गैस, अपच और भारीपन? बस यह मुद्रा करें और मंत्र बोलें!
Relieve Gas and Indigestion- आज के तेज़ और तनावपूर्ण जीवन में अनियमित भोजन, देर रात खाना, तली-भुनी चीजें, और बैठे रहने की आदत के कारण गैस, अपच और भारीपन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। यह समस्याएं केवल शरीर को ही नहीं, मानसिक रूप से भी थका देती हैं।
प्राचीन योगशास्त्र में ऐसे विकारों के लिए कई हस्त मुद्राओं का वर्णन मिलता है। उन्हीं में से एक है वायु मुद्रा। यह एक अत्यंत सरल लेकिन प्रभावशाली योगिक मुद्रा है, जो शरीर में वायु तत्व के असंतुलन को ठीक कर गैस, अपच और पेट भारीपन से मुक्ति दिलाती है। इस मुद्रा का नियमित अभ्यास और संबंधित मंत्र के जप से पेट की क्रियाएं ठीक होती हैं, भूख खुलती है और शरीर हल्का महसूस होता है।
वायु मुद्रा क्या है?
वायु मुद्रा एक हस्त मुद्रा है जो शरीर में वायु तत्त्व को नियंत्रित करने के लिए की जाती है। यह मुद्रा तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के मूल में लगाने से बनती है, और शेष तीन अंगुलियाँ सीधी रहती हैं।
संकेत: वायु तत्त्व का असंतुलन ही गैस, अपच, पेट फूलना, जोड़ों का दर्द जैसे विकारों का मूल कारण है। वायु मुद्रा इसे ठीक करती है।
वायु मुद्रा के 15 अद्भुत लाभ
पाचन क्रिया को सुधारने वाले लाभ
- गैस और पेट फूलने में तुरंत राहत देती है।
- अपच और भारीपन को दूर करती है।
- कब्ज को समाप्त कर मल त्याग नियमित करती है।
- भोजन के पाचन को गति देती है।
- भूख की कमी को दूर करती है।
ऊर्जा और ताजगी देने वाले लाभ
- शरीर में जमी वायु को बाहर निकालती है।
- पेट दर्द और ऐंठन में लाभकारी है।
- सिरदर्द और चक्कर को कम करती है (जो गैस से होता है)।
- मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन को शांत करती है।
- नींद बेहतर बनाती है।
शरीर को स्वस्थ और सशक्त करने वाले लाभ
- मोटापे को कम करने में सहायक है।
- मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है।
- पेट की गर्मी और जलन को कम करती है।
- बिना दवा के प्राकृतिक उपचार का माध्यम।
- नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा प्रवाह संतुलित होता है।
वायु मुद्रा का अभ्यास कब और कैसे करें?
उत्तम समय और अवधि
- सुबह का समय: प्रातः खाली पेट करना सबसे लाभकारी।
- शाम का समय: भोजन के 2 घंटे बाद करें।
- समय अवधि: एक बार में 10–15 मिनट, दिन में दो बार करें।
- अवधि: कम से कम 21 दिन लगातार करें।
विशेष मुहूर्त (प्रारंभ हेतु)
- सप्ताह के दिन: सोमवार या गुरुवार से शुरू करें।
- स्थान: शांत वातावरण, खुली हवा या पूजा कक्ष।
- आसन: पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें।
मंत्र और विधि – वायु मुद्रा के साथ प्रयोग
उपयोग मंत्र:
“ॐ वायुदेवाय नमः”
विधि:
- सबसे पहले वायु मुद्रा बनाएं (तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में रखें)।
- आँखें बंद करें, रीढ़ सीधी रखें।
- गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।
- मंत्र का उच्चारण करें या मानसिक रूप से जप करें।
- एक बार में 108 बार मंत्र का जप करें।
- जप के बाद 2 मिनट ध्यान करें और फिर मुद्रा छोड़ दें।
मंत्र से ऊर्जा जागरण होता है और वायु तत्व नियंत्रित होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या वायु मुद्रा को बच्चे और बुजुर्ग कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह पूर्णतः सुरक्षित है। कोई भी उम्र कर सकती है।
2. क्या इसे बिना मंत्र के किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन मंत्र से लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।
3. कितने दिनों में असर दिखता है?
उत्तर: 7–10 दिनों में फर्क महसूस होने लगता है।
4. क्या इसे पेट दर्द में तुरंत किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, तुरंत लाभ मिलता है।
5. क्या यह दवा का विकल्प है?
उत्तर: यह एक प्राकृतिक माध्यम है, गंभीर स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लें।
6. क्या इसे खाना खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, कम से कम 1.5 घंटे बाद करें।
7. क्या यह हर मौसम में किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यह ऋतुओं से प्रभावित नहीं होती।
वायु मुद्रा एक ऐसा सरल लेकिन शक्तिशाली उपाय है जो पेट की समस्याओं को प्राकृतिक रूप से ठीक करता है। नियमित अभ्यास से यह न केवल शरीर को हल्का बनाती है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा भी प्रदान करती है। यदि आप गैस, अपच या भारीपन से परेशान हैं, तो यह मुद्रा आपके लिए वरदान सिद्ध हो सकती है।