आत्मशाक्षात्कार का अनुभव प्रदान करने वाले सम्बरानंद भैरव साधना भैरव उपासना का एक विशेष रूप है जो शक्ति की प्राप्ति और आत्मा के उन्नति के लिए की जाती है। सम्बरानंद भैरव की उपासना करने से साधक को मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक रूप से विकसित होने का अनुभव होता है। यह साधना तंत्र मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
सम्बरानंद भैरव साधना के लाभ
- शांति और मानसिक स्थिरता: सम्बरानंद भैरव साधना से साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधना के द्वारा साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- क्लेशों का निवारण: सम्बरानंद भैरव साधना जीवन में आने वाले क्लेशों और कष्टों को दूर करने में सहायक होती है।
- आकर्षण शक्ति: साधना से साधक के व्यक्तित्व में आकर्षण शक्ति बढ़ती है, जिससे लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं।
- धन और समृद्धि: साधना के माध्यम से साधक को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति: साधना के द्वारा साधक शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
- आर्थिक बाधाओं का निवारण: यह साधना साधक की आर्थिक परेशानियों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।
- परिवार में सुख-शांति: साधना करने से परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
- संकटों से सुरक्षा: सम्बरानंद भैरव साधना से साधक को जीवन में आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है।
- संपत्ति की रक्षा: इस साधना से साधक अपनी संपत्ति और धन की सुरक्षा कर सकता है।
- सफलता की प्राप्ति: साधना के द्वारा साधक को अपने कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: साधना के माध्यम से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि: साधना से साधक का आत्मबल और साहस बढ़ता है।
- शत्रुओं पर विजय: सम्बरानंद भैरव साधना से साधक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।
- आध्यात्मिक और भौतिक संतुलन: साधना से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद मिलती है।
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सम्बरानंद भैरव साधना से संबंधित पृश्न उत्तर
- सम्बरानंद भैरव साधना क्या है?
- सम्बरानंद भैरव साधना एक तांत्रिक साधना है, जो भैरव के सम्बरानंद रूप की उपासना के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य मानसिक शांति, समृद्धि और जीवन के क्लेशों का निवारण करना होता है।
- साधना करने का सही समय क्या है?
- इस साधना को रात्रि के समय, विशेषकर अमावस्या की रात में किया जाना अधिक शुभ माना जाता है।
- क्या साधना के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
- हां, इस साधना के लिए काले वस्त्र, काले तिल, सरसों का तेल, और रुद्राक्ष की माला की आवश्यकता होती है।
- साधना के दौरान कौन सा मंत्र जपना चाहिए?
- सम्बरानंद भैरव साधना के दौरान विशेष सम्बरानंद भैरव मंत्र का जप करना आवश्यक होता है। यह मंत्र गुरु से दीक्षा लेकर ही करना चाहिए।
- क्या इस साधना के लिए गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
- हां, इस साधना को सही विधि से करने के लिए गुरु का मार्गदर्शन और दीक्षा आवश्यक होती है।
- साधना की अवधि कितनी होनी चाहिए?
- साधना की अवधि 21, 41 या 108 दिनों की हो सकती है, जो साधक की क्षमता और उद्देश्य पर निर्भर करती है।
- क्या साधना को बीच में रोका जा सकता है?
- नहीं, साधना को बीच में रोकना उचित नहीं होता। इसे नियमित रूप से पूरी अवधि तक करना चाहिए।
- क्या साधना के दौरान उपवास करना आवश्यक है?
- साधना के दौरान संयम, शुद्ध आहार और व्रत का पालन करना लाभकारी होता है।
- साधना के लिए कौन सी दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए?
- साधना करते समय साधक को उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान संयम, शुद्धता, ध्यान की एकाग्रता और गुरु के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
- साधना के बाद क्या करना चाहिए?
- साधना समाप्त होने पर गुरु और सम्बरानंद भैरव को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए।
- साधना के दौरान कोई कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है?
- साधना के प्रारंभिक चरणों में साधक को कुछ मानसिक या शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह साधना में निरंतरता और धैर्य से दूर हो सकती हैं।
- क्या महिलाएं सम्बरानंद भैरव साधना कर सकती हैं?
- हां, महिलाएं भी इस साधना को कर सकती हैं, लेकिन माहवारी के दौरान साधना से दूर रहना चाहिए।
- साधना के दौरान क्या विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
- साधना के दौरान साधक को संयम, ब्रह्मचर्य और शुद्ध आहार का पालन करना चाहिए।
- साधना के प्रभाव कब तक दिखने लगते हैं?
- साधना का प्रभाव साधक की निष्ठा, एकाग्रता और साधना की अवधि पर निर्भर करता है। सामान्यत: 21 या 41 दिनों के बाद परिणाम दिखने लगते हैं।
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