नंदीकेश्वर भैरव रूप भगवान शिव के अंश माने जाते है। हालाँकि, शिव भक्तों में यह मान्यता है कि नंदी, जो भगवान शिव की वाहन हैं, उनका एक रूप भैरव भी है। कुछ कथाओं के अनुसार, नंदी ने कठिन तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें वरदान मांगा था कि वे हमेशा शिव के साथ रहें। कुछ मान्यताओं में यही वरदान उन्हें भैरव के रूप में प्राप्त हुआ माना जाता है।
नंदिकेश्वर भैरव को विशेष रूप से सुरक्षा, शत्रु बाधा निवारण, और तंत्र साधनाओं में सिद्धि के लिए पूजा जाता है।
नंदिकेश्वर भैरव साधना के लाभ
- शत्रुओं से सुरक्षा: नंदिकेश्वर भैरव साधना करने से साधक को शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। साधक को किसी भी प्रकार की शत्रु बाधा, दुश्मनी, और अनिष्ट शक्तियों से बचाया जाता है।
- तंत्र बाधाओं का निवारण: यह साधना तांत्रिक बाधाओं को दूर करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। साधक को तांत्रिक शक्तियों से प्राप्त समस्याओं का समाधान मिलता है।
- मनोकामना पूर्ति: नंदिकेश्वर भैरव साधना से साधक की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, विशेषकर कठिन और असाधारण इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- धन और समृद्धि: इस साधना से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जीवन में आर्थिक उन्नति और समृद्धि का संचार होता है।
- मंत्र सिद्धि: नंदिकेश्वर भैरव की साधना करने से साधक को मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है, जिससे मंत्रों के जप का प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो जाता है।
- आध्यात्मिक शक्ति: साधना के माध्यम से साधक की आध्यात्मिक शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है। साधक को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
- नकारात्मकता से मुक्ति: साधना के दौरान साधक को सभी प्रकार की नकारात्मकता, बुरे विचार, और अनिष्ट शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- शारीरिक और मानसिक बल: साधना के प्रभाव से साधक के शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि होती है, जिससे वह अधिक आत्मविश्वास और साहस से कार्य कर सकता है।
- भयमुक्ति: नंदिकेश्वर भैरव की साधना से साधक के मन से भय और आशंका का नाश होता है। साधक निर्भीक और साहसी बनता है।
- तांत्रिक विद्या में सिद्धि: यह साधना तांत्रिक विद्या में सिद्धि पाने के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। साधक को तंत्र मार्ग में उन्नति प्राप्त होती है।
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नंदिकेश्वर भैरव साधना से संबंधित
- नंदिकेश्वर भैरव कौन हैं? नंदिकेश्वर भैरव भगवान शिव का एक उग्र रूप है, जिसे विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं और शत्रु बाधा निवारण के लिए पूजा जाता है।
- इस नंदिकेश्वर भैरव साधना का उद्देश्य क्या है? इस साधना का मुख्य उद्देश्य शत्रु बाधा निवारण, तंत्र बाधाओं का निवारण, और साधक को सुरक्षा प्रदान करना है।
- क्या साधना के लिए किसी गुरु की आवश्यकता होती है? हां, तांत्रिक साधनाओं को सुरक्षित और सफलतापूर्वक करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है।
- नंदिकेश्वर भैरव साधना कितने दिन करनी चाहिए? साधना की अवधि साधक की क्षमता और आवश्यकताओं पर निर्भर करती है। आमतौर पर 21, 41, या 108 दिनों की साधना की जाती है।
- क्या साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है? हां, साधना के दौरान व्रत या उपवास रखने से साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है।
- साधना के लिए कौन सा दिन उपयुक्त है? नंदिकेश्वर भैरव साधना के लिए रविवार, मंगलवार, या अमावस्या का दिन विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है।
- क्या महिलाएं भी यह साधना कर सकती हैं? हां, महिलाएं भी गुरु के मार्गदर्शन में इस साधना को कर सकती हैं।
- नंदिकेश्वर भैरव साधना के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए? हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्धता, और धूम्रपान-मद्यपान से बचना आवश्यक है।
- साधना के समय कौन सा आसन प्रयोग करना चाहिए? साधना के दौरान कुशासन या ऊनी आसन का प्रयोग करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए? साधना के समापन पर नंदिकेश्वर भैरव की विशेष पूजा-अर्चना और हवन करना चाहिए।
- नंदिकेश्वर भैरव साधना के समय कौन सा मंत्र जप करना चाहिए? साधक को गुरु द्वारा दिए गए नंदिकेश्वर भैरव मंत्र का जप करना चाहिए।
- क्या साधना के लिए किसी विशेष दिशा का चयन करना चाहिए? साधना के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठना श्रेष्ठ माना जाता है।
- क्या साधना के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है? साधना के लिए कुशासन, तांबे का लोटा, रुद्राक्ष की माला, और भैरव की मूर्ति या चित्र आवश्यक होते हैं।
- साधना में असफल होने के क्या कारण हो सकते हैं? साधना में असफलता का कारण साधना के नियमों का पालन न करना, गुरु का मार्गदर्शन न होना, या एकाग्रता की कमी हो सकते हैं।
- साधना के सफल होने पर क्या अनुभव होता है? साधना के सफल होने पर साधक को विशेष आत्मविश्वास, सुरक्षा, और आंतरिक शांति का अनुभव होता है। साधक को तंत्र साधनाओं में सिद्धि प्राप्त होती है।
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