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Rama Ekadashi Vrat- Rituals, Story Benefits

रमा एकादशी व्रत – पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का दिव्य मार्ग

रमा एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। ये कही कही रामेश्वर एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत के पालन से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी व्रत भगवान विष्णु की उपासना और माता लक्ष्मी की कृपा पाने का श्रेष्ठ साधन है। यह व्रत करने से सुख-समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

रमा एकादशी का मुहूर्त कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। इस दिन व्रत करने के लिए शुभ समय का ध्यान रखना आवश्यक है। व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण तक रहता है।

रमा एकादशी 2024 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि रविवार, 27 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी। यह तिथि सोमवार, 28 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।

व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद किया जाता है। पारण के लिए विशेष ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि का समय समाप्त होने से पहले ही व्रत खोलें। मुहूर्त के अनुसार ही व्रत करें और भगवान विष्णु की आराधना में समय बिताएं।

रमा एकादशी व्रत विधि मंत्र के साथ

रमा एकादशी व्रत की विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। व्रती को प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र पहनने चाहिए। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें। पुष्प, धूप, फल और नैवेद्य अर्पित करें। “ॐ श्रीं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। दिनभर व्रत रखकर भगवान विष्णु की कथा सुनें। शाम को आरती करें और फलाहार ग्रहण करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

व्रत में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। फल, दूध, मेवे, और सादा जल का सेवन करें। तामसिक भोजन, प्याज, लहसुन, और मांसाहार वर्जित है। व्रत में सात्विक और हल्के आहार का सेवन करना चाहिए। पवित्रता और शुद्धता का ध्यान रखें।

रमा एकादशी व्रत का समय

रमा एकादशी व्रत सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। व्रती को रातभर जागरण और भजन-कीर्तन करना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए। व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना आवश्यक है।

रमा एकादशी व्रत के लाभ

  1. पापों का नाश होता है।
  2. सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. मन की शांति मिलती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. पारिवारिक समस्याएं समाप्त होती हैं।
  6. आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
  7. ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
  8. रिश्तों में सुधार आता है।
  9. मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
  10. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  11. कार्यों में सफलता मिलती है।
  12. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  13. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  14. आत्मबल में वृद्धि होती है।
  15. आध्यात्मिक विकास होता है।
  16. दुःख-दर्द समाप्त होते हैं।
  17. भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।

रमा एकादशी व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. दिनभर भगवान का ध्यान करें।
  3. तामसिक भोजन से बचें।
  4. सत्य बोलें और किसी का दिल न दुखाएं।
  5. व्रत के दिन किसी प्रकार की हिंसा से बचें।
  6. शाम को दीपदान करें।
  7. निर्धनों को दान दें।

रमा एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन काल में मुचुकुंद नामक राजा हुआ करते थे। उनका राज्य प्रजा के प्रति समर्पित और धर्मपरायण था। उनकी पुत्री चंद्रभागा अत्यंत सुशील और धार्मिक प्रवृत्ति की थी। चंद्रभागा का विवाह राजा श्वेतान के पुत्र हेममाली के साथ हुआ। हेममाली एक शापित गंधर्व था, जिसने अपने जीवन में कई गलतियाँ की थीं। उसकी बुरी आदतें और अनैतिक कर्म उसके पापों का कारण बन गए थे।

हेममाली को व्रत और उपवास का महत्त्व नहीं पता था। वह आलस्य और भोग-विलास में लिप्त रहता था। उसकी पत्नी चंद्रभागा अपने पति को सुधारने की कोशिश करती थी, परंतु हेममाली उसकी बात नहीं सुनता था। एक दिन नारद मुनि राजा मुचुकुंद के महल में आए। राजा ने उनका आदर सत्कार किया और व्रतों का महत्त्व पूछा।

नारद मुनि ने राजा को रमा एकादशी व्रत का महत्त्व बताया। उन्होंने कहा कि यह व्रत करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। यह सुनकर राजा मुचुकुंद ने व्रत करने का संकल्प लिया। चंद्रभागा ने भी अपने पिता के साथ रमा एकादशी व्रत किया। उसने अपने पति हेममाली को भी व्रत के लिए प्रेरित किया। हेममाली ने पहली बार व्रत किया।

व्रत के प्रभाव से श्री विष्णू का प्रसन्न होना

व्रत के प्रभाव से हेममाली के पाप धुल गए और वह शुद्ध हो गया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर हेममाली को दर्शन दिए। भगवान ने हेममाली को आशीर्वाद दिया कि वह अपने पापों से मुक्त होकर जीवन में सुधार करे। हेममाली ने भगवान विष्णु की आराधना की और भक्ति में लीन हो गया। उसने अपने जीवन को सुधारने का संकल्प लिया।

हेममाली की भक्ति और व्रत के प्रभाव से उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हुए। उसने अपने कर्मों को सुधारकर धर्म के मार्ग पर चलने का निश्चय किया। इस प्रकार रमा एकादशी व्रत का महत्त्व स्पष्ट होता है। यह व्रत पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है।

इस कथा से यह सिद्ध होता है कि रमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। व्रत का पालन करने से मनुष्य के सभी दुख और कष्ट समाप्त होते हैं। रमा एकादशी व्रत जीवन में शांति, समृद्धि, और मोक्ष प्रदान करता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि भक्ति और आस्था को भी प्रबल बनाता है।

व्रत का भोग

रमा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु को फल, दूध, और नैवेद्य का भोग लगाना चाहिए। तुलसी दल अर्पित करें और भगवान की आरती करें। भोग को सात्विक और सरल रखें।

Know more about papankusha Ekadashi Vrat

रमा एकादशी व्रत में सावधानियाँ

  1. व्रत के दौरान शुद्धता का पालन करें।
  2. किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें।
  3. व्रत के दिन क्रोध और कलह से बचें।
  4. अनाज और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  5. व्रत के दौरान भगवान का नाम जपते रहें।

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रमा एकादशी व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: रमा एकादशी व्रत क्यों करना चाहिए?
उत्तर: यह व्रत पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: व्रत की सही विधि क्या है?
उत्तर: स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जाप और उपवास करना चाहिए।

प्रश्न 3: क्या व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, व्रत में नमक का सेवन वर्जित है।

प्रश्न 4: व्रत में कौन-कौन से फल खा सकते हैं?
उत्तर: सेब, केला, पपीता, और अंगूर खा सकते हैं।

प्रश्न 5: व्रत का पारण कब करना चाहिए?
उत्तर: अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।

प्रश्न 6: क्या व्रत के दिन सो सकते हैं?
उत्तर: जागरण करना श्रेष्ठ है, परंतु विश्राम भी कर सकते हैं।

प्रश्न 7: व्रत में भगवान विष्णु की कौनसी मूर्ति पूजें?
उत्तर: भगवान विष्णु की किसी भी रूप की मूर्ति पूज सकते हैं।

प्रश्न 8: व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: अनाज, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 9: क्या व्रत में तेल का उपयोग कर सकते हैं?
उत्तर: तेल का उपयोग वर्जित है, घी का उपयोग करें।

प्रश्न 10: क्या व्रत में पानी पी सकते हैं?
उत्तर: हाँ, पानी पी सकते हैं।

प्रश्न 11: क्या व्रत के दिन यात्रा कर सकते हैं?
उत्तर: यात्रा से बचना चाहिए, परंतु आवश्यकता हो तो जा सकते हैं।

प्रश्न 12: व्रत का क्या फल मिलता है?
उत्तर: पापों का नाश, सुख-समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

BOOK HOLIKA PUJAN ON 13 MARCH 2025 (ONLINE/ OFFLINE)

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