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Performing Puja for Others – Safety, Blessings & Protection

गृहस्थ के लिए मार्गदर्शन: दूसरों की सुरक्षा हेतु पूजा का रहस्य

Performing Puja for Others गृहस्थ जीवन केवल अपने लिए नहीं होता, बल्कि परिवार, बच्चों, रिश्तेदारों और समाज के लिए जिम्मेदारियाँ भी साथ लाता है। इसी कारण गृहस्थ को न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी पूजा-पाठ, जप और साधना करनी पड़ती है। प्रश्न उठता है कि क्या दूसरों के लिए पूजा करना उचित है? और यदि दीक्षा (Diksha) न ली हो तो क्या करें?
दिव्ययोगआश्रम (DivyayogAshram ) के अनुसार, दूसरों की भलाई और सुरक्षा के लिए की गई पूजा न केवल उस व्यक्ति तक पहुँचती है, बल्कि साधक के जीवन को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।


यदि दीक्षा नहीं ली तो क्या करें?

  1. सरल मंत्र और पूजा विधि चुनें – जटिल अनुष्ठानों से बचें और आसान मंत्र जैसे “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ गं गणपतये नमः” का उपयोग करें।
  2. नियमितता रखें – रोज़ाना या साप्ताहिक एक निश्चित समय पर पूजा करें।
  3. संकल्प शक्ति – पूजा शुरू करने से पहले स्पष्ट संकल्प लें कि यह पूजा अमुक व्यक्ति की सुरक्षा और कल्याण के लिए है।
  4. ध्यान और प्रार्थना – पूजा से पहले और बाद में कुछ समय प्रार्थना करें।
  5. पवित्रता बनाएँ – घर का स्थान, पूजा सामग्री और मन को स्वच्छ रखें।
  6. आशीर्वाद की भावना – भले ही दीक्षा न हो, अपने ईष्ट देव या देवी से मार्गदर्शन माँगें।
  7. गुरु का आह्वान – यदि गुरु न भी हों, तो ईश्वर से गुरु समान प्रकाश की प्रार्थना करें।

दूसरों के लिए पूजा करने के लाभ

  1. परिवार और प्रियजनों की सुरक्षा बढ़ती है।
  2. नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
  3. घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
  4. बच्चों के जीवन में पढ़ाई और स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं।
  5. रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार मिलता है।
  6. मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है।
  7. धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  8. पारिवारिक संबंधों में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  9. व्यापार और करियर में उन्नति का मार्ग खुलता है।
  10. घर में आपसी विवाद और तनाव कम होता है।
  11. पूजा से पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
  12. कठिन समय में मानसिक सहारा और हिम्मत मिलती है।
  13. संतान सुख और वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है।
  14. दूसरों के लिए किया गया जप साधक को भी पुण्य देता है।
  15. धीरे-धीरे साधना से आध्यात्मिक प्रगति होती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: क्या गृहस्थ दूसरों के लिए पूजा कर सकता है?
हाँ, गृहस्थ दूसरों के लिए पूजा कर सकता है। यह पुण्य और सुरक्षा का माध्यम है।

प्रश्न 2: बिना दीक्षा के दूसरों के लिए पूजा का क्या असर होता है?
सरल मंत्र और श्रद्धा से की गई पूजा हमेशा लाभकारी होती है, चाहे दीक्षा न ली हो।

प्रश्न 3: किन मंत्रों का प्रयोग दूसरों की सुरक्षा के लिए करना चाहिए?
“ॐ नमः शिवाय”, “ॐ गं गणपतये नमः”, “ॐ दुं दुर्गायै नमः” सर्वोत्तम हैं।

प्रश्न 4: क्या पूजा केवल मंदिर में करनी चाहिए या घर पर भी हो सकती है?
दोनों ही स्थानों पर की जा सकती है। मुख्य बात श्रद्धा और नियम है।

प्रश्न 5: क्या महिलाएँ भी दूसरों के लिए पूजा कर सकती हैं?
हाँ, महिलाएँ भी पूरी श्रद्धा से दूसरों की भलाई के लिए पूजा कर सकती हैं।

प्रश्न 6: क्या दूसरों को पूजा का लाभ तुरंत मिलता है?
लाभ धीरे-धीरे अनुभव होता है, कभी तुरंत परिणाम भी दिख सकते हैं।

प्रश्न 7: यदि पूजा का अनुभव न हो तो क्या करें?
सरल विधि अपनाएँ, नियमित रहें और आवश्यकता हो तो दिव्ययोगआश्रम (DivyayogAshram) से मार्गदर्शन लें।


अंत मे

गृहस्थ के लिए दूसरों के लिए पूजा करना धर्म, जिम्मेदारी और प्रेम का अद्भुत संगम है। भले ही दीक्षा न मिली हो, लेकिन शुद्ध भावना, संकल्प और नियम से किया गया जप एवं पूजा दिव्य प्रभाव देता है। यह साधना न केवल दूसरों के लिए सुरक्षा और कल्याण का मार्ग खोलती है, बल्कि साधक को भी आध्यात्मिक और मानसिक बल प्रदान करती है। DivyayogAshram का संदेश है कि दूसरों के लिए की गई पूजा ही सच्ची सेवा है और वही गृहस्थ जीवन की वास्तविक साधना है।

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