तामसिक उर्जा को नष्ट करने वाली राक्षसेश्वर भैरव साधना एक प्रमुख तंत्र साधना है जो भगवान भैरव के इस विशेष स्वरूप की उपासना करती है। इस साधना का मुख्य उद्देश्य भैरव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति है। यह साधना विशेषतः तंत्र मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए प्रभावी मानी जाती है।
राक्षसेश्वर भैरव साधना के लाभ
- शत्रुओं पर विजय: राक्षसेश्वर भैरव साधना से साधक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह साधना साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं, तांत्रिक बाधाओं और बुरी शक्तियों से बचाती है।
- आत्मबल और साहस में वृद्धि: साधना के माध्यम से साधक का आत्मबल और साहस बढ़ता है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है।
- संकटों से मुक्ति: साधना से साधक को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- आर्थिक समृद्धि: राक्षसेश्वर भैरव साधना से साधक को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: साधना के द्वारा साधक को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति: साधना से साधक को शारीरिक और मानसिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
- तांत्रिक शक्ति: यह साधना साधक को तांत्रिक शक्तियों की प्राप्ति में मदद करती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधना से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है, जिससे उसे आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- परिवार में सुख-शांति: साधना से साधक के परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
- भय का नाश: राक्षसेश्वर भैरव साधना से साधक के भीतर का सभी प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।
- संपत्ति की रक्षा: साधना से साधक अपनी संपत्ति और धन की सुरक्षा कर सकता है।
- क्लेशों का निवारण: साधना के माध्यम से साधक जीवन के क्लेशों और कष्टों से मुक्त हो जाता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: साधना के द्वारा साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- सिद्धियों की प्राप्ति: राक्षसेश्वर भैरव साधना से साधक को विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है।
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राक्षसेश्वर भैरव साधना से संबंधित पृश्न उत्तर
- राक्षसेश्वर भैरव साधना क्या है?
- राक्षसेश्वर भैरव साधना एक तांत्रिक साधना है, जो भैरव के राक्षसेश्वर रूप की उपासना के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य शत्रुओं पर विजय, तांत्रिक शक्तियों की प्राप्ति, और जीवन में सुरक्षा प्राप्त करना है।
- साधना का उपयुक्त समय क्या है?
- साधना का उपयुक्त समय रात्रि 12 से 3 बजे के बीच का है, विशेषकर अमावस्या की रात को इसे करना लाभकारी होता है।
- क्या साधना के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
- हां, इस साधना के लिए काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल, रुद्राक्ष की माला, और भैरव यंत्र की आवश्यकता होती है।
- साधना के दौरान कौन सा मंत्र जपना चाहिए?
- साधना के दौरान राक्षसेश्वर भैरव का विशेष मंत्र जपना चाहिए। यह मंत्र गुरु से दीक्षा लेकर ही करना चाहिए।
- क्या साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
- हां, इस साधना को सही विधि से करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और दीक्षा आवश्यक होती है।
- साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
- साधना को 21, 41 या 108 दिनों तक किया जा सकता है, जो साधक की क्षमता और उद्देश्य पर निर्भर करता है।
- क्या साधना को बीच में रोका जा सकता है?
- नहीं, साधना को बीच में रोकना उचित नहीं है। इसे पूरी अवधि तक नियमित रूप से करना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान व्रत या उपवास करना चाहिए?
- साधना के दौरान संयम, शुद्ध आहार और व्रत का पालन करना लाभकारी होता है।
- साधना के लिए कौन सी दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए?
- साधना करते समय साधक को उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान संयम, शुद्धता, ध्यान की एकाग्रता और गुरु के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना समाप्त होने पर गुरु और राक्षसेश्वर भैरव को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान कोई कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है?
- साधना के प्रारंभिक चरणों में साधक को कुछ मानसिक या शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह साधना में निरंतरता और धैर्य से दूर हो सकती हैं।
- क्या महिलाएं राक्षसेश्वर भैरव साधना कर सकती हैं?
- हां, महिलाएं भी इस साधना को कर सकती हैं, लेकिन माहवारी के दौरान साधना से दूर रहना चाहिए।
- साधना के दौरान क्या विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान साधक को संयम, ब्रह्मचर्य और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए।
- साधना के प्रभाव कब तक दिखने लगते हैं?
- साधना का प्रभाव साधक की निष्ठा, एकाग्रता और साधना की अवधि पर निर्भर करता है। सामान्यत: 21 या 41 दिनों के बाद परिणाम दिखने लगते हैं।
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