ग्रहण दोष के कारण दुर्भाग्य? इस उपाय से मिलेगी मुक्ति!
Grahan Dosh for obstacles – ग्रहण दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु स्थित होते हैं। यह दोष जीवन में अनेक बाधाओं, मानसिक तनाव, असफलता, आर्थिक संकट और पारिवारिक समस्याओं का कारण बन सकता है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार असफलताओं का सामना कर रहा है, मानसिक अशांति महसूस कर रहा है या जीवन में स्थिरता नहीं है, तो संभव है कि उसकी कुंडली में ग्रहण दोष हो।
इस लेख में हम आपको ग्रहण दोष निवारण मंत्र “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” के जप की विधि, इसके लाभ और इससे जुड़े सामान्य प्रश्नों के उत्तर देंगे।
विधि
- समय: इस मंत्र का जप विशेष रूप से ग्रहण काल, अमावस्या, पूर्णिमा या सोमवार-शनिवार को करना अधिक प्रभावी होता है।
- स्थान: किसी पवित्र स्थान, शिवालय, चंद्र या सूर्य मंदिर में जप करना शुभ होता है। घर में शुद्ध वातावरण में भी जप कर सकते हैं।
- मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 540 बार रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जप करें।
- आसन: कुश या ऊन के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र जप करें।
- स्नान एवं शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान करें और सफेद वस्त्र धारण करें।
- संपूर्ण विधि:
- दीपक जलाकर भगवान शिव, चंद्रदेव और माता पार्वती का ध्यान करें।
- “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अंत में शिव चालीसा या शिवाष्टक का पाठ करें।
- जप पूर्ण होने के बाद चंद्रदेव को जल अर्पित करें और शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।
- इस उपाय को नियमित रूप से करने से ग्रहण दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
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लाभ
- दुर्भाग्य और असफलताओं से मुक्ति – यदि कोई व्यक्ति बार-बार असफल हो रहा है, तो इस मंत्र के प्रभाव से बाधाएं दूर होती हैं।
- मानसिक शांति – मनोवैज्ञानिक समस्याएं, अनिद्रा और चिंता से राहत मिलती है।
- आर्थिक समृद्धि – राहु-केतु के दुष्प्रभाव से उत्पन्न आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा – इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचता है।
- भाग्य में वृद्धि – कार्यों में सफलता मिलने लगती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
- पारिवारिक सुख में वृद्धि – घर में कलह और अशांति दूर होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार – मानसिक तनाव कम होने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- राहु और केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति – कुंडली में स्थित राहु-केतु के कारण होने वाली परेशानियां कम होती हैं।
- विद्यार्थियों के लिए लाभकारी – स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है और पढ़ाई में ध्यान लगता है।
- संतान सुख की प्राप्ति – ग्रहण दोष के कारण संतान प्राप्ति में बाधा हो रही हो तो यह उपाय लाभकारी होता है।
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ग्रहण दोष से जुड़े 8 सामान्य प्रश्न
- ग्रहण दोष कैसे बनता है?
- जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु ग्रह कुंडली में स्थित होते हैं, तब ग्रहण दोष बनता है।
- ग्रहण दोष के कारण क्या होते हैं?
- यह दोष पूर्व जन्म के कर्मों, अशुभ ग्रह स्थितियों और पितृ दोष के प्रभाव से बन सकता है।
- क्या ग्रहण दोष के कारण विवाह में देरी हो सकती है?
- हां, इस दोष के कारण विवाह में बाधाएं आती हैं और वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं।
- क्या यह मंत्र ग्रहण काल में भी जपा जा सकता है?
- हां, ग्रहण काल में यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली होता है और विशेष लाभ प्रदान करता है।
- ग्रहण दोष के अन्य उपाय क्या हैं?
- भगवान शिव की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जप, चंद्र ग्रह शांति यज्ञ, शिवलिंग पर जल अर्पण, रुद्राभिषेक आदि उपाय लाभकारी होते हैं।
- क्या ग्रहण दोष केवल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय ही प्रभावी होता है?
- नहीं, यदि कुंडली में यह दोष है तो इसका प्रभाव जीवनभर बना रह सकता है, जब तक उचित उपाय न किए जाएं।
- क्या ग्रहण दोष से बचने के लिए दान करना चाहिए?
- हां, ग्रहण दोष निवारण के लिए चावल, दूध, सफेद वस्त्र और चांदी का दान करना लाभकारी होता है।
- क्या ग्रहण दोष का प्रभाव सभी राशियों पर एक समान होता है?
- नहीं, प्रत्येक राशि पर इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है, जो कुंडली की स्थिति पर निर्भर करता है।
अंत में
ग्रहण दोष जीवन में अनेक बाधाओं का कारण बन सकता है, लेकिन यदि सही उपाय किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। “ॐ ह्रीं सों सोमाय क्लीं नमः” मंत्र का नियमित जप करने से दुर्भाग्य दूर होता है और जीवन में शुभता आती है। यदि आप भी ग्रहण दोष से परेशान हैं, तो इस उपाय को अपनाकर सकारात्मक परिवर्तन महसूस कर सकते हैं।