रोग प्रोरतिरोधक क्षमता बढाने वाली रोग नाशिनी यक्षिणी साधना, रोगों (रोग, बीमारी) से मुक्ति प्राप्ति में सहायक यक्षिणी की साधना है। ये साधना व्यक्ति को रोगों से बचाव और उनका इलाज करने में मदद करती है।
रोग नाशिनी यक्षिणी साधना के लाभ
- रोगों से मुक्ति: विभिन्न प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है और ऊर्जा का संचार होता है।
- दीर्घायु: साधक को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक चेतना और जागरूकता बढ़ती है।
- प्राकृतिक उपचार: साधना से प्राकृतिक उपचार की शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
- ध्यान में गहराई: ध्यान करने की क्षमता में गहराई और स्थिरता प्राप्त होती है।
- शक्तियों की प्राप्ति: साधक को विभिन्न तांत्रिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
- रोगों की रोकथाम: साधना के माध्यम से रोगों की रोकथाम संभव होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- शारीरिक और मानसिक संतुलन: शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
- विनाशकारी ऊर्जा से सुरक्षा: विनाशकारी ऊर्जा और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है।
- आत्म-विश्वास की वृद्धि: साधना से आत्म-विश्वास और आत्म-संयम में वृद्धि होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
- समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
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रोग नाशिनी यक्षिणी साधना से जुड़े सामान्य प्रश्न
- रोग नाशिनी यक्षिणी साधना क्या है?
- यह एक तांत्रिक साधना है जिसमें रोग नाशिनी यक्षिणी की आराधना की जाती है, जो विभिन्न रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।
- रोग नाशिनी यक्षिणी कौन हैं?
- रोग नाशिनी यक्षिणी एक शक्तिशाली देवी हैं जो शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।
- साधना के लिए कौन सा मंत्र प्रयोग होता है?
- रोग नाशिनी यक्षिणी मंत्र जैसे "ॐ रोग नाशिन्यै नमः" का जाप किया जाता है।
- साधना कब और कैसे की जाती है?
- किसी शुभ मुहूर्त, विशेषकर पूर्णिमा और अमावस्या की रात्रि में साधना की जाती है।
- रोग नाशिनी यक्षिणी साधना के दौरान कौन से आसन का प्रयोग करें?
- पद्मासन, सिद्धासन, या किसी भी आरामदायक ध्यान आसन का प्रयोग करें।
- साधना के लिए कौन सी दिशा उत्तम होती है?
- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करना उत्तम माना जाता है।
- क्या साधना में किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
- हाँ, जैसे कि चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, फूल, और नैवेद्य।
- क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?
- हाँ, लेकिन इसे करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और स्वच्छता आवश्यक है।
- रोग नाशिनी यक्षिणी साधना का प्रभाव कब से दिखाई देता है?
- यह साधक की श्रद्धा, विश्वास, और निरंतरता पर निर्भर करता है।
- साधना के दौरान कितने मंत्र जाप करना चाहिए?
- प्रारंभ में 108 बार, फिर 1008 बार या अधिक जाप करना चाहिए।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना के बाद प्रसाद वितरण करें और अपने अनुभव को गुरु से साझा करें।
- साधना में ध्यान कैसे करें?
- रोग नाशिनी यक्षिणी की मूर्ति या चित्र के सामने ध्यान करें और उनके रूप, गुण, और कृपा का ध्यान करें।
- क्या रोग नाशिनी यक्षिणी साधना में विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
- हाँ, साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
- साधना के लिए क्या कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?
- हाँ, साधना से पहले स्वच्छता और मन की शुद्धि आवश्यक है।
- क्या रोग नाशिनी यक्षिणी साधना से हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है?
- हाँ, रोग नाशिनी यक्षिणी साधना से जीवन की कई समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है, लेकिन यह साधक की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है।
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