पाताल भैरव साधना
पाताल भैरव साधना एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक साधना है, जो विशेष रूप से उन्नति, सुरक्षा और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। इस साधना में Patal Bhairav की उपासना की जाती है, जो शनि के प्रकोप को शांत करने और अति शीघ्र इच्छाओं को पूर्ण करने में सक्षम माने जाते हैं।
पाताल भैरव साधना के लाभ
- विपत्तियों से मुक्ति: साधक को जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं का नाश: शत्रुओं की चालों को विफल करने में सहायक।
- धन-संपत्ति की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक।
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
- बाधाओं का निवारण: सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
- कर्ज से मुक्ति: ऋण से मुक्ति पाने में मददगार।
- व्यवसाय में उन्नति: व्यापार और व्यवसाय में सफलता।
- नौकरी में प्रमोशन: नौकरी में प्रमोशन पाने में सहायक।
- परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- विवाह में आने वाली रुकावटों का निवारण: विवाह में आने वाली सभी प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं।
- मनोकामना पूर्ति: साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यालय में वास्तु दोषों का निवारण।
- कृषि कार्य में सफलता: कृषि कार्य में उन्नति और सफलता।
- शांति और संतोष: मन की शांति और संतोष मिलता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके स्वास्थ्य में सुधार।
- अध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति।
- मुकदमे में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
- जादू-टोना से सुरक्षा: काले जादू और तंत्र-मंत्र से सुरक्षा।
- यात्रा में सुरक्षा: यात्राओं में सुरक्षा मिलती है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक गतिविधियों में सफलता और उन्नति।
साधना विधि
- साधना का दिन: पाताल भैरव साधना का श्रेष्ठ दिन मंगलवार या शनिवार होता है।
- साधना सामग्री:
- काले वस्त्र
- पाताल भैरव की प्रतिमा या चित्र
- काले तिल
- सरसों का तेल
- काली हल्दी
- काली हकीक माला
- सिंदूर और कुमकुम
- धूप-दीप
- स्थापना:
- पूजा स्थान को स्वच्छ करें और आसन बिछाएं।
- पाताल भैरव की प्रतिमा को स्थापित करें।
- धूप-दीप प्रज्वलित करें।
- पूजन विधि:
- काले वस्त्र धारण करें।
- पाताल भैरव को सिंदूर और कुमकुम से तिलक करें।
- सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- काले तिल और काली हल्दी का प्रयोग करें।
- पाताल भैरव के मंत्र का जाप करें।
मंत्र (Mantra)
॥ॐ भ्रं पाताल भैरवाय सर्व विघ्न उच्चाटय भ्रं फट्ट॥
इस मंत्र का जाप कम से कम ११/२१/४१ दिन और रोज ११ माला (११८८) बार मंत्र जप करे।
सावधानियां (Precautions)
- साधना के समय पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।
- साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पूजा स्थान को साफ और शुद्ध रखें।
- साधना के समय किसी प्रकार का डर मन में न रखें।
- साधना को बीच में अधूरा न छोड़ें।
क्या करें (Do’s)
- साधना के दौरान सकारात्मक विचार रखें।
- पूजन सामग्री को शुद्ध रखें।
- नियमित रूप से साधना करें।
- पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें।
- साधना के समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।
क्या न करें (Dont’s)
- साधना के समय किसी भी प्रकार का डर मन में न रखें।
- साधना को अधूरा न छोड़ें।
- साधना के दौरान असत्य बोलने से बचें।
- साधना के समय अनावश्यक वार्तालाप से बचें।
- साधना के बाद पूजा स्थान को गंदा न करें।
पाताल भैरव साधना – सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. पाताल भैरव साधना क्या है?
उत्तर: पाताल भैरव साधना एक शक्तिशाली तांत्रिक साधना है जो विशेष रूप से उन्नति, सुरक्षा और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। इसमें पाताल भैरव की उपासना की जाती है।
2. पाताल भैरव साधना के प्रमुख लाभ क्या हैं?
उत्तर: इस साधना से विपत्तियों से मुक्ति, शत्रुओं का नाश, धन-संपत्ति की प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ, बाधाओं का निवारण, कर्ज से मुक्ति, व्यवसाय में उन्नति, नौकरी में प्रमोशन, परिवारिक सुख-शांति, विवाह में आने वाली रुकावटों का निवारण, मनोकामना पूर्ति, वास्तु दोष निवारण, कृषि कार्य में सफलता, शांति और संतोष, संतान सुख, अध्यात्मिक उन्नति, मुकदमे में विजय, जादू-टोना से सुरक्षा, यात्रा में सुरक्षा, और धार्मिक उन्नति मिलती है।
3. पाताल भैरव साधना के लिए सबसे उपयुक्त दिन कौन-से होते हैं?
उत्तर: पाताल भैरव साधना के लिए मंगलवार, शनिवार या अष्टमी को सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है।
4. पाताल भैरव साधना के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: काले वस्त्र, पाताल भैरव की प्रतिमा या चित्र, काले तिल, सरसों का तेल, काली हल्दी, काली हकीक माला, सिंदूर और कुमकुम, धूप-दीप इत्यादि आवश्यक हैं।
5. पाताल भैरव साधना का मंत्र क्या है?
उत्तर:
॥ॐ भ्रं पाताल भैरवाय सर्व विघ्न उच्चाटय भ्रं फट्ट॥
6. पाताल भैरव साधना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: साधना के समय पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, पूजा स्थान को साफ और शुद्ध रखें, साधना के दौरान किसी प्रकार का डर मन में न रखें, और साधना को बीच में अधूरा न छोड़ें।
7. पाताल भैरव साधना के दौरान क्या करना चाहिए?
उत्तर: साधना के दौरान सकारात्मक विचार रखें, पूजन सामग्री को शुद्ध रखें, नियमित रूप से साधना करें, पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें, और साधना के समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।
8. पाताल भैरव साधना के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर: साधना के समय किसी भी प्रकार का डर मन में न रखें, साधना को अधूरा न छोड़ें, साधना के दौरान असत्य बोलने से बचें, साधना के समय अनावश्यक वार्तालाप से बचें, और साधना के बाद पूजा स्थान को गंदा न करें।
9. क्या पाताल भैरव साधना सभी के लिए सुरक्षित है?
उत्तर: हां, यदि इसे सही तरीके से किया जाए और सभी सावधानियों का पालन किया जाए, तो यह साधना सभी के लिए सुरक्षित है। हालांकि, किसी भी प्रकार की अनिश्चितता होने पर अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन लेना उचित है।
10. पाताल भैरव साधना का परिणाम कितने समय में मिलता है?
उत्तर: साधना के परिणाम साधक की निष्ठा, विश्वास और एकाग्रता पर निर्भर करते हैं। नियमित और सच्ची श्रद्धा से की गई साधना से शीघ्र परिणाम मिलते हैं।
अंत में
पाताल भैरव साधना एक अत्यंत प्रभावशाली साधना है, जो साधक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाती है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शत्रु बाधाओं, वित्तीय समस्याओं और स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। साधना को पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करना आवश्यक है।