पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण, सीधे पितर लेंगे आशीर्वाद! 😇 जिंदगी बदल जाएगी
Pitru Paksh Tarpan हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह पवित्र काल है जब हम अपने पितरों (पूर्वजों) को याद करते हैं और उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि पितरों की प्रसन्नता से मनुष्य के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, जबकि उनकी उपेक्षा जीवन में अनेक प्रकार के कष्टों का कारण बनती है।
तर्पण का अर्थ है – श्रद्धा और जल के माध्यम से पितरों को अर्पण करना। जब साधक श्रद्धा के साथ तर्पण करता है, तो पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे सीधे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि कहा जाता है – “पितर प्रसन्न तो सब कार्य सिद्ध।”
DivyayogAshram का उद्देश्य है कि प्राचीन विधियों को सरल भाषा में सभी तक पहुँचाया जाए, ताकि हर व्यक्ति पितृ पक्ष में तर्पण कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सके और अपने जीवन को सुखी बना सके।
पितृ तर्पण मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः॥
विस्तृत तर्पण में यह महामंत्र भी प्रयुक्त होता है –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
तर्पण विधि (Step by Step)
- प्रातः स्नान कर शुद्ध सफेद वस्त्र धारण करें।
- किसी पवित्र नदी, तालाब या घर में तांबे के पात्र से तर्पण करें।
- पात्र में स्वच्छ जल, काला तिल, कुश और पुष्प मिलाएँ।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े हों या बैठें।
- दोनों हाथों से जल लेकर “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए धीरे-धीरे जल अर्पित करें।
- तीन बार तर्पण करें – प्रथम बार देवताओं के लिए, दूसरी बार ऋषियों के लिए और तीसरी बार पितरों के लिए।
- इसके बाद पितरों को स्मरण कर प्रणाम करें और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
शुभ मुहूर्त (Pitru Paksh 2024)
- प्रारंभ: 8 सितंबर 2024
- समापन: 21 सितंबर 2024 (सर्वपितृ अमावस्या)
- तर्पण का उत्तम समय: सूर्योदय से पूर्वाह्न तक।
- विशेष तिथियाँ: अमावस्या और अपने पितरों की तिथि।
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तर्पण के नियम
- तर्पण हमेशा शुद्ध मन और शरीर से करें।
- तर्पण दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करें।
- तामसिक भोजन, शराब और मांसाहार से दूर रहें।
- पितृ पक्ष में झूठ बोलना, क्रोध करना और दूसरों का अपमान करना वर्जित है।
- तर्पण के बाद ब्राह्मण, गाय, कौवे और कुत्तों को अन्न दान अवश्य करें।
- तर्पण में प्रयुक्त जल और तिल शुद्ध और ताजे होने चाहिए।
- भोजन बर्बाद करना पितरों का अपमान माना जाता है।
तर्पण करने के लाभ
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- वंशजों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।
- परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है।
- आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
- संतान प्राप्ति का योग प्रबल होता है।
- रोग और मानसिक कष्ट दूर होते हैं।
- नौकरी और व्यवसाय में प्रगति होती है।
- कोर्ट केस और विवादों का समाधान होता है।
- घर में समृद्धि और खुशहाली आती है।
- संतान की उन्नति और शिक्षा में लाभ होता है।
- अकाल मृत्यु और संकटों से रक्षा होती है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- पितरों के अधूरे कार्य पूरे होते हैं।
- साधक का आत्मबल और विश्वास बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खुलता है।
सामान्य प्रश्नोत्तर
1. पितृ पक्ष में तर्पण क्यों करना चाहिए?
पितरों की आत्मा को शांति और वंशजों पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
2. क्या घर पर तर्पण किया जा सकता है?
हाँ, यदि नदी या तालाब उपलब्ध न हो तो घर में भी तर्पण कर सकते हैं।
3. तर्पण के लिए कौन-सा पात्र उत्तम है?
तांबे या पीतल का पात्र सर्वोत्तम है।
4. क्या महिलाएँ तर्पण कर सकती हैं?
हाँ, विशेष परिस्थितियों में महिलाएँ भी तर्पण कर सकती हैं।
5. क्या तर्पण प्रतिदिन करना आवश्यक है?
नहीं, अमावस्या या पितरों की तिथि पर करना उत्तम है।
6. क्या तर्पण से तुरंत परिणाम मिलता है?
हाँ, पितरों की कृपा तुरंत घर और परिवार पर अनुभव की जा सकती है।
7. तर्पण में सबसे बड़ी गलती क्या है?
भोजन का अनादर और तर्पण न करना सबसे बड़ी भूल है।
अंत मे
पितृ पक्ष में तर्पण केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सबसे सुंदर माध्यम है। जब हम श्रद्धा से तर्पण करते हैं, तो हमारे पितर प्रसन्न होते हैं और सीधे हमें आशीर्वाद देते हैं। यही आशीर्वाद हमारे जीवन को समृद्ध और सुखी बनाता है।
DivyayogAshram का संदेश है – इस पितृ पक्ष में श्रद्धा और शुद्धता से तर्पण करें और अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें। यकीन मानिए, आपकी जिंदगी बदल जाएगी।