नरसिंह की मूर्ति या तस्वीर, दीपक, धूप, पुष्प, और नैवेद्य (भोग) आवश्यक हैं।
  6. साधना की गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और दूसरों से चर्चा न करें।

Know more about Narsingh mantra

सावधानियाँ

  1. ध्यान केंद्रित रखें: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और इधर-उधर की बातों में न उलझें।
  2. अनुचित विचार: पाठ करते समय अनुचित विचारों से बचें और भगवान की दिव्य उपस्थिति का अनुभव करें।
  3. आहार: साधक को सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए और तामसिक पदार्थों से बचना चाहिए।
  4. आचरण: शुद्ध आचरण का पालन करें और किसी भी प्रकार के दुष्कर्म से बचें।
  5. समय का पालन: निर्धारित समय पर ही पाठ करें और इसे एक नियमित अनुशासन बनाएं।
  6. अन्य नियम: पाठ के दौरान मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें।

Narsingh Sadhana samagri with diksha

नरसिंह कवचम् पाठ- प्रश्न उत्तर

  1. प्रश्न: नरसिंह कवचम् क्या है? उत्तर: नरसिंह कवचम् एक पवित्र स्तोत्र है जो भगवान नरसिंह की स्तुति में रचा गया है और साधकों को सुरक्षा, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
  2. प्रश्न: नरसिंह कवचम् का पाठ कब किया जाना चाहिए? उत्तर: नरसिंह कवचम् का पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) में किया जाना चाहिए, जो अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
  3. प्रश्न: नरसिंह कवचम् के लाभ क्या हैं? उत्तर: यह कवच भय से मुक्ति, शत्रुओं से रक्षा, आध्यात्मिक विकास, स्वास्थ्य में सुधार, धन-समृद्धि, शांति, और भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
  4. प्रश्न: क्या नरसिंह कवचम् के पाठ के दौरान किसी विशेष आहार का पालन करना चाहिए? उत्तर: हाँ, साधक को सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए और तामसिक पदार्थों से बचना चाहिए।
  5. प्रश्न: नरसिंह कवचम् पाठ के लिए कितने दिनों की अवधि निर्धारित है? उत्तर: नरसिंह कवचम् का पाठ ४१ दिनों तक नियमित रूप से किया जाना चाहिए।
  6. प्रश्न: क्या साधना को गुप्त रखना आवश्यक है? उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखना चाहिए और किसी से इसकी चर्चा नहीं करनी चाहिए, ताकि साधना का पूरा फल प्राप्त हो सके।
  7. प्रश्न: पाठ के दौरान कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक होती है? उत्तर: पाठ के दौरान भगवान नरसिंह की मूर्ति या तस्वीर, दीपक, धूप, पुष्प और नैवेद्य (भोग) की आवश्यकता होती है।
  8. प्रश्न: पाठ के लिए कौन-सा समय सर्वोत्तम होता है? उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
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