पचली भैरव साधना एक प्रमुख तंत्र साधना है जो सबसे ज्यादा नेपाल मे की जाती है। इस साधना का मुख्य उद्देश्य भैरव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति है। यह साधना विशेषतः तंत्र मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए प्रभावी मानी जाती है।
पचली भैरव साधना के लाभ
- भय का नाश: इस साधना से व्यक्ति के भीतर के सभी भय समाप्त हो जाते हैं।
- सुरक्षा की भावना: साधना करने से व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा मिलती है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं से बचाव और उनकी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- तंत्र बाधाओं का नाश: साधना करने से तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- आर्थिक स्थिरता: पचली भैरव की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
- व्यवसाय में सफलता: साधना से व्यापार में वृद्धि और उन्नति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: साधना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- गृहस्थ जीवन में सुख: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
- मानसिक शक्ति: साधक की मानसिक शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है और उसे आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- मनोकामना पूर्ति: इस साधना से साधक की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
- समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
- संकल्प शक्ति: साधक की संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है।
- क्लेश और कष्टों से मुक्ति: साधना से जीवन के क्लेश और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा का विकास: साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है।
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पचली भैरव साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न
- पचली भैरव साधना किसे करनी चाहिए?
- यह साधना उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने जीवन में भय, शत्रु बाधा, और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति चाहते हैं।
- साधना का समय क्या है?
- साधना का उत्तम समय मध्यरात्रि (रात्रि 12 बजे के बाद) होता है, लेकिन इसे ब्रह्ममुहूर्त में भी किया जा सकता है।
- क्या इस साधना को घर पर किया जा सकता है?
- हां, पचली भैरव साधना को घर पर भी किया जा सकता है, लेकिन साधना स्थल को पवित्र और शांत रखना चाहिए।
- साधना के दौरान क्या विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
- साधना के लिए विशेष रूप से लाल आसन, भैरव यंत्र, दीपक, धूप, काले तिल और अन्य पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।
- साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
- यह साधना न्यूनतम 21 दिनों तक नियमित रूप से करनी चाहिए, और अगर संभव हो तो 40 दिनों तक करें।
- क्या साधना के दौरान किसी विशेष नियम का पालन करना पड़ता है?
- हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक आहार, और मन की शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
- क्या साधना के दौरान कोई विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
- हां, "ॐ ह्रीं भैरवाय नमः" मंत्र का जाप करते हुए साधना करनी चाहिए।
- साधना के दौरान क्या कोई विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
- साधना के दौरान साधक को लाल या काले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
- क्या साधना के बाद भैरवजी को भोग लगाना चाहिए?
- हां, साधना के अंत में भैरवजी को काले तिल और गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
- अगर साधना के दौरान कोई बाधा आती है तो क्या करना चाहिए?
- अगर साधना के दौरान कोई बाधा आती है, तो शांत मन से भैरवजी का स्मरण करते हुए साधना जारी रखनी चाहिए और गुरु से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
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