अहंकार को नष्ट करने वाली छिन्नमस्ता माता १० महाविद्या मे एक महाविद्या है. जो कि शत्रुओं की काल मानी जाती है। छिन्नमस्ता का नाम संस्कृत शब्द "छिन्न" और "मस्तक" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "सिर कटा हुआ"। इसका अर्थ है कि वह देवी जो अपने भक्तों के अज्ञान और अहंकार को नष्ट कर देती हैं।
छिन्नमस्ता माता का रूप भयंकर और भयावह होता है। वह तीन मुखों वाली होती हैं और उनका एक हाथ विक्षिप्त होता हैं, जिसमें उसके सिर का भाग होता हैं। छिन्नमस्ता माता की पूजा और साधना मुख्य रूप से तांत्रिक साधनाओं में की जाती हैं, जिसमें मंत्र, यंत्र, तंत्र और क्रियाओं का प्रयोग होता हैं।
छिन्नमस्ता माता की साधना से अपने अज्ञान और अहंकार को नष्ट कर व्यक्ति को अन्तर्मुक्ति की प्राप्ति होती हैं, और उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती हैं। छिन्नमस्ता माता की उपासना से भक्त को स्वतंत्रता, उत्तरदायित्व और सामर्थ्य का अनुभव होता हैं।
छिन्नमस्ता साधना के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक स्तर पर उच्चतम अनुभव प्राप्त होते हैं।
- आत्म-नियंत्रण: मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति मिलती है।
- साहस और आत्मविश्वास: साधक में साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- अभयता: किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
- वैराग्य की प्राप्ति: संसारिक बंधनों से मुक्ति और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
- कर्म बंधन से मुक्ति: पूर्व जन्मों के कर्म बंधनों से मुक्ति मिलती है।
- सभी बाधाओं का नाश: जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक समस्याओं का समाधान और धन की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं से मुक्ति और विजय प्राप्त होती है।
- शक्तियों की प्राप्ति: साधक को अनेक प्रकार की तांत्रिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
- अदृश्य शक्तियों का नियंत्रण: अदृश्य शक्तियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
- सुख और शांति: जीवन में सुख, शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
- समाधि अवस्था: गहरी ध्यान अवस्था और समाधि की प्राप्ति होती है।
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छिन्नमस्ता साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न
- छिन्नमस्ता साधना क्या है?
- यह एक तांत्रिक साधना है जिसमें देवी छिन्नमस्ता की आराधना की जाती है।
- छिन्नमस्ता देवी कौन हैं?
- छिन्नमस्ता देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो आत्म-संयम और साहस की प्रतीक हैं।
- साधना के लिए कौन सा मंत्र प्रयोग होता है?
- छिन्नमस्ता मंत्र जैसे "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा" का जाप किया जाता है।
- छिन्नमस्ता साधना कब और कैसे की जाती है?
- अमावस्या, पूर्णिमा या विशेष तांत्रिक तिथियों पर रात्रि के समय साधना की जाती है।
- साधना के दौरान कौन से आसन का प्रयोग करें?
- पद्मासन, सिद्धासन, या किसी भी आरामदायक ध्यान आसन का प्रयोग करें।
- साधना के लिए कौन सी दिशा उत्तम होती है?
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करना उत्तम माना जाता है।
- क्या साधना में किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
- हाँ, जैसे कि चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य।
- क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?
- नहीं, यह साधना गुरु के मार्गदर्शन में और उनके अनुमति से ही की जानी चाहिए।
- छिन्नमस्ता साधना का प्रभाव कब से दिखाई देता है?
- यह साधक की श्रद्धा, विश्वास, और निरंतरता पर निर्भर करता है।
- साधना के दौरान कितने मंत्र जाप करना चाहिए?
- प्रारंभ में 108 बार, फिर 1008 बार या अधिक जाप करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद प्रसाद वितरण करें और अपने अनुभव को गुरु से साझा करें।
- साधना में ध्यान कैसे करें?
- छिन्नमस्ता देवी की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान करें और उनके रूप, गुण, और कृपा का ध्यान करें।
- क्या साधना में विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
- हाँ, साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
- छिन्नमस्ता साधना के लिए क्या कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?
- हाँ, साधना से पहले स्वच्छता और मन की शुद्धि आवश्यक है।
- क्या छिन्नमस्ता साधना से हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है?
- हाँ, छिन्नमस्ता साधना से जीवन की कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है, लेकिन यह साधक की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।
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