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चण्ड भैरव / Chanda Bhairava Sadhana For Positivity

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चण्ड भैरव साधना एक प्रमुख भैरव साधना है जो भगवान शिव के उग्र रूप चण्ड भैरव को समर्पित है। चण्ड भैरव का ध्यान और साधना करने से व्यक्ति को उसकी अद्भुत शक्तियों और गुणों का अनुभव होता है। यह साधना उसकी सम्पूर्ण क्रोध रूप शक्ति को प्राप्त करने की दिशा में है। इस साधना से व्यक्ति को अपने भय और डर से मुक्ति मिलती है और उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए साहस और संघर्ष करने की क्षमता प्राप्त होती है।

चण्ड भैरव साधना के लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: इस साधना से साधक को जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक शक्ति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
  3. दुश्मनों पर विजय: इस साधना से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  4. तंत्र बाधा से सुरक्षा: चण्ड भैरव साधना तंत्र बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
  5. धन की प्राप्ति: यह साधना साधक को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में मदद करती है।
  6. स्वास्थ्य सुधार: साधना से साधक का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  7. आकर्षण शक्ति: साधक में आकर्षण शक्ति का विकास होता है, जिससे वे दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं।
  8. समाधान और निर्णय क्षमता: साधना से व्यक्ति की समस्याओं का समाधान और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
  9. परिवारिक सुख-शांति: यह साधना परिवार में सुख-शांति और सद्भावना बनाए रखने में सहायक होती है।
  10. आध्यात्मिक ज्ञान: साधक को गहन आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभूति प्राप्त होती है।
  11. शांति और संतुलन: साधना से मन में शांति और जीवन में संतुलन आता है।
  12. साहस और आत्मविश्वास: साधना साधक में साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
  13. विघ्न बाधा निवारण: साधना से जीवन की सभी विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
  14. कार्य सिद्धि: साधना से कार्यों की सिद्धि और जीवन में उन्नति होती है।
  15. भय से मुक्ति: साधना से साधक के सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।

चण्ड भैरव साधना सामग्री

  1. चण्ड भैरव यंत्र
  2. सिद्ध भैरव माला
  3. भैरव गुटिका
  4. सिद्ध आसन
  5. रक्षासूत्र
  6. पवित्र धागे
  7. तंत्रोक्त नारियाल
  8. चण्ड भैरव साधना विधि
  9. साधक के लिए काली धोती
  10. चण्ड भैरव मंत्र
  11. दीक्षा

चण्ड भैरव साधना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

  1. चण्ड भैरव कौन हैं?
    • चण्ड भैरव भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं, जो सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करते हैं।
  2. चण्ड भैरव साधना का शुभ मुहूर्त कौन सा है?
    • साधना के लिए मध्यरात्रि, विशेषकर अमावस्या की रात सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
  3. चण्ड भैरव साधना करने के लिए कौन-कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता होती है?
    • काले कपड़े, काली मिर्च, नींबू, सरसों का तेल, भैरव प्रतिमा, धूप, दीया आदि की आवश्यकता होती है।
  4. क्या चण्ड भैरव साधना हर कोई कर सकता है?
    • नहीं, यह साधना गहन अनुशासन और संयम की मांग करती है, इसलिए इसे योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
  5. साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • साधना के दौरान मन में पूर्ण एकाग्रता, अनुशासन और शुद्धता का पालन करना आवश्यक है।
  6. क्या चण्ड भैरव साधना से शत्रु दोष दूर होते हैं?
    • हाँ, यह साधना शत्रु दोष और उनके प्रभावों को दूर करती है।
  7. चण्ड भैरव साधना कितनी अवधि तक करनी चाहिए?
    • यह साधना कम से कम 21 दिनों तक की जाती है, लेकिन अवधि साधक के उद्देश्य और गुरु के निर्देशों पर निर्भर करती है।
  8. क्या इस साधना में कोई विशिष्ट मंत्र का जाप करना पड़ता है?
    • हाँ, इस साधना में चण्ड भैरव का विशेष मंत्र का जाप किया जाता है, जो साधक को गुरु से प्राप्त होता है।
  9. क्या चण्ड भैरव साधना से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
    • हाँ, इस साधना से आर्थिक बाधाओं का निवारण होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
  10. क्या यह साधना केवल पुरुष कर सकते हैं?
    • नहीं, यह साधना पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं, लेकिन गुरु की अनुमति आवश्यक है।
  11. साधना के दौरान क्या भोग लगाना चाहिए?
    • भैरव जी को विशेषकर मदिरा, मिठाई, और काले तिल का भोग लगाया जाता है।
  12. साधना के लिए कौन सा दिन उपयुक्त होता है?
    • शनिवार और रविवार, विशेष रूप से काल भैरव अष्टमी का दिन, साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  13. चण्ड भैरव साधना में कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • साधक को शुद्ध आहार, ब्रह्मचर्य, और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
  14. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए?
    • साधना में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए, अन्यथा इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।
  15. साधना के बाद क्या करना चाहिए?
    • साधना के बाद भगवान भैरव की आरती करें और आभार व्यक्त करें, साथ ही साधना की समाप्ति पर गुरु को दान दें।

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