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Ruru Bhairava Mantra for Obstacles

संकट नाशक रुरु भैरव, जिन्हें रुरुक भैरव भी कहा जाता है, भगवान शिव के एक प्रमुख अवतार हैं जो क्रोध और भय के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं। रुरु भैरव की पूजा से सभी प्रकार के भय और संकटों से मुक्ति, और सफलता प्राप्ति होती है।

रुरु भैरव, भैरव के आठ रूपों में से एक हैं, जिन्हें ‘अष्ट भैरव’ कहा जाता है। हिंदू धर्म में भैरव भगवान शिव का एक भयंकर रूप हैं, जिन्हें समय, विनाश और त्रासदी का देवता माना जाता है। रुरु भैरव को एक महान योद्धा और महान तपस्वी माना जाता है, जो अपने भक्तों को सुरक्षा, ज्ञान, और समृद्धि प्रदान करते हैं।

रुरु भैरव को सबसे शक्तिशाली भैरवों में से एक माना जाता है, और उनके उपासकों को उनकी कृपा से अनेक लाभ मिलते हैं। उनके माध्यम से भक्त अपने शत्रुओं से मुक्ति, रोगों से छुटकारा, और विभिन्न प्रकार के भय से निजात पा सकते हैं। रुरु भैरव की पूजा करने से जीवन में आत्म-विश्वास और आत्म-निर्भरता की वृद्धि होती है।

मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं रुरु भैरवाय नमः

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि हम रुरु भैरव की स्तुति करते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं। “ॐ” एक पवित्र ध्वनि है, “भ्रं” बीज मंत्र है जो रुरु भैरव को समर्पित है। “रुरु भैरवाय” का अर्थ है रुरु भैरव को, और “नमः” का अर्थ है नमस्कार या समर्पण।

लाभ

  1. सुरक्षा: रुरु भैरव का मंत्र जपने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय और असुरक्षा से मुक्ति मिलती है।
  2. आत्म-विश्वास: इस मंत्र के नियमित जप से आत्म-विश्वास और आत्म-संयम में वृद्धि होती है।
  3. शत्रुओं से मुक्ति: यह मंत्र शत्रुओं और बुरे प्रभावों से रक्षा करता है।
  4. रोगों से छुटकारा: रुरु भैरव का आशीर्वाद सभी प्रकार के रोगों और बिमारियों को दूर करता है।
  5. धन-संपत्ति: मंत्र का जप करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  6. शांति और संतुलन: मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति करने में सहायक होता है।
  8. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान: विवाह और वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान होता है।
  9. संतान प्राप्ति: यह मंत्र संतान प्राप्ति के लिए भी प्रभावी माना जाता है।
  10. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में सहायता मिलती है।
  11. दुर्घटना से बचाव: दुर्घटनाओं और आपदाओं से बचाव होता है।
  12. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  13. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  14. ज्ञान और बुद्धि: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  15. सुख-समृद्धि: सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
  16. कर्म सुधार: व्यक्ति के कर्मों में सुधार और सकारात्मकता आती है।
  17. स्वास्थ्य: उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  18. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा के दौरान सुरक्षा और सफलता मिलती है।
  19. मंत्र सिद्धि: मंत्र के नियमित जप से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
  20. अन्य समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान होता है।

दिन और मुहूर्त

रुरु भैरव के मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, अमावस्या और अष्टमी तिथि भी इस मंत्र के जप के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

मंत्र जप की अवधि

रोज़ाना सुबह और शाम के समय मंत्र का जप करना चाहिए। प्रत्येक समय कम से कम 108 बार मंत्र का जप करने का प्रयास करें। नियमित जप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

रुरु भैरव मंत्र जप के नियम

  1. स्वच्छता: मंत्र जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शुद्धि: मन, वचन, और कर्म की शुद्धि बनाए रखें।
  3. स्थान: शांति और स्वच्छता वाला स्थान चुनें।
  4. ध्यान: रुरु भैरव की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें।
  5. संकल्प: मंत्र जप से पहले संकल्प लें और देवी-देवताओं का आह्वान करें।
  6. आसन: कुश के आसन का प्रयोग करें।
  7. माला: रुद्राक्ष या सफेद चन्दन की माला से मंत्र का जप करें।
  8. समय: नियमित रूप से एक ही समय पर जप करने का प्रयास करें।
  9. भोजन: शुद्ध और सात्विक भोजन करें।
  10. समर्पण: पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ जप करें।

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रुरु भैरव मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

  1. विचलन से बचें: जप के दौरान मन को एकाग्र रखें और विचलित न होने दें।
  2. सात्विक आहार: जप के दौरान सात्विक आहार का पालन करें।
  3. अल्कोहल और मांसाहार से बचें: जप के दौरान अल्कोहल और मांसाहार से बचें।
  4. सकारात्मक सोच: हमेशा सकारात्मक सोच रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  5. समर्पण: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. रुरु भैरव कौन हैं?
    रुरु भैरव भगवान शिव का एक उग्र और भयंकर रूप हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें शत्रुओं से मुक्ति दिलाते हैं।
  2. रुरु भैरव का मंत्र क्या है?
    रुरु भैरव का मंत्र है: ॐ भ्रं रुरु भैरवाय नमः।
  3. इस मंत्र का अर्थ क्या है?
    इस मंत्र का अर्थ है कि हम रुरु भैरव की स्तुति करते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं।
  4. मंत्र का जप किस दिन करें?
    मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  5. मंत्र जप का उचित समय क्या है?
    मंत्र जप का उचित समय सुबह और शाम का है।
  6. मंत्र जप के लाभ क्या हैं?
    मंत्र जप के लाभों में सुरक्षा, आत्म-विश्वास, रोगों से मुक्ति, धन-संपत्ति की प्राप्ति, और मानसिक शांति शामिल हैं।
  7. मंत्र जप के नियम क्या हैं?
    मंत्र जप के नियमों में स्वच्छता, शुद्धि, शांत और स्वच्छ स्थान का चयन, ध्यान, और नियमितता शामिल हैं।
  8. मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    मंत्र जप के दौरान विचलन से बचें, सात्विक आहार का पालन करें, और अल्कोहल तथा मांसाहार से दूर रहें।
  9. क्या मंत्र जप से शत्रुओं से मुक्ति मिल सकती है?
    हां, रुरु भैरव का मंत्र जप शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है।
  10. क्या मंत्र जप से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है?
    हां, इस मंत्र का जप आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है।
  11. क्या मंत्र जप से स्वास्थ्य में लाभ होता है?
    हां, मंत्र जप उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
  12. मंत्र जप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
    रुद्राक्ष या सफेद चन्दन की माला उपयुक्त मानी जाती है।

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