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Putrada Amra Yakshini Mantra – Blessing for Parenthood

पुत्रदा आम्र यक्षिनी मंत्र से संतान प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति का राज़

पुत्रदा आम्र यक्षिनी मंत्र, “दत्तात्रेय तंत्र” में वर्णित एक दिव्य साधना है। यह मंत्र विशेष रूप से संतान सुख और संतान रक्षा हेतु सिद्ध बताया गया है। इसके नियमित जप से भौतिक सुख, कार्य में सफलता, मनोकामना पूर्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। साधक इस मंत्र के माध्यम से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य पुत्रदा आम्र यक्षिनी मंत्रस्य, दत्तात्रेय ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, पुत्रदा आम्र यक्षिनी देवता, पुत्रप्राप्ति सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।

अर्थ:
इस मंत्र का ऋषि दत्तात्रेय हैं, छंद अनुष्टुप है, और देवता पुत्रदा आम्र यक्षिनी हैं। यह मंत्र पुत्र प्राप्ति और कल्याण के लिए जप करने हेतु समर्पित है।


दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे |
  • ॐ भैरवाय नमः |
  • ॐ हनुमते नमः |
  • ॐ वरुणाय नमः |
  • ॐ ईशानाय नमः |
  • ॐ अग्नये नमः |
  • ॐ यमाय नमः |
  • ॐ कुबेराय नमः |
  • ॐ वायवे नमः |
  • ॐ आदित्याय नमः |
  • ॐ सोमाय नमः |
  • ॐ पृथ्व्यै नमः |

अर्थ:
यह मंत्र दसों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाता है।

  1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे: चामुंडा देवी से सभी दिशाओं की रक्षा की प्रार्थना।
  2. ॐ भैरवाय नमः: भैरव को समर्पित, दक्षिण दिशा की सुरक्षा।
  3. ॐ हनुमते नमः: हनुमानजी से ऊर्जा और साहस का आवाहन।
  4. ॐ वरुणाय नमः: पश्चिम दिशा के देवता वरुण से जल और रक्षा की प्रार्थना।
  5. ॐ ईशानाय नमः: ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व) की सुरक्षा।
  6. ॐ अग्नये नमः: अग्नि देव को समर्पित, दक्षिण-पूर्व दिशा की रक्षा।
  7. ॐ यमाय नमः: यमराज से दक्षिण दिशा का सुरक्षा कवच।
  8. ॐ कुबेराय नमः: धन और समृद्धि के देवता कुबेर की उत्तरी दिशा की रक्षा।
  9. ॐ वायवे नमः: वायु देव से उत्तर-पश्चिम दिशा की प्रार्थना।
  10. ॐ आदित्याय नमः: सूर्य देव से ऊर्जा और प्रकाश का आवाहन।
  11. ॐ सोमाय नमः: चंद्रमा से मानसिक शांति और उत्तर दिशा की सुरक्षा।
  12. ॐ पृथ्व्यै नमः: पृथ्वी देवी से स्थायित्व और जीवन रक्षा।

यह दिग्बंधन मंत्र सभी दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा का आवाहन कर साधना स्थल को सुरक्षित करता है।


मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं पुत्रं कुरु कुरु स्वाहा।”

मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

  1. ॐ: यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का प्रतीक है। यह सभी शक्तियों का आवाहन करता है।
  2. ह्रां: यह बीज मंत्र है जो ऊर्जा, शक्ति, और संतुलन का प्रतीक है।
  3. ह्रीं: यह देवी लक्ष्मी और सरस्वती का बीज मंत्र है, जो संपन्नता और ज्ञान का आह्वान करता है।
  4. ह्रूं: यह भगवान शिव का बीज मंत्र है, जो बाधाओं को दूर करता है और इच्छाओं की पूर्ति करता है।
  5. पुत्रं: यह विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान की सुरक्षा के लिए उच्चारित होता है।
  6. कुरु कुरु: यह आदेशात्मक शब्द है, जो कार्य को शीघ्र पूरा करने की प्रार्थना करता है।
  7. स्वाहा: यह समर्पण का प्रतीक है, जो देवी को भेंट चढ़ाने और साधक की भक्ति को दर्शाता है।

संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र देवी यक्षिनी को संबोधित करते हुए उनसे प्रार्थना करता है कि वे साधक को संतान सुख, संतान की रक्षा, और जीवन में खुशहाली प्रदान करें। इसमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा, देवी-देवताओं का आह्वान और उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना की जाती है।

यह मंत्र न केवल संतान सुख के लिए है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है।


मंत्र जप के समय क्या सेवन करें

जप काल में दूध, फल, और सात्विक आहार का सेवन करें। तामसिक चीजों से बचें। शरीर को शुद्ध और उर्जावान बनाए रखें।

पुत्रदा आम्र यक्षिनी मंत्र के 18 लाभ

  1. संतान प्राप्ति।
  2. संतान सुरक्षा।
  3. कार्यों में सफलता।
  4. मनोकामनाओं की पूर्ति।
  5. भौतिक सुख-सुविधाएं।
  6. पारिवारिक शांति।
  7. मानसिक शांति।
  8. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  9. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
  10. जीवन में स्थिरता।
  11. संबंधों में मधुरता।
  12. आध्यात्मिक उन्नति।
  13. शत्रुओं से सुरक्षा।
  14. ग्रह दोषों का निवारण।
  15. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  16. लंबी आयु।
  17. आर्थिक समृद्धि।
  18. जीवन में संतुलन।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

सामग्री: आम के 5 पत्ते, घी का दीपक, पुष्प, अक्षत, जल, साफ कपड़ा।

मंत्र विधि:

  1. साफ स्थान पर आम के 5 पत्ते रखें।
  2. घी का दीपक जलाएं।
  3. 11 दिन तक रोज 20 मिनट इस मंत्र का जप करें।

मंत्र जप का समय और मुहूर्त

जप प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में करें। पूर्णिमा और अमावस्या का दिन विशेष शुभ होता है।


नियम

  1. आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
  3. नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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सावधानियां

  1. जप करते समय मन एकाग्र रखें।
  2. अशुद्ध वस्त्रों से बचें।
  3. किसी को बीच में छेड़ने न दें।
  4. जप के स्थान को पवित्र रखें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह मंत्र केवल स्त्रियां जप सकती हैं?

उत्तर: नहीं, यह मंत्र स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 2: मंत्र जप के लिए कौन-सा समय सर्वोत्तम है?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त, प्रातः 4 से 6 बजे तक।

प्रश्न 3: क्या इस मंत्र से ग्रह दोष दूर होते हैं?

उत्तर: हां, यह ग्रह दोषों को शांत करने में सहायक है।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान कौन-से रंग पहनने से बचना चाहिए?

उत्तर: नीले और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के बाद भोग चढ़ाना आवश्यक है?

उत्तर: हां, देवी को फल, मिठाई, या जल का भोग लगाएं।

प्रश्न 6: क्या गर्भवती स्त्रियां इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, परंतु स्वास्थ्य के अनुसार समय निर्धारित करें।

प्रश्न 7: मंत्र जप में कितने दिन लगते हैं?

उत्तर: यह साधना 11 से 13 दिनों तक की जाती है।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है?

उत्तर: हां, यह आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र के लिए विशेष स्थान आवश्यक है?

उत्तर: शांत और पवित्र स्थान चुनें।

प्रश्न 10: क्या इस मंत्र से संतान के स्वास्थ्य में सुधार होता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र संतान की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

प्रश्न 11: क्या मंत्र जप के लिए विशेष माला आवश्यक है?

उत्तर: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।

प्रश्न 12: क्या मासिक धर्म के दौरान जप किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, इस दौरान जप से बचें।

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