नवरात्रि में कात्यायनी साधना – दिव्य रहस्य और लाभ
Navratri Katyayani Sadhana नवरात्रि देवी शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम समय माना जाता है। इन नौ दिनों में साधक अलग-अलग रूपों में माँ दुर्गा की आराधना करता है। छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है, जिन्हें सौभाग्य, वैवाहिक सुख और बाधा-निवारण की देवी कहा गया है।
माँ कात्यायनी को “महिषासुर मर्दिनी” भी कहा जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि उनकी साधना से दुष्कर्मों का नाश, शत्रुओं से रक्षा और विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
DivyayogAshram के अनुसार, नवरात्रि में कात्यायनी साधना करने से ग्रहदोष दूर होते हैं, जीवन में रुकी हुई शुभ घटनाएँ घटित होती हैं और साधक को आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।
विनियोग (अर्थ सहित)
मंत्र विनियोग:
“ॐ कात्यायनी महाभागे महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥”
विनियोग का अर्थ:
इस मंत्र का विनियोग विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। साधक संकल्प लेकर माँ कात्यायनी को अपना आराध्य मानता है और प्रार्थना करता है कि उनका आशीर्वाद उसके जीवन में उचित साथी, सुखद गृहस्थ जीवन और अवरोध-निवारण के रूप में फले।
दिग्बंध
साधना आरंभ करने से पूर्व दिग्बंध करना आवश्यक है।
- पूर्व दिशा में ॐ ह्रां
- पश्चिम दिशा में ॐ ह्रीं
- उत्तर दिशा में ॐ ह्रूं
- दक्षिण दिशा में ॐ ह्रैं
- आकाश में ॐ ह्रौं
- पाताल में ॐ ह्रः
इस प्रक्रिया से साधक अपने चारों ओर सुरक्षात्मक ऊर्जा-वृत्त (protective shield) बना लेता है।
कात्यायनी साधना के लाभ
- विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण।
- योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति।
- दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य।
- संतान सुख की प्राप्ति।
- शत्रु भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।
- व्यापार और कार्य में अटके हुए कार्य पूरे होना।
- मानसिक तनाव और चिंता का शमन।
- आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि।
- आध्यात्मिक शक्ति और साधना सिद्धि।
- ग्रहदोष, विशेषकर शुक्र और मंगल दोष का निवारण।
- घर में शांति और समृद्धि का वास।
- दरिद्रता और आर्थिक संकट से मुक्ति।
- साधक के व्यक्तित्व में आकर्षण और तेजस्विता।
- जीवन में बाधाओं का स्वतः समाधान।
- दिव्य दर्शन और ईश्वरीय अनुभव की संभावना।
मुहूर्त
- नवरात्रि का छठा दिन सबसे उत्तम है।
- शुक्रवार, पूर्णिमा, या पुष्य नक्षत्र का संयोग विशेष फलदायी है।
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) या संध्याकाल (सायं 6–8 बजे) में साधना सर्वोत्तम मानी जाती है।
कात्यायनी साधना की मंत्र व विधि
साधना से पूर्व आवश्यक सामग्री
- स्वच्छ पीला या लाल आसन (कुश/ऊन का सर्वोत्तम)
- पीले वस्त्र
- पीले फूल (गेंदे, कमल या गुलाब)
- हल्दी, कुमकुम और अक्षत (चावल)
- पीली मिठाई (प्रसाद हेतु)
- धूप, दीपक (घी का दीपक उत्तम)
- शुद्ध जल से भरा कलश
- रुद्राक्ष या स्फटिक की माला
संकल्प विधि
साधक सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन ले। पूजन स्थल पर दीपक जलाकर कलश स्थापित करें।
हाथ में जल लेकर यह संकल्प बोलें –
“मैं (अपना नाम) माँ कात्यायनी की कृपा प्राप्ति हेतु यह साधना कर रहा/रही हूँ। मेरी (विवाह, गृहस्थ सुख, शत्रु निवारण, संतान प्राप्ति) समस्या का समाधान माँ करें।”
