पितृपक्ष में ये 1 गलती सबसे बड़ा पाप! 90% लोग नहीं जानते 😱 | Pitru Paksh 2024
Pitru Paksh हिंदू धर्म में पितृपक्ष का अत्यंत विशेष महत्व है। यह काल अपने पितरों को स्मरण करने, श्राद्ध, तर्पण और दान के लिए माना जाता है। मान्यता है कि इस समय पितरों की आत्माएँ धरती पर आती हैं और अपने वंशजों के आचरण से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। यदि हम श्रद्धा और नियम से पितृपक्ष में श्राद्ध करते हैं, तो हमारे जीवन से अनेक बाधाएँ दूर होती हैं और पितरों की कृपा बनी रहती है।
लेकिन शास्त्रों में यह भी स्पष्ट कहा गया है कि यदि पितृपक्ष में कुछ विशेष गलतियाँ कर दी जाएँ तो वह सबसे बड़ा पाप माना जाता है। इन गलतियों से पितर रुष्ट हो सकते हैं और जीवन में कष्ट बढ़ सकता है।
DivyayogAshram का उद्देश्य है कि ऐसे रहस्यों को सरल भाषा में हर व्यक्ति तक पहुँचाया जाए, ताकि कोई भी अनजाने में पाप का भागी न बने। इस लेख में हम बताएँगे पितृपक्ष का महत्व, श्राद्ध का सही मंत्र, विधि, मुहूर्त, आवश्यक नियम, लाभ और सामान्य प्रश्नोत्तर।
पितृ तर्पण मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः॥
या फिर पूर्ण विधि में यह मंत्र प्रयोग होता है:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
विधि (Step by Step)
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- तांबे या पीतल के पात्र में जल, काला तिल, कुश और पुष्प मिलाएँ।
- ‘ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए तर्पण करें।
- श्राद्ध के लिए ब्राह्मण भोजन कराएँ या गाय, कुत्ते, कौवे को अन्न अर्पित करें।
- तिलांजलि देने के बाद पितरों को प्रणाम करें और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
शुभ मुहूर्त (Pitru Paksh 2024)
- पितृपक्ष का आरंभ: 8 सितंबर 2024
- समापन: 21 सितंबर 2024
- प्रतिदिन सूर्योदय के बाद तर्पण और श्राद्ध करना सबसे शुभ माना गया है।
- अमावस्या का दिन (21 सितंबर ) सर्वपितृ अमावस्या कहलाता है और यह सबसे विशेष दिन है।
पालन करने योग्य नियम
- पितृपक्ष में मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन से बचें।
- झूठ बोलना, क्रोध करना और दूसरों को अपमानित करना पितरों को अप्रसन्न करता है।
- श्राद्ध विधि सदैव शुद्ध स्थान और शुद्ध पात्र में करें।
- महिलाओं को मासिक धर्म के समय श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
- पितृपक्ष में दान देना अनिवार्य है – अन्न, वस्त्र, जल या गौदान।
- घर में झगड़े, शोर-शराबा और नकारात्मक वातावरण से बचें।
- श्राद्ध के बाद भोजन का कुछ अंश पशु-पक्षियों को अवश्य दें।
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पितृपक्ष श्राद्ध और तर्पण के लाभ
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- वंशजों पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
- परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बढ़ता है।
- आर्थिक बाधाएँ दूर होती हैं।
- संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- कोर्ट केस और विवादों से मुक्ति मिलती है।
- घर-परिवार की रक्षा होती है।
- अकारण रोग और मानसिक कष्ट दूर होते हैं।
- व्यापार और नौकरी में प्रगति होती है।
- अचानक आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है।
- पितरों के आशीर्वाद से दीर्घायु प्राप्त होती है।
- परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है।
- पूर्वजों के अधूरे कार्यों का समाधान होता है।
- साधक का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
सामान्य प्रश्नोत्तर
1. पितृपक्ष में सबसे बड़ी गलती क्या है?
श्राद्ध न करना या भोजन बर्बाद करना सबसे बड़ा पाप माना गया है।
2. क्या हर किसी को श्राद्ध करना चाहिए?
हाँ, प्रत्येक गृहस्थ को अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
3. क्या केवल ब्राह्मण को ही बुलाना जरूरी है?
यदि संभव हो तो ब्राह्मण भोजन कराएँ, अन्यथा गाय, कुत्ते और पक्षियों को अन्न दें।
4. क्या महिलाएँ श्राद्ध कर सकती हैं?
हाँ, विशेष परिस्थितियों में महिलाएँ भी कर सकती हैं, परंतु प्रायः पुरुष करते हैं।
5. क्या श्राद्ध एक ही दिन पर्याप्त है?
सर्वपितृ अमावस्या पर एक दिन करना भी फलदायी है, लेकिन अपने पितरों की तिथि पर करना सर्वोत्तम है।
6. क्या यह केवल हिंदुओं के लिए है?
हाँ, यह परंपरा हिंदू धर्म से जुड़ी है।
7. श्राद्ध करने से क्या तुरंत फल मिलता है?
हाँ, पितरों की कृपा तुरंत घर-परिवार पर अनुभव की जा सकती है।
अंत मे
पितृपक्ष केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, यह हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सर्वोत्तम अवसर है। जो साधक इसे श्रद्धा और नियमों के साथ करते हैं, उनके जीवन में पितरों की कृपा बनी रहती है। याद रखें – पितृपक्ष में श्राद्ध या तर्पण न करना या भोजन बर्बाद करना सबसे बड़ा पाप है।
DivyayogAshram सभी साधकों से आग्रह करता है कि वे इस पितृपक्ष में नियमपूर्वक अपने पितरों का स्मरण करें और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करें।