सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – तुरंत सुख समृद्धि प्रदान करे
सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र देवी लक्ष्मी के 108 नामों का एक विशेष स्तोत्र है जो जीवन में सौभाग्य, समृद्धि, और सुख-शांति लाने के लिए जपा जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक तंगी, वैवाहिक जीवन की समस्याओं, या पारिवारिक कलह का सामना कर रहे हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा से सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान और जीवन में स्थायी सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र व उसका अर्थ
स्त्रोत:
॥ सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ॥
अस्य श्रीसौभाग्यलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रमन्त्रस्य अनन्त ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः श्रीमहासौभाग्यलक्ष्मीर्देवता महालक्ष्मीः बीजम् महाविद्या शक्तिः महालक्ष्मीः कीलकं श्रीसौभाग्यलक्ष्मीप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥
॥ ध्यानम् ॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
॥ स्तोत्रम् ॥
प्रथमं सौम्या, शान्ता च द्वितीया, परमशुभा।
तृतीयं कुमुदा, चैव चतुर्थं क्षीरोदसम्भवा॥ १॥
पञ्चमं मण्डलाकारा षष्ठं विष्णुपरिग्रहा।
सप्तमं विष्णुपत्नी च अष्टमं हरिवल्लभा॥ २॥
नवमं श्रीरमा, प्रोक्तं दशमं देवमोहिनी।
एकादशं देवशक्तिर्द्वादशं हरिपूजिता॥ ३॥
त्रयोदशं शुभा, प्रोक्तं चतुर्दशमनेकदा।
पञ्चदशं महालक्ष्मिर्विधात्री च षोडशं स्मृता॥ ४॥
सप्तदशं वर्धन्या, चाष्टादशं हरिवल्लभा।
नवदशं जयद्वारा, प्रोक्तं च दशविंशतिः॥ ५॥
एकोनविंशतं देवी पवित्रा परमालया।
द्वाविंशतिः च अम्बिका प्रोक्ता त्रयोविंशतिरुपासिता॥ ६॥
चतुर्विंशतिं शुभा, प्रोक्ता पञ्चविंशतिरेव च।
षट्त्रिंशतं च सुवर्णा, प्रोक्तं सप्तविंशतिर्विभुः॥ ७॥
अष्टविंशतिः महालक्ष्मिः, नवविंशतिरेव च।
त्रिंशतं विश्वदात्री च एकत्रिंशत्समुद्रजा॥ ८॥
द्वात्रिंशतं शिवा, प्रोक्ता त्रयोविंशतिरेव च।
चतुस्त्रिंशत्सुकेशिनी, प्रोक्ता पञ्चत्रिंशतिरेव च॥ ९॥
षट्त्रिंशतं च विश्वशक्तिर्महालक्ष्मीः प्रकीर्तिता।
सप्तत्रिंशत्सहस्राक्षी अष्टत्रिंशतिशुभप्रदा॥ १०॥
एकोनचत्वारिंशतं श्रीरमा, चतुर्विंशतिरेव च।
पञ्चचत्वारिंशतं विधात्री महालक्ष्मीः प्रकीर्तिता॥ ११॥
चत्वारिंशत्समुद्रजा, पञ्चचत्वारिंशत्समृता।
षट्त्रिंशतं शिवा, प्रोक्ता सप्तचत्वारिंशतिरेव च॥ १२॥
अष्टचत्वारिंशतं च महालक्ष्मीः प्रकीर्तिता।
नवचत्वारिंशतं महालक्ष्मीः शतं॥ १३॥
॥ इति श्री सौभाग्यलक्ष्मी अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
अर्थ: इस स्तोत्र में देवी लक्ष्मी के 108 नामों का जप किया जाता है, जिनके उच्चारण से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और साधक को धन, वैभव, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के लाभ
- धन वृद्धि: जीवन में धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- सौभाग्य की प्राप्ति: साधक को निरंतर सौभाग्य और शुभफल की प्राप्ति होती है।
- विवाह में बाधाओं का निवारण: विवाह संबंधी सभी बाधाओं का नाश होता है।
- पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
- स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- दुर्भाग्य से मुक्ति: सभी प्रकार के दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है।
- व्यापार में सफलता: व्यापार में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
- करियर में उन्नति: नौकरी और करियर में प्रमोशन और मान-सम्मान मिलता है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं से रक्षा और उनकी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विद्या में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और मन को शांति मिलती है।
- संपत्ति की सुरक्षा: धन और संपत्ति की रक्षा होती है।
- मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले सभी संकटों का निवारण होता है।
- आकर्षण शक्ति में वृद्धि: साधक की आकर्षण शक्ति और व्यक्तित्व में निखार आता है।
सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र विधि
दिन, अवधि , मुहुर्त:
इस स्तोत्र का जप किसी भी शुभ मुहूर्त, विशेषकर शुक्रवार को, या लक्ष्मी पूजन के दिन किया जा सकता है। जप की अवधि 41 दिन तक होती है।
विधि:
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
- घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती अर्पित करें।
- देवी लक्ष्मी को फूल, अक्षत, और मिठाई अर्पित करें।
- स्तोत्र का पाठ 108 बार करें, इसके लिए रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करें।
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सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के नियम
- पूजा की गोपनीयता: साधना और पूजा को गुप्त रखें, अन्य लोगों को न बताएं।
- नियमितता: 41 दिन तक नियमित रूप से बिना किसी अवरोध के स्तोत्र का जप करें।
- शुद्धता: शरीर और मन की शुद्धता बनाए रखें। शुद्ध आसन पर बैठकर ही जप करें।
- भोजन नियम: हल्का और सात्विक भोजन ग्रहण करें, मांसाहार से परहेज करें।
- ध्यान और एकाग्रता: मन को एकाग्र रखें और देवी लक्ष्मी की कृपा का ध्यान करते रहें।
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सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र की सावधानियाँ
- शुद्धता का ध्यान: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें, स्नान के बाद ही जप करें।
- मंत्र उच्चारण: मंत्र का उच्चारण शुद्धता और स्पष्टता से करें।
- स्थान की पवित्रता: जप का स्थान पवित्र और स्वच्छ होना चाहिए।
- भंग न करें: जप के दौरान ध्यान और साधना में कोई भंग न आने दें।
- धैर्य और समर्पण: धैर्य और समर्पण के साथ साधना करें, जल्दबाजी न करें।
सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र: प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र क्या है?
उत्तर: यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी के 108 नामों का संकलन है, जिसे सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए जपा जाता है।
प्रश्न 2: सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का जप कब करना चाहिए?
उत्तर: इस स्तोत्र का जप किसी शुभ मुहूर्त में, विशेषकर शुक्रवार को या लक्ष्मी पूजन के दिन किया जा सकता है।
प्रश्न 3: क्या सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे कोई भी कर सकता है, लेकिन साधना में नियमों और सावधानियों का पालन आवश्यक है।
प्रश्न 4: स्तोत्र का जप करने के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: देवी लक्ष्मी की प्रतिमा, दीपक, अगरबत्ती, फूल, अक्षत, मिठाई, और रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला।
प्रश्न 5: सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का क्या लाभ है?
उत्तर: इस स्तोत्र का जप धन, सौभाग्य, पारिवारिक सुख, और शांति की प्राप्ति में सहायक होता है।
प्रश्न 6: क्या सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए ताकि इसका प्रभाव अधिकतम हो।
प्रश्न 7: स्तोत्र जप के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: शुद्धता, नियमितता, और मन की एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 8: क्या स्तोत्र जप के समय कोई विशेष दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
उत्तर: हां, जप के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
प्रश्न 9: स्तोत्र जप के दौरान कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: साधक को स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए, विशेषकर सफेद या पीले रंग के।
प्रश्न 10: क्या सौभाग्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र जप के लिए कोई विशेष माला का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: हां, रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न 11: क्या इस स्तोत्र के जप से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है?
उत्तर: हां, इस स्तोत्र का नियमित और विधिपूर्वक जप करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं का निवारण होता है।