Sunday, December 22, 2024

Buy now

spot_img
spot_img

Rishi Panchami Vrat – Removing Sin

ऋषि पंचमी व्रत 2024 की महिमा: जानें व्रत विधि, कथा और लाभ

ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद शुक्ल पंचमी को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा सप्तऋषियों के सम्मान में किया जाता है। इसे करने से ऋषियों की कृपा प्राप्त होती है और पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है।

ऋषि पंचमी व्रत मुहूर्त 2024

तिथि: भाद्रपद शुक्ल पंचमी
दिनांक: 8 सितंबर 2024
पंचमी तिथि प्रारंभ: 7 सितंबर 2024, 08.37 PM
पंचमी तिथि समाप्त: 8 सितंबर 2024, 07.58 PM

व्रत विधि मंत्र के साथ

  1. सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें।
  3. गणेश जी की पूजा करें और उनका आशीर्वाद लें।
  4. सप्तऋषियों (वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, गौतम) की पूजा करें।
  5. जल, फल, फूल, और दूध से ऋषियों का अभिषेक करें।
  6. ऋषि पंचमी व्रत मंत्र का जाप करें:
    “ॐ ऋषिभ्यो नमः।”
  7. व्रत कथा सुनें और आरती करें।
  8. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और व्रत संकल्प लें।

ऋषि पंचमी व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

खाएं:

  • फल, दूध, दही, साबूदाना, मूंगफली, कंदमूल, खीर, और सेंधा नमक से बने व्यंजन।

न खाएं:

  • अनाज, दालें, प्याज, लहसुन, मसालेदार भोजन, और तामसिक भोजन।

ऋषि पंचमी व्रत कब से कब तक रखें

व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। इसमें एक समय फलाहार या उपवास करना चाहिए।

ऋषि पंचमी व्रत से लाभ

  1. पापों का नाश होता है।
  2. पूर्वजन्म के दोष दूर होते हैं।
  3. शरीर की शुद्धि होती है।
  4. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  5. पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
  6. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. श्रद्धा और विश्वास की वृद्धि होती है।
  8. ऋषियों की कृपा प्राप्त होती है।
  9. परिवार की सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  10. ईश्वर के प्रति भक्ति बढ़ती है।
  11. आत्मा की शुद्धि होती है।
  12. जीवन में सकारात्मकता आती है।

Know more about Ganesha chaturthi vrat

व्रत के नियम

  1. व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें।
  2. दिनभर निराहार या फलाहार करें।
  3. सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  4. व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
  6. व्रत का संकल्प लेकर उसे पूरा करें।
  7. व्रत की कथा का श्रवण अवश्य करें।

व्रत का भोग

व्रत के दिन भोग में फलों, दूध, दही, खीर, और साबूदाना से बने व्यंजन चढ़ाएं। अनाज का उपयोग न करें।

Haridra Ganesha sadhana samagri with diksha

व्रत की सावधानियां

  1. व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  2. व्रत के नियमों का पालन करें।
  3. पूजा के समय मन को एकाग्र रखें।
  4. व्रत के संकल्प को तोड़ें नहीं।

ऋषि पंचमी व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन समय में विदर्भ देश में एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार रहता था। उस परिवार में ब्राह्मण, उनकी धर्मपत्नी और एक पुत्री थी। ब्राह्मण दंपत्ति अत्यंत धार्मिक और नियमों का पालन करने वाले थे। उनकी पुत्री भी सरल स्वभाव की थी और अपने माता-पिता की हर बात मानती थी।

एक दिन ब्राह्मण की पुत्री विवाह योग्य हो गई, और उसके विवाह की तैयारी होने लगी। विवाह के बाद कुछ समय तक उसका वैवाहिक जीवन सुखमय रहा। परंतु, अचानक ही उसके पति का देहांत हो गया और वह विधवा हो गई। विधवा होने के बाद उसके जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ गईं।

वह अत्यंत दुखी रहने लगी और माता-पिता भी उसकी स्थिति को देखकर परेशान थे। उसकी पीड़ा बढ़ती जा रही थी। ब्राह्मण दंपत्ति अपनी पुत्री के इस दुख से मुक्ति पाने के लिए चिंतित थे। उन्होंने सोचा कि इस समस्या का समाधान धार्मिक उपायों से ही संभव हो सकता है।

ऋषि का मार्गदर्शन

ब्राह्मण ने एक दिन ऋषि के पास जाकर अपनी पुत्री की स्थिति का वर्णन किया और उनसे उपाय पूछा। ऋषि ने ध्यान द्वारा कारण जानने का प्रयास किया और ब्राह्मण को बताया कि उसकी पुत्री के दुख का कारण पूर्वजन्म का पाप है।

पूर्वजन्म में वह स्त्री रजस्वला होते हुए भी रसोईघर में गई थी और भोजन पकाया था। रजस्वला अवस्था में रसोई का कार्य, पूजा-पाठ, और घर के पवित्र कार्यों में सम्मिलित होना शास्त्रों के अनुसार वर्जित है। यह अपवित्रता मानी जाती है और पाप का कारण बनती है।

