सूर्यास्त के बाद का समय और उग्र तांत्रिक ऊर्जा का रहस्य
Tantric Power Warning सूर्यास्त के बाद का समय सामान्य नहीं होता। यह समय प्रकृति के संतुलन बदलने का क्षण होता है। दिन की सक्रिय ऊर्जा धीरे धीरे शांत होती है। रात्रि की सूक्ष्म और गूढ़ शक्तियाँ जागृत होने लगती हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद वातावरण में उग्र तांत्रिक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। इसी कारण यह समय साधना के लिए जितना प्रभावी है, उतना ही जोखिम भरा भी हो सकता है। अज्ञानवश की गई छोटी गलतियाँ बड़े मानसिक और ऊर्जात्मक दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। इस समय व्यक्ति का मन, शरीर और आभामंडल अधिक संवेदनशील हो जाता है।
नकारात्मक शक्तियाँ और अदृश्य प्रभाव जल्दी आकर्षित हो सकते हैं। इसीलिए शास्त्रों में सूर्यास्त के बाद कई कार्य वर्जित बताए गए हैं। इन नियमों को न मानने पर उग्र तांत्रिक सिद्धियों का दुष्प्रभाव शुरू हो सकता है। यह लेख आपको सूर्यास्त के बाद न किए जाने वाले कार्यों का गूढ़ रहस्य समझाएगा। साथ ही बताएगा कि ये गलतियाँ कैसे आपके जीवन में बाधा, भय और असंतुलन लाती हैं।
सूर्यास्त के बाद उग्र तांत्रिक शक्तियाँ क्यों सक्रिय होती हैं
सूर्य अस्त होते ही सौर ऊर्जा का बाहरी प्रभाव कम होने लगता है। चंद्र और सूक्ष्म ग्रह शक्तियाँ धीरे धीरे प्रभाव दिखाने लगती हैं। इसी समय तांत्रिक शक्तियाँ अधिक सक्रिय अवस्था में होती हैं। तंत्र शास्त्र मानता है कि रात्रि का अंधकार ऊर्जा को भीतर खींचने वाला होता है। यह खिंचाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप ले सकता है। उग्र तांत्रिक सिद्धियाँ इसी समय सबसे अधिक प्रभावी होती हैं। असंतुलित व्यक्ति अनजाने में इन शक्तियों का केंद्र बन जाता है। यही कारण है कि सूर्यास्त के बाद अनुशासन बहुत आवश्यक माना गया है।
तांत्रिक ऊर्जा और मानव आभा का संबंध
मानव आभा सूर्यास्त के बाद कमजोर हो सकती है। थकान, चिंता और क्रोध आभा को और कमजोर कर देते हैं।
कमजोर आभा बाहरी उग्र तांत्रिक शक्तियों को आकर्षित करती है। यही से मानसिक बेचैनी और भय की शुरुआत होती है।
सूर्यास्त के बाद न करें ये कार्य: तांत्रिक चेतावनी
सूर्यास्त के बाद किए गए कुछ सामान्य कार्य भी गंभीर परिणाम ला सकते हैं। ये कार्य व्यक्ति को उग्र तांत्रिक प्रभावों के लिए खुला छोड़ देते हैं। शास्त्रों में इन्हें स्पष्ट रूप से वर्जित बताया गया है।
शमशान या सुनसान स्थान जाना
शमशान और सुनसान स्थान रात्रिकाल में उग्र तांत्रिक क्षेत्र बन जाते हैं। यहाँ असंतुलित शक्तियाँ सक्रिय अवस्था में रहती हैं। सूर्यास्त के बाद वहाँ जाना भय और बाधा को आमंत्रित करता है। संवेदनशील लोग जल्दी मानसिक प्रभावित हो सकते हैं।
बाल, नाखून या दाढ़ी काटना
यह क्रिया शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को कमजोर करती है। तंत्र शास्त्र में इसे आभा क्षीण करने वाला कार्य माना गया है। इस समय काटे गए बाल नकारात्मक प्रयोगों के लिए भी उपयोग किए जा सकते हैं।
सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना या कूड़ा बाहर फेंकना
इस क्रिया से घर की सकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। रात्रि में किया गया यह कार्य दरिद्रता और अशांति को जन्म देता है। उग्र तांत्रिक प्रभाव घर में प्रवेश कर सकते हैं।
सूर्यास्त के बाद भोजन से जुड़ी तांत्रिक सावधानियाँ
भोजन केवल शारीरिक नहीं बल्कि ऊर्जात्मक प्रक्रिया भी है।
सूर्यास्त के बाद भोजन में लापरवाही गंभीर असर डालती है।
सूर्यास्त के बाद बासी या ठंडा भोजन करना
यह भोजन तमोगुण बढ़ाता है।
तमोगुण उग्र तांत्रिक प्रभावों के लिए अनुकूल माना जाता है।
इससे मन भारी और नकारात्मक बनता है।
सूर्यास्त के बाद अति मांसाहार और नशा
यह आदत व्यक्ति की चेतना को नीचे गिरा देती है।
उग्र तांत्रिक शक्तियाँ ऐसे लोगों को शीघ्र प्रभावित करती हैं।
तांत्रिक ग्रंथ इसे आत्मरक्षा की दृष्टि से घातक मानते हैं।
सूर्यास्त के बाद न करें ये मानसिक और भावनात्मक भूलें
- सूर्यास्त के बाद मन की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
- नकारात्मक विचार तांत्रिक प्रभावों को तेजी से आकर्षित करते हैं।
सूर्यास्त के बाद क्रोध और कठोर वचन
क्रोध आभा में दरार पैदा करता है।
ये दरार उग्र तांत्रिक शक्तियों के प्रवेश का द्वार बनती है।
इसी कारण रात्रि में मौन और संयम पर जोर दिया गया है।
सूर्यास्त के बाद नकारात्मक चर्चा और भय पैदा करना
भय ऊर्जा को बहुत कमजोर कर देता है।
डरावनी बातें और अफवाहें मानसिक संतुलन बिगाड़ती हैं।
यह असंतुलन तांत्रिक बाधाओं का मूल कारण बन सकता है।
सूर्यास्त के बाद घर में न करें ये तांत्रिक भूलें
घर ऊर्जा का केंद्र होता है।
सूर्यास्त के बाद घर की स्थिति बहुत महत्व रखती है।
सूर्यास्त के बाद पूर्ण अंधकार रखना
- अंधकार में नकारात्मक ऊर्जा जल्दी सक्रिय होती है।
- दीपक या हल्का प्रकाश सुरक्षा कवच बनता है।
- तंत्र शास्त्र में दीप को रक्षक माना गया है।
सूर्यास्त के बाद पूजा स्थान की अवहेलना
- पूजा स्थान को गंदा या अव्यवस्थित छोड़ना अशुभ होता है।
- यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोक देता है।
- उग्र तांत्रिक प्रभाव इस स्थिति में प्रवेश कर सकते हैं।
उग्र तांत्रिक सिद्धियाँ और असावधानी का परिणाम
- उग्र तांत्रिक सिद्धियाँ अत्यंत शक्तिशाली होती हैं।
- ये सिद्धियाँ अनुशासन मांगती हैं।
- असावधानी इनके विपरीत प्रभाव पैदा कर सकती है।
अनजाने आकर्षण और आत्मिक असंतुलन
कई लोग बिना जाने शक्तियों को आकर्षित कर लेते हैं।
इसके बाद भय, स्वप्न दोष और बेचैनी शुरू होती है।
मानसिक और शारीरिक थकावट
तांत्रिक प्रभाव शरीर की ऊर्जा को सोख लेते हैं।
लंबे समय तक थकान और आलस्य बना रहता है।
सूर्यास्त के बाद क्या करें: तांत्रिक सुरक्षा मार्ग
सिर्फ वर्जनाएँ जानना पर्याप्त नहीं है।
सही उपाय भी उतने ही जरूरी हैं।
सूर्यास्त के बाद दीप प्रज्वलन
घर में दीप जलाना ऊर्जा संतुलन बनाता है।
यह नकारात्मक शक्तियों को दूर रखता है।
सूर्यास्त के बाद जप और स्मरण
सरल मंत्र जप मन को स्थिर करते हैं।
यह उग्र तांत्रिक प्रभावों से रक्षा करता है।
सूर्यास्त के बाद सात्विक वातावरण
शांत संगीत, शुद्ध विचार और संयम आवश्यक हैं।
यह समय आत्मरक्षा और आत्मशांति का होता है।
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सूर्यास्त के बाद सावधानी ही तांत्रिक सुरक्षा है
सूर्यास्त के बाद का समय अत्यंत संवेदनशील होता है। यह समय उग्र तांत्रिक सिद्धियों और सूक्ष्म शक्तियों का द्वार है।
अज्ञान और लापरवाही जीवन में बड़े संकट ला सकती है। सही आचरण, संयम और सतर्कता आपको सुरक्षित रखती है।
तंत्र शास्त्र का उद्देश्य भय नहीं, संतुलन सिखाना है। यदि नियमों का पालन किया जाए, तो रात्रि भी रक्षक बन जाती है।
सूर्यास्त के बाद सही कर्म ही सच्ची तांत्रिक सुरक्षा है।






