राज राजेश्वरी यक्षिणी साधना क्या है?
राज राजेश्वरी यक्षिणी साधना तंत्र साधना की एक शक्तिशाली विधि है, जिसे व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति, समृद्धि, सौभाग्य, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए करता है। राज राजेश्वरी यक्षिणी को मां लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है और वह साधक को अपनी कृपा से धनी, सुखी और संतुष्ट बनाती हैं।
राज राजेश्वरी यक्षिणी साधना के लाभ
- धन और संपत्ति में वृद्धि: साधक को आर्थिक रूप से समृद्धि प्राप्त होती है।
- सौभाग्य और खुशहाली: जीवन में सौभाग्य और खुशहाली आती है।
- व्यावसायिक उन्नति: व्यापार या नौकरी में उन्नति मिलती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: साधक की इच्छाएं पूरी होती हैं।
- परिवार में शांति: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- रोगों से मुक्ति: साधना से स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग दूर होते हैं।
- शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं और विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।
- मानसिक शांति: साधना से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: साधना से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
- प्रभावित करने की क्षमता: साधक में लोगों को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ती है।
- सभी प्रकार के बाधाओं का निवारण: जीवन की विभिन्न बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- आकर्षण शक्ति: साधक के व्यक्तित्व में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
- सुखद विवाह: अविवाहितों के लिए अच्छा विवाह योग बनता है।
- शांति और संतोष: साधक के जीवन में शांति और संतोष का भाव आता है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति: साधना से सभी इच्छाएं और अपेक्षाएं पूरी होती हैं।
- संवेदनशीलता और करुणा: साधक के हृदय में करुणा और संवेदनशीलता की भावना जागृत होती है।
- संतान सुख: नि:संतान दंपतियों के लिए संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- विद्या और बुद्धि की वृद्धि: साधक की विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- दिव्य दृष्टि: साधना से साधक को दिव्य दृष्टि की प्राप्ति हो सकती है।
राज राजेश्वरी यक्षिणी साधना के नियम
- साधना का समय: रात का समय साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
- आसन: काले या लाल आसन पर बैठकर साधना करनी चाहिए।
- मंत्र: राज राजेश्वरी यक्षिणी का विशेष मंत्र जाप करना आवश्यक होता है। यह मंत्र गुरु से दीक्षा के बाद प्राप्त होता है।
- नियमितता: साधना नियमित रूप से करनी चाहिए, साधना के दौरान कोई भी दिन छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
- शुद्धता: साधना करते समय मन, वचन, और कर्म की शुद्धता आवश्यक होती है।
- एकांत स्थान: साधना के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें, जहाँ कोई विघ्न न हो।
- व्रत: साधना के दौरान साधक को व्रत का पालन करना चाहिए, जिसमें सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन शामिल हो।
- गुरु निर्देश: राज राजेश्वरी यक्षिणी को शुरू करने से पहले गुरु से अनुमति और आशीर्वाद लेना अनिवार्य है।
- पूजा सामग्री: साधना में प्रयोग होने वाली पूजा सामग्री जैसे लाल कपड़ा, कमल का फूल, चंदन, धूप, दीपक आदि की व्यवस्था करनी चाहिए।
- अनुष्ठान का पालन: साधना के दौरान सभी अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए, जैसे विशेष दिनों पर हवन, यज्ञ आदि।
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सावधानियाँ
- गुरु की सलाह से ही करें: साधना को गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
- नियमितता में कमी न करें: साधना के दौरान नियमितता में कमी नहीं आनी चाहिए।
- शुद्धता का ध्यान रखें: साधना में शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
- अशुभ विचारों से बचें: साधना के समय अशुभ और नकारात्मक विचारों से बचें।
- आकर्षण और मोह से दूर रहें: राज राजेश्वरी यक्षिणी के फलस्वरूप आकर्षण और मोह के प्रति सतर्क रहें।
- निर्धारित समय का पालन करें: साधना के लिए निर्धारित समय का पालन करना चाहिए।
- आहार पर ध्यान दें: राज राजेश्वरी यक्षिणी के दौरान सात्विक आहार का ही सेवन करें।
- व्रत का पालन करें: साधना के दौरान व्रत का पालन आवश्यक होता है।
- अकेले करें साधना: इस साधना को अकेले करना चाहिए, किसी को इसके बारे में जानकारी न दें।
- भयमुक्त रहें: राज राजेश्वरी यक्षिणी के दौरान किसी भी प्रकार का भय मन में न रखें।
सामान्य प्रश्न
- यह साधना किसके लिए उपयुक्त है?
- यह साधना उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति, आर्थिक समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति की चाह रखते हैं।
- क्या साधना के लिए कोई विशेष दिन होता है?
- साधना को किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा या अमावस्या के दिन से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।
- इस राज राजेश्वरी यक्षिणी के लिए गुरु की आवश्यकता क्यों है?
- गुरु के बिना साधना का सही मार्गदर्शन और परिणाम प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। गुरु साधना के दौरान आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में सहायता करते हैं।
- साधना के दौरान कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
- राजा राजेश्वरी यक्षिणी के विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए, जो गुरु से प्राप्त होता है।
- क्या साधना को अधूरी छोड़ सकते हैं?
- नहीं, साधना को अधूरी छोड़ना अशुभ माना जाता है। इसे शुरू करने के बाद पूरा करना चाहिए।
- राज राजेश्वरी यक्षिणी के परिणाम कब तक मिलते हैं?
- साधक की निष्ठा और साधना की विधि के अनुसार परिणाम भिन्न हो सकते हैं। कुछ लोगों को शीघ्र परिणाम मिलते हैं, जबकि कुछ को समय लग सकता है।
- क्या साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
- हाँ, साधना के दौरान व्रत रखने से साधना की शक्ति और प्रभाव बढ़ता है।
- क्या साधना में परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हो सकते हैं?
- यह साधना व्यक्तिगत होती है, इसे अकेले करना ही उचित है।
- साधना के दौरान अगर कोई विघ्न आए तो क्या करना चाहिए?
- गुरु से सलाह लेकर साधना को फिर से शुरू करना चाहिए।
- क्या राज राजेश्वरी यक्षिणी में असफलता हो सकती है?
- यदि साधना में विधि, नियम, और गुरु के निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो असफलता हो सकती है।
- साधना के दौरान किन वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए?
- लाल या सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- क्या साधना के दौरान संगीत या भजन सुन सकते हैं?
- हाँ, साधना के दौरान भक्ति संगीत या भजन सुन सकते हैं, यह मन को एकाग्र करता है।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद साधक को गुरु को धन्यवाद देना चाहिए और साधना के फल के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए।
- राज राजेश्वरी यक्षिणी के दौरान क्या मनोकामनाएँ सोची जा सकती हैं?
- साधना के दौरान शुद्ध और सकारात्मक मनोकामनाएँ सोचनी चाहिए।
- क्या साधना को पुनः शुरू किया जा सकता है?
- हाँ, यदि साधना अधूरी रह गई हो, तो इसे पुनः शुरू किया जा सकता है, लेकिन गुरु से सलाह अवश्य लें।
राज राजेश्वरी यक्षिणी साधना एक दिव्य और पवित्र साधना है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करें, और साधना के नियमों का पालन अवश्य करें।
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