पाताल भैरव साधना एक प्रमुख तंत्र साधना है जो भगवान भैरव के इस विशेष स्वरूप की उपासना करती है। इस साधना का मुख्य उद्देश्य भैरव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति जमीन के अंदर के धातुओं की खोज करना भी होता है। यह साधना विशेषतः तंत्र मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए प्रभावी मानी जाती है।
पाताल भैरव साधना के लाभ
- भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति: पाताल भैरव साधना से साधक को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में उन्नति प्राप्त होती है।
- शत्रु बाधा का निवारण: यह साधना शत्रुओं से रक्षा करती है और उनके द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं का निवारण करती है।
- आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति: साधक को विशेष आध्यात्मिक शक्तियों और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- तांत्रिक शक्तियों का विकास: यह साधना तांत्रिक शक्तियों के विकास के लिए जानी जाती है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति: पाताल भैरव साधना से साधक को धन, संपत्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- क्लेश और पीड़ा से मुक्ति: साधना से जीवन में आने वाले क्लेश और पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
- संकटों से सुरक्षा: पाताल भैरव साधना से साधक को जीवन में आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है।
- रोगों से मुक्ति: साधना के माध्यम से साधक शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति पा सकता है।
- विघ्न-बाधाओं का नाश: साधना से सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
- सपनों और काल्पनिक भय का निवारण: साधना से साधक के सपनों और काल्पनिक भय का निवारण होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: साधक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता है।
- परिवार में सुख-शांति: साधना से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
- आकर्षण शक्ति: साधना से साधक के व्यक्तित्व में आकर्षण शक्ति का विकास होता है।
- कर्ज से मुक्ति: पाताल भैरव साधना साधक को कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: साधना से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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पाताल भैरव साधना से संबंधित पृश्न उत्तर
- पाताल भैरव साधना क्या है?
- पाताल भैरव साधना एक तांत्रिक साधना है जो भैरव के पाताल स्वरूप की उपासना के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य साधक को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करना है।
- साधना का उपयुक्त समय क्या है?
- साधना का उपयुक्त समय रात का है, विशेषकर अमावस्या की रात में इसे करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
- क्या साधना के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
- हां, इस साधना के लिए काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल, रुद्राक्ष की माला और पाताल भैरव यंत्र की आवश्यकता होती है।
- साधना के दौरान कौन सा मंत्र जपना चाहिए?
- साधना के दौरान पाताल भैरव का विशेष मंत्र जपना चाहिए। इस मंत्र की दीक्षा गुरु से लेना आवश्यक होता है।
- क्या पाताल भैरव साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
- हां, इस साधना को सही विधि से करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और दीक्षा आवश्यक होती है।
- साधना की अवधि कितनी होनी चाहिए?
- साधना की अवधि 21, 41, या 108 दिनों की हो सकती है, जो साधक की क्षमता और साधना के उद्देश्य पर निर्भर करती है।
- क्या साधना को बीच में रोका जा सकता है?
- नहीं, साधना को बीच में रोकना उचित नहीं होता। इसे नियमित रूप से पूरी अवधि तक करना चाहिए।
- क्या पाताल भैरव साधना के दौरान उपवास करना आवश्यक है?
- साधना के दौरान संयम, शुद्ध आहार और व्रत का पालन करना लाभकारी होता है।
- साधना के लिए कौन सी दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए?
- साधना करते समय साधक को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान संयम, शुद्धता, ध्यान की एकाग्रता और गुरु के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
- पाताल भैरव साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना समाप्त होने पर गुरु और पाताल भैरव को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान कोई कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है?
- साधना के प्रारंभिक चरणों में साधक को कुछ मानसिक या शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह साधना में निरंतरता और धैर्य से दूर हो सकती हैं।
- क्या महिलाएं पाताल भैरव साधना कर सकती हैं?
- हां, महिलाएं भी इस साधना को कर सकती हैं, लेकिन माहवारी के दौरान साधना से दूर रहना चाहिए।
- पाताल भैरव साधना के दौरान क्या विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान साधक को संयम, ब्रह्मचर्य और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए।
- साधना के प्रभाव कब तक दिखने लगते हैं?
- साधना का प्रभाव साधक की निष्ठा, एकाग्रता और साधना की अवधि पर निर्भर करता है। सामान्यत: 21 या 41 दिनों के बाद परिणाम दिखने लगते हैं।
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