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उन्मत्त भैरव / Unmattha Bhairava Sadhana For Happiness

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उन्मत्त भैरव साधना भगवान शिव के उग्र रूपों में से एक है। इस साधना का मुख्य उद्देश्य जीवन में समृद्धि, सुख, और आनंद, मन को शुद्ध ,जीवन में सकारात्मक बदलाव और सफलता का अनुभव होता है। उन्मत्त भैरव साधना के लाभों में आत्म-समर्पण, भक्ति, और निष्काम कर्म की भावना का विकास होता है। इस साधना का अभ्यास करने से व्यक्ति को अपने जीवन की दिशा में स्पष्टता और स्थिरता मिलती है और उसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयत्न करने की प्रेरणा मिलती है।

उन्मत्त भैरव साधना के लाभ

  1. सुरक्षा: साधक को भूत-प्रेत, नकारात्मक ऊर्जाओं और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
  2. धन प्राप्ति: साधना से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है और वे साधक को हानि नहीं पहुँचा पाते।
  5. मनोकामना पूर्ति: साधक की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  7. साहस और आत्मविश्वास: साधक का साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  8. संतान सुख: संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  9. व्यवसाय में उन्नति: व्यवसाय में सफलता और उन्नति मिलती है।
  10. शांति और स्थिरता: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  11. भाग्य वृद्धि: साधना से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  12. सभी कार्यों में सफलता: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  13. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति: भूत-प्रेत, तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  14. अज्ञात भय का निवारण: साधक के मन से अज्ञात भय समाप्त होता है।
  15. आकर्षण शक्ति: साधक में आकर्षण शक्ति बढ़ती है जिससे लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं।

उन्मत्त भैरव साधना सामग्री

  1. उन्मत्त भैरव यंत्र
  2. सिद्ध भैरव माला
  3. भैरव पारद गुटिका
  4. सिद्ध आसन
  5. रक्षासूत्र
  6. सिद्ध कौड़ी
  7. पवित्र धागे
  8. तंत्रोक्त नारियाल
  9. उन्मत्त भैरव साधना विधि
  10. साधक के लिए काली धोती
  11. मंत्र
  12. दीक्षा

उन्मत्त भैरव साधना - सामान्य प्रश्न 

  1. उन्मत्त भैरव साधना क्या है? उन्मत्त भैरव साधना एक तांत्रिक साधना है जिसमें भगवान भैरव की आराधना की जाती है ताकि साधक को अनेक लाभ प्राप्त हो सकें।
  2. यह साधना कौन कर सकता है? कोई भी व्यक्ति जो भैरव की कृपा प्राप्त करना चाहता है, यह साधना कर सकता है।
  3. साधना का उचित समय क्या है? साधना रात्रि के समय, विशेषकर अमावस्या या पूर्णिमा की रात को करना सर्वोत्तम माना जाता है।
  4. इस साधना के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए? काले या लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  5. इस साधना के लिए कौन-कौन सी सामग्री चाहिए? उन्मत्त भैरव की मूर्ति या चित्र, काला कपड़ा, दीपक, अगरबत्ती, और नैवेद्य (भोग) आवश्यक होते हैं।
  6. साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए? साधना को 21 दिनों तक निरंतर करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
  7. साधना का मंत्र क्या है? "ॐ उन्मत्त भैरवाय नमः" मंत्र का जाप करना चाहिए।
  8. क्या साधना के दौरान व्रत का पालन करना चाहिए? साधक को मांस, मदिरा आदि का त्याग कर सात्विक भोजन करना चाहिए।
  9. मन को एकाग्र कैसे रखें? उन्मत्त भैरव के चित्र या मूर्ति पर ध्यान केंद्रित करें और मंत्र का जाप करें।
  10. साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखें? साधना करते समय नकारात्मक विचारों और क्रोध से बचें।
  11. क्या साधना के लिए गुरु की आवश्यकता है? गुरु का मार्गदर्शन लेना लाभकारी होता है, परंतु अगर आप आत्मविश्वास से यह साधना कर सकते हैं, तो इसे स्वयं भी कर सकते हैं।
  12. साधना को घर पर कर सकते हैं? हाँ, घर पर शांत और पवित्र वातावरण में इसे कर सकते हैं।
  13. साधना समाप्ति के बाद क्या करना चाहिए? साधना समाप्त होने पर उन्मत्त भैरव को धन्यवाद दें और नैवेद्य को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
  14. साधना का प्रभाव कब तक दिखाई देता है? श्रद्धा और निष्ठा के अनुसार इसका प्रभाव कुछ ही दिनों में दिखाई देने लगता है।
  15. क्या साधना के दौरान किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए? हाँ, साधना के दौरान शुद्धता, संयम और सात्विक जीवनशैली का पालन करना चाहिए।

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