ये नव दुर्गा की नौ दिव्य शक्तियों की साधना होती है। ये शक्तियां सृष्टी को संचालित करती है।, माता शैलपुत्री, माता ब्रह्मचारिणी, माता चंद्रघंटा, माता कूष्मांडा, माता स्कंदमाता, माता कात्यायनी, माता कालरात्रि, माता महागौरी और माता सिद्धिदात्री। नव दुर्गाओं में से प्रत्येक देवी नवरात्रि के विशिष्ट दिन (तिथि) से जुड़ी हुई है। अत: नवरात्रि के उस विशेष दिन उस दुर्गा की पूजा करने से उत्तम फल प्राप्त होता है।
नवदुर्गा साधना के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक शांति और ध्यान में गहराई प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सफलता मिलती है।
- शत्रु नाश: शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
- दुर्भाग्य से मुक्ति: दुर्भाग्य और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- रोगों से मुक्ति: विभिन्न बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
- ज्ञान और बुद्धि: ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है।
- रचनात्मकता का विकास: रचनात्मकता और सृजनशीलता को बढ़ावा मिलता है।
- व्यावसायिक सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
- विवाह में सफलता: विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
- दृढ़ संकल्प: आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प में वृद्धि होती है।
- शांति और संतुलन: मानसिक शांति और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है।
नवदुर्गा साधना मुहूर्त
- दिन: शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक, नवरात्रि।
- समय: सूर्यास्त के बाद
- दिशा: पूर्व
- साधना अवधि: 9 दिन
- मंत्र जाप : प्रतिदिन 11 माला
- साधना स्थल: कोई शांतिपूर्ण कमरा या पूजा स्थल।
नवदुर्गा साधना सामग्री
- सिद्ध नवदुर्गा माला
- सिद्ध नवदुर्गा यंत्र
- Siddha navdurga parad gutika
- सिद्ध नव दुर्गा श्रंगार
- Siddha chunri
- सिद्ध नव दुर्गा आसन
- Raksha sutra
- जनेऊ
- नव-दुर्गा साधना मंत्र
- नव-दुर्गा साधना विधि
- Navdurga diksha
नवदुर्गा साधना का मुहूर्त
- शुभ समय: नवदुर्गा साधना करने का सबसे शुभ समय नवरात्रि का होता है। विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि महत्वपूर्ण होते हैं।
- दिन: साधना का आरंभ किसी भी शुभ दिन, विशेषकर मंगलवार या शुक्रवार को करना उत्तम माना जाता है।
- समय: प्रातः काल (सूर्योदय से पूर्व) या संध्या काल (सूर्यास्त के समय) सबसे उत्तम माने जाते हैं।
- अवधि: साधना को निरंतर 9 दिनों तक करना चाहिए। यदि संभव न हो तो कम से कम 3, 5 या 7 दिन तक की जा सकती है।
नवदुर्गा साधना से संबंधित सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न
- नवदुर्गा साधना क्या है?
- यह 9 रूपों वाली देवी दुर्गा की उपासना है, जो नवरात्रि के दौरान की जाती है।
- साधना कब शुरू करनी चाहिए?
- नवरात्रि के पहले दिन या किसी शुभ मुहूर्त में, विशेषकर मंगलवार या शुक्रवार को।
- कौन-कौन से देवी रूपों की पूजा की जाती है?
- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।
- साधना के लिए कौन सा मंत्र उपयोग करना चाहिए?
- नवदुर्गा के बीज मंत्र और प्रत्येक देवी के विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए।
- साधना के दौरान क्या नियम पालन करने चाहिए?
- ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, और नियमित पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- क्या नवदुर्गा साधना को किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
- हां, एक शांत और पवित्र स्थान पर साधना करनी चाहिए।
- क्या साधना के लिए विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
- सफेद या पीले वस्त्र धारण करना उत्तम होता है।
- क्या नवदुर्गा साधना के दौरान उपवास रखना आवश्यक है?
- उपवास रखना लाभकारी होता है, लेकिन स्वास्थ्य के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान किसी विशेष प्रकार की आरती करनी चाहिए?
- हां, नवदुर्गा की आरती और विशेष भजनों का गायन करना चाहिए।
- साधना का असर कब दिखाई देता है?
- नियमित साधना और श्रद्धा के साथ करने पर साधना का असर जल्दी दिखाई देता है।
- क्या साधना के दौरान विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
- हां, फल, फूल, मिठाई, और नारियल का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
- क्या नवदुर्गा साधना के दौरान दीपक जलाना आवश्यक है?
- हां, दीपक और धूप-अगरबत्ती जलाना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान घर को सजाना चाहिए?
- हां, घर को साफ-सुथरा और सजाना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हो सकते हैं?
- हां, परिवार के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं, यह सामूहिक साधना को और प्रभावी बनाता है।
- साधना समाप्ति के बाद क्या करना चाहिए?
- नवदुर्गा साधना समाप्ति के बाद देवी का आभार प्रकट करना और प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
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