शनि कवचम् पाठ क्या होता है?
Shani Kavacham Path, एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्तोत्र है जो शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने और शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो शनि की साढ़े साती, ढैय्या, या कुंडली में शनि दोष से पीड़ित हैं। शनि देव को न्याय और कर्मफल के देवता माना जाता है, और उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त करता है।
संपूर्ण शनि कवचम् और उसका अर्थ
शनि कवचम्:
ॐ श्री शनैश्चराय नमः।
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमन्त्रस्य कश्यप ऋषिः।
अनुष्टुप् छन्दः। श्री शनैश्चर देवता।
श्री शनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ॐ शनैश्चरः पातु भालं, पातु भालं विभाकरः।
पातु नेत्रे छायासूनुः, पातु कर्णौ यमानुजः।। १।।
पातु नासां शनैश्चः, पातु वक्त्रं विभाकरः।
पातु कण्ठं च सूर्यस्च, पातु स्कन्धौ ग्रहाधिपः।। २।।
पातु वक्षः स्थलं मन्दः, पातु पृष्ठं विभाकरः।
पातु कटिं च मे सूर्यः, पातु जंघे यमानुजः।। ३।।
पातु पादौ मन्दगतिः, पातु सर्वं शनैश्चरः।
एतद्धि कवचं दिव्यं, पठेत् सूर्यसुतस्य यः।। ४।।
न तस्य जायते पीड़ा, सूर्यसुत प्रसादतः।
विनष्टकिल्बिषः सर्वः सुखं प्राप्नोति मानवः।। ५।।
शनि कवचम् का अर्थ:
- पहला श्लोक:
- शनैश्चर (शनि देव) मेरे मस्तक की रक्षा करें। विभाकर (सूर्य पुत्र) मेरी भौंहों की रक्षा करें। छायासूनु (छाया के पुत्र) मेरी नेत्रों की रक्षा करें, और यमानुज (यमराज के भाई) मेरे कानों की रक्षा करें।
- दूसरा श्लोक:
- शनैश्च (शनि देव) मेरी नासिका की रक्षा करें, और विभाकर (सूर्य के पुत्र) मेरे मुख की रक्षा करें। सूर्य (शनि के पिता) मेरे कंठ की रक्षा करें, और ग्रहाधिप (ग्रहों के स्वामी) मेरे कंधों की रक्षा करें।
- तीसरा श्लोक:
- मन्द (धीमी गति वाले शनि) मेरी छाती की रक्षा करें, और विभाकर (सूर्य के पुत्र) मेरी पीठ की रक्षा करें। सूर्य मेरी कमर की रक्षा करें, और यमानुज (यमराज के भाई) मेरे जंघाओं की रक्षा करें।
- चौथा श्लोक:
- मन्दगति (धीमी गति वाले) मेरे पैरों की रक्षा करें, और शनैश्चर (शनि देव) मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें। जो इस दिव्य कवच का पाठ करता है, वह शनि देव की कृपा से सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्त हो जाता है।
- पाँचवाँ श्लोक:
- सूर्य के पुत्र (शनि देव) की कृपा से उस व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और वह सुख प्राप्त करता है।
संक्षिप्त अर्थ: शनि कवचम् भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए एक प्रभावी साधन है। यह कवच शरीर के प्रत्येक अंग की रक्षा करता है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।
शनि कवचम् के लाभ
- शनि के अशुभ प्रभावों से रक्षा: शनि देव के कुप्रभावों से बचाव के लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है।
- साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति: शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से बचाता है।
- कुंडली दोषों का निवारण: यह कवच कुंडली में शनि दोष को दूर करने में सहायक होता है।
- न्याय और सत्य की प्राप्ति: शनि देव की कृपा से जीवन में न्याय और सत्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
- आर्थिक समृद्धि: शनि कवचम् का पाठ धन-धान्य में वृद्धि करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: शनि देव की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: यह कवच मानसिक शांति प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: शनि कवचम् का पाठ आत्मिक उन्नति में सहायक है।
- सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण: जीवन की सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करता है।
- कार्य में सफलता: शनि देव की कृपा से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा: शनि कवचम् का पाठ आकस्मिक दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- शत्रुओं से मुक्ति: शत्रुओं के दुष्प्रभाव से रक्षा करता है।
- पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होता है।
- धैर्य और संयम की प्राप्ति: शनि देव की कृपा से धैर्य और संयम की प्राप्ति होती है।
- दीर्घायु और समृद्ध जीवन: शनि कवचम् का पाठ दीर्घायु और समृद्ध जीवन प्रदान करता है।
शनि कवचम् की विधि
1. दिन और समय:
- Shani Kavacham Path विशेष रूप से शनिवार को करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन शनि देव को समर्पित है। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे) के बीच का समय सबसे उत्तम होता है।
2. अवधि:
- शनि कवचम् का पाठ लगातार 41 दिनों तक करने से विशेष लाभ होते हैं। इस अवधि में प्रतिदिन एक बार पाठ करना चाहिए।
3. मुहूर्त:
- शनि कवचम् के पाठ के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक है। इसके लिए किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह ली जा सकती है।
शनि कवचम् के नियम
- शुद्धता का ध्यान:
- पाठ करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा विधि:
- पाठ से पहले शनि देव की पूजा करें। उन्हें नीले पुष्प, तेल, और काले तिल का नैवेद्य अर्पित करें।
- गुप्त साधना:
- शनि कवचम् की साधना को गुप्त रखें। इसे सार्वजनिक रूप से चर्चा न करें।
- दिशा:
- शनि कवचम् का पाठ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें।
- ध्यान और एकाग्रता:
- पाठ करते समय भगवान शनि का ध्यान करें और मन को एकाग्र रखें।
शनि कवचम् की सावधानियाँ
- सात्विक जीवनशैली:
- शनि कवचम् के पाठ के दौरान सात्विक भोजन करें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
- आचरण:
- अनुशासित जीवन व्यतीत करें और गलत कार्यों से बचें।
- नकारात्मक विचारों से बचें:
- पाठ के दौरान और बाद में नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- दूसरों को नुकसान न पहुँचाएं:
- इस कवच का प्रयोग कभी भी किसी को नुकसान पहुँचाने के लिए न करें।
- अनुशासन:
- पाठ के दौरान अनुशासन बनाए रखें और ध्यान भंग न होने दें।
शनि कवचम् पाठ के प्रश्न और उत्तर
1. शनि कवचम् क्या है?
- यह शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है।
2. शनि कवचम् कब पढ़ा जाना चाहिए?
- इसे शनिवार को पढ़ना शुभ माना जाता है।
3. क्या शनि कवचम् से साढ़े साती का प्रभाव कम हो सकता है?
- हां, यह कवच शनि की साढ़े साती के प्रभावों को कम करता है।
4. क्या शनि कवचम् से स्वास्थ्य लाभ होता है?
- हां, शनि कवचम् का पाठ स्वास्थ्य में सुधार करता है।