पूजन एवं ध्यान
-
आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
-
माँ कात्यायनी की प्रतिमा/चित्र को पीले वस्त्र से सुसज्जित करें।
-
पीले फूल, अक्षत और हल्दी अर्पित करें।
-
दीपक और धूप जलाकर माँ को नमस्कार करें।
-
ध्यान करें – माँ कात्यायनी सिंह पर सवार, चार भुजाओं में कमल, तलवार, त्रिशूल और वरमुद्रा से सुशोभित हैं। उनके मुखमंडल से तेज और करुणा प्रकट हो रही है।
मुख्य मंत्र
“ॐ कात्यायनी महाभागे महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥”
जप विधि
- प्रतिदिन प्रातःकाल या संध्याकाल 11 माला मंत्र का जप करें।
- स्फटिक या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
- जप के समय साधक का मन एकाग्र रहना चाहिए।
- यह क्रम लगातार ९ दिन तक करें।
- नवरात्रि मे एक ११ माला जप करे, इसके अलावा किसी भी मंगलवार से ११ माला ९ दिन तक करे।
हवन
९ दिनों के अंत में साधक हल्दी, गूगल, कपूर और पीली सरसों से 108 आहुतियाँ दे सकता है। स्वाहा के साथ मंत्र का उच्चारण कर प्रत्येक आहुति अर्पित करें।
नियम
- साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सात्विक आहार ग्रहण करें।
- प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पीले या लाल वस्त्र पहनकर साधना करें।
- प्रतिदिन 11 माला जप करें (11 दिन तक लगातार)।
- साधना स्थल पर दीपक और धूप अवश्य जलाएँ।
- ध्यान और जप के दौरान किसी से बात न करें।
- संकल्प लेकर साधना पूरी करें, बीच में न छोड़ें।
कौन कर सकता है?
- अविवाहित युवक-युवतियाँ विवाह की बाधा दूर करने हेतु।
- विवाहित दंपत्ति गृहस्थ सुख और संतान प्राप्ति हेतु।
- साधक जो शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा चाहते हैं।
- वे लोग जिनके जीवन में ग्रहदोष (विशेषकर शुक्र या मंगल) हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति और माँ शक्ति की कृपा प्राप्त करना चाहने वाले।
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FAQ (प्रश्नोत्तर)
Q1. कात्यायनी साधना कब करनी चाहिए?
नवरात्रि में छठे दिन यह साधना सर्वोत्तम है।
Q2. क्या केवल स्त्रियाँ ही यह साधना कर सकती हैं?
नहीं, पुरुष और स्त्रियाँ दोनों यह साधना कर सकते हैं।
Q3. साधना में कितनी माला जप करनी होती है?
प्रति दिन 11 माला, लगातार 11 दिन तक।
Q4. क्या साधना के लिए विशेष सामग्री चाहिए?
पीला वस्त्र, पीले फूल, हल्दी, दीपक, धूप, आसन और जपमाला आवश्यक हैं।
Q5. साधना अधूरी छूट जाए तो क्या करें?
अगली नवरात्रि में पुनः संकल्प लेकर साधना पूरी करनी चाहिए।
Q6. क्या विवाह में रुकावटें सच में दूर होती हैं?
हाँ, अनगिनत साधकों ने इस साधना से शुभ फल पाया है।
Q7. क्या DivyayogAshram से मार्गदर्शन लिया जा सकता है?
जी हाँ, साधना की विस्तृत जानकारी और मार्गदर्शन DivyayogAshram द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।
अंत मे
नवरात्रि में माँ कात्यायनी की साधना करने से साधक जीवन की कठिनाइयों से मुक्त होकर सौभाग्य, दांपत्य सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। यह साधना न केवल वैवाहिक जीवन में सफलता दिलाती है, बल्कि शत्रु भय, ग्रहदोष और आर्थिक समस्याओं का भी समाधान करती है।
DivyayogAshram इस साधना को आधुनिक जीवन की आवश्यकताओं के अनुरूप बताते हुए कहता है कि यदि इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए, तो जीवन में निश्चित रूप से चमत्कारिक परिवर्तन संभव हैं।