इस पाप के कारण ही उसे विधवा का जीवन भुगतना पड़ा। ऋषि ने ब्राह्मण को बताया कि इस दोष से मुक्ति पाने का उपाय ऋषि पंचमी व्रत है। सप्तऋषियों की पूजा और व्रत के पालन से पापों का नाश होता है और मनुष्य शुद्ध होता है।

व्रत का पालन और मुक्ति

ऋषि के मार्गदर्शन से ब्राह्मण की पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी व्रत का संकल्प लिया। उसने सूर्योदय से पहले स्नान किया, स्वच्छ वस्त्र धारण किए और सप्तऋषियों की पूजा की। पूजा के दौरान उसने जल, फल, फूल, दूध और पंचामृत से सप्तऋषियों का अभिषेक किया।

पूजा में ऋषि पंचमी व्रत का विशेष मंत्र “ॐ ऋषिभ्यो नमः” का जाप किया। इसके बाद उसने व्रत कथा का श्रवण किया और आरती की। व्रत के दिन उसने निराहार या फलाहार किया और दिनभर मन, वचन और कर्म से पवित्रता का पालन किया।

इस व्रत के प्रभाव से ब्राह्मण की पुत्री के पापों का नाश हुआ और उसकी सभी समस्याएं समाप्त हो गईं। उसे पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति मिली और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आई। सप्तऋषियों की कृपा से वह पुनः सुखी जीवन जीने लगी।

व्रत के प्रभाव से उसे न केवल पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति मिली, बल्कि उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आए। वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पुनः सुखमय जीवन व्यतीत करने लगी। इस प्रकार ऋषि पंचमी व्रत का पालन उसके जीवन में वरदान साबित हुआ।

कथा से शिक्षा

इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि ऋषि पंचमी व्रत पूर्वजन्म के पापों को दूर करने में सक्षम है। व्रत के पालन से मनुष्य के जीवन में शुद्धता और पवित्रता आती है। सप्तऋषियों की कृपा से व्यक्ति की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।

यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसके द्वारा रजस्वला अवस्था के दौरान जाने-अनजाने हुए पापों का शमन होता है। ऋषियों की पूजा और व्रत का पालन मन, वचन, और कर्म की शुद्धि का मार्ग है।

व्रत की महत्ता और ऋषियों के प्रति श्रद्धा भाव इस कथा के माध्यम से स्पष्ट होता है। जीवन में शुद्धता और पुण्य की प्राप्ति के लिए ऋषि पंचमी व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।

व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: ऋषि पंचमी व्रत कौन कर सकता है?
उत्तर: ऋषि पंचमी व्रत स्त्रियाँ विशेष रूप से करती हैं, लेकिन इसे पुरुष भी कर सकते हैं।

प्रश्न 2: क्या ऋषि पंचमी व्रत के दिन चावल खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, ऋषि पंचमी व्रत के दिन चावल या किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाया जाता।

प्रश्न 3: व्रत के दिन क्या फलाहार किया जा सकता है?
उत्तर: फल, दूध, दही, साबूदाना, और कंदमूल फलाहार में लिया जा सकता है।

प्रश्न 4: क्या व्रत के दिन पूजा में विशेष मंत्र का उपयोग होता है?
उत्तर: हाँ, व्रत के दिन “ॐ ऋषिभ्यो नमः” मंत्र का जाप किया जाता है।

प्रश्न 5: व्रत का क्या महत्व है?
उत्तर: व्रत पापों के नाश, शुद्धि, और ऋषियों की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 6: क्या व्रत के दौरान पानी पी सकते हैं?
उत्तर: हाँ, व्रत के दौरान पानी पी सकते हैं, परंतु फलाहार में संयम रखें।

प्रश्न 7: व्रत में क्या साबूदाना खा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, साबूदाना फलाहार में शामिल है और इसे व्रत में खाया जा सकता है।

प्रश्न 8: व्रत कितने दिन तक करना चाहिए?
उत्तर: ऋषि पंचमी व्रत केवल एक दिन का होता है, भाद्रपद शुक्ल पंचमी को।

प्रश्न 9: क्या व्रत के दौरान पूजा का समय निर्धारित है?
उत्तर: व्रत के दिन पूजा सुबह सूर्योदय के बाद की जाती है।

प्रश्न 10: व्रत के दौरान अनाज क्यों नहीं खाया जाता?
उत्तर: व्रत के दौरान शरीर की शुद्धि और आत्म संयम के लिए अनाज नहीं खाया जाता।

प्रश्न 11: क्या व्रत के दिन कपड़े बदल सकते हैं?
उत्तर: हाँ, व्रत के दिन स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए, कपड़े बदलने में कोई प्रतिबंध नहीं है।

प्रश्न 12: क्या व्रत के दौरान अन्य धार्मिक कार्य कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, व्रत के दौरान अन्य धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ करना शुभ होता है।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency