अष्टांग भैरव साधना एक प्रचंड और उग्र साधना है जो भगवान भैरव को समर्पित होती है। यह साधना उनकी क्रोध रूप स्वरुपता को प्राप्त करने का प्रयास करती है और चेतना की स्थिति को अद्वितीय रूप से प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होती है। अष्टांग भैरव साधना में आठ मुख्य चरण (अष्टांग) होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य चेतना को समृद्धि, शक्ति, और सामर्थ्य में वृद्धि करना है। इस साधना में ध्यान, मंत्र जाप, पूजा, ध्यान आदि जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
अष्टांग भैरव साधना के लाभ
- संकटों का निवारण: अष्टांग भैरव साधना साधक के जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों को दूर करती है।
- तंत्र बाधाओं से मुक्ति: यह साधना तंत्र-मंत्र और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
- शत्रु नाश: साधना से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और वे साधक को हानि नहीं पहुँचा पाते।
- आर्थिक समृद्धि: अष्टांग भैरव साधना से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मिक शांति, और गहन आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: यह साधना मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है, जिससे साधक का मन स्थिर और तनावमुक्त रहता है।
- भय से मुक्ति: साधना साधक के सभी प्रकार के भय और असुरक्षा की भावना को समाप्त करती है।
- कार्य सिद्धि: साधक के कार्यों में सफलता और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- विघ्न नाश: जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और साधक के मार्ग में आने वाली अड़चनें समाप्त हो जाती हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: साधना से साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- साहस और आत्मविश्वास: साधक में साहस और आत्मविश्वास का विकास होता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
- परिवारिक सुख-शांति: साधना से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- संकल्प सिद्धि: साधना साधक के संकल्पों की सिद्धि में सहायक होती है और वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
- संपत्ति की रक्षा: साधना से साधक की संपत्ति और धन की रक्षा होती है और उन्हें हानि से बचाया जाता है।
- शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि: साधना से साधक की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे वे जीवन में उत्साह और जोश के साथ आगे बढ़ते हैं।
अष्टांग भैरव साधना सामग्री
- अष्टांग भैरव यंत्र
- सिद्ध भैरव माला
- भैरव गुटिका
- सिद्ध आसन
- रक्षासूत्र
- पवित्र धागे
- तंत्रोक्त नारियाल
- अष्टांग भैरव साधना विधि
- साधक के लिए काली धोती
- मंत्र
- दीक्षा
अष्टांग भैरव साधना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- अष्टांग भैरव कौन हैं?
- अष्टांग भैरव भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं, जिनकी पूजा संकट निवारण, तंत्र बाधा निवारण और शत्रु नाश के लिए की जाती है।
- अष्टांग भैरव साधना का उचित समय कौन सा है?
- साधना के लिए मध्यरात्रि, विशेषकर अमावस्या या भैरव अष्टमी का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- अष्टांग भैरव साधना के लिए कौन-कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता होती है?
- काले कपड़े, काले तिल, सरसों का तेल, धूप, दीया, भैरव प्रतिमा, और माला की आवश्यकता होती है।
- क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?
- नहीं, यह साधना गहन अनुशासन और शुद्धता की मांग करती है, इसलिए इसे योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
- क्या अष्टांग भैरव साधना से तंत्र बाधाओं का निवारण होता है?
- हाँ, यह साधना तंत्र बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
- अष्टांग भैरव साधना कितने समय तक करनी चाहिए?
- साधना की अवधि साधक के उद्देश्य और गुरु के निर्देशों के अनुसार तय होती है, परंतु इसे कम से कम 21 दिनों तक किया जा सकता है।
- क्या इस साधना के दौरान किसी विशेष मंत्र का जाप करना होता है?
- हाँ, इस साधना में अष्टांग भैरव का विशेष मंत्र का जाप किया जाता है, जो साधक को गुरु से प्राप्त होता है।
- साधना के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और नकारात्मक विचारों से दूर रहना आवश्यक है।
- क्या साधना के दौरान भोग लगाना आवश्यक है?
- हाँ, साधना के दौरान भैरव जी को भोग लगाया जाता है, जिसमें मिठाई, मदिरा और अन्य सामग्री हो सकती है।
- क्या यह साधना आर्थिक समस्याओं का निवारण कर सकती है?
- हाँ, यह साधना आर्थिक समस्याओं का निवारण करती है और धन-समृद्धि लाती है।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद भगवान भैरव की आरती करें, आभार व्यक्त करें, और साधना की समाप्ति पर गुरु को दान दें।
- क्या साधना को अधूरा छोड़ने से कोई नकारात्मक प्रभाव होता है?
- हाँ, साधना को अधूरा छोड़ने से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, इसलिए इसे बिना किसी व्यवधान के पूरा करना चाहिए।
- क्या यह साधना विशेष अवसरों पर ही की जा सकती है?
- नहीं, साधक अपनी इच्छानुसार किसी भी समय गुरु के निर्देशानुसार इस साधना को कर सकता है, परंतु भैरव अष्टमी और अमावस्या विशेष रूप से उपयुक्त माने जाते हैं।
- क्या साधना के दौरान किसी प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए?
- साधना में त्रुटि न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। साधना को गंभीरता से और गुरु के निर्देशानुसार करना चाहिए।
- क्या अष्टांग भैरव साधना से साधक को आध्यात्मिक लाभ भी मिलता है?
- हाँ, यह साधना साधक को आध्यात्मिक उन्नति, आत्मज्ञान और गहन शांति की प्राप्ति में मदद करती है।
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