Shiva Mahima Strot Path for Wealth & peace

शिव महिमा स्तोत्र के बारे मे

शिव महिमा स्तोत्र पाठ एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र पुष्पदन्त नामक गन्धर्व द्वारा रचित है। कम से कम ४१ दिन तक इसका पाठ करना आवश्यक माना गया है। यह स्त्रोत ग्रहस्थ जीवन मे आने वाली सभी समस्या का हल प्रदान करता है।

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स्तोत्र

महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी 
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः।
अथावाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधिगुणाः 
यमालोक्य सर्वेऽमुमति रसधा स्तोत्रमखिलम्॥१॥

मधुस्फीता वाचः परमममृतं निर्मितवतः 
तव ब्रह्मन्किं वागपि सुरगुरोर्विस्मयपदम्।
मम त्वेतां वाणीं गुणकथनपुण्येन भवतः 
पुनामीत्यर्थेऽस्मिन् पुरमथन बुद्धिर्व्यवसिता॥२॥

तवैश्वर्यं यत्तज्जगदुदयरक्षाप्रलयकृत् 
त्रयीवस्तु व्यस्तं तिस्रुषु गुणभिन्नासु तनुषु।
अभव्यानामस्मिन्वरद रमणीयामरमणीं 
विहन्तुं व्याक्रोशीं विदधत इहैके जडधियः॥३॥

किमिह किंकायः सखलु किमुपायस्त्रिभुवनं 
किमधारो धाता सृजति किमुपादान इति च।
अतर्क्यैश्वर्ये त्वय्यनवसरदुःस्थो हतधियः 
कुतर्कोऽयं कांश्चित् मुखरयति मोहाय जगतः॥४॥

अजन्मानो लोकाः किमवयववन्तोऽपि जगतां 
अधिष्ठातारं किं भवविधिरनादृत्य भवति।
अनीशो वा कुर्याद् भुवनजनने कः परिकरो 
यतो मन्दास्त्वां प्रत्यमरवर संशेरत इमे॥५॥

त्रयी साङ्ख्यं योगः पशुपतिमतं वैष्णवमिति 
प्रभिन्ने प्रस्थाने परमिदमदः पथ्यमिति च।
रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिल नानापथजुषां 
नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव॥६॥

महोक्षः खट्वाङ्गं परशुरजिनं भस्म फणिनः 
कपालं चेतीयत्तव वरद तन्त्रोपकरणम्।
सुरास्तां तामृद्धिं दधति तु भवद्भ्रूप्रणिहिता 
न हि स्वात्मारामं विषयमृगतृष्णा भ्रमयति॥७॥

ध्रुवं कश्चित् सर्वं सकलमपरस्त्वध्रुवमिदं 
परो ध्रौव्याध्रौव्ये जगति गदति व्यस्तविषये।
समस्तेऽप्येतस्मिन् पुरमथन तैर्विस्मित इव 
स्तुवन् जिह्रेणत्योऽयं पृथुविशयवित्रीपयसि॥८॥

त्वमेव भक्त्या स्वांस्थामरपुरुषीकृत्य कथयन् 
रजः सत्वं ये च तम इति गुणास्तेऽपि सकलाः।
तथा सम्यक् व्यक्तं न तु परिलभन्ते पुनरसौ 
निमेषादुत्ख्य्वीदधिगतमहिमा दिव्यधिषणः॥९॥

जगद्व्यूहं धत्ते जगदुदयरक्षाप्रलयकृत् 
क्रमेणाव्याच्छन्नं सृजति तु गुणानांतिकलयम्।
यसिन्मायासङ्गं निजगुणखलीलात्मकमिदं 
तदा विश्वं नाथं यदिह न भवतां विद्मः किमतः॥१०॥

मना भ्रान्तं धर्मादिसुखकरणायात्र किल ते 
निवृत्तं निःशेषं भुवनमिदमालोक्य विवृतम्।
तथैकामिवाख्यां किल किलकितां त्वद्भ्रुव बलात् 
समध्वानां साधूं हतिमुहदहो याति विगणयम्॥११॥

असर्वज्ञः सर्वं प्रमदमदमन्तेऽपि जगतां 
भजन् वत्स्यन्नानाकृतिनिपुणं त्वां न हि परम्।
तदिद्वेषायाश्चेतो भवविनिमयाक्षेपणरसः 
स्वबुद्ध्या कस्मिन्नह कृतमयि दुर्योधन मतिः॥१२॥

अविज्ञातं कृत्स्नं हृदयमनुकम्पाकुलमिदम् 
त्वदीयं दृष्ट्वादौ कुरुपतिमुखानां परिकरम्।
तथा तीव्रासादे द्विगुणितमहोकारणमिदम् 
न जानाम्यालोच्यद्विजधरणिसद्ग्राम्यपदम्॥१३॥

इति श्री पुष्पदन्त मुनि विरचितम् स्तोत्रम्॥

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लाभ

शिव महिमा स्तोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। इसके पाठ से अनेक लाभ होते हैं।

  1. यह भक्तों में आत्मविश्वास भरता है।
  2. इसे पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है।
  3. भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  4. यह व्यक्ति को संकटों से मुक्त करता है।
  5. शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  6. जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
  7. इसे सुनने से असाध्य रोगों में राहत मिलती है।
  8. यह मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
  9. भक्तों के पाप कटते हैं।
  10. यह धन और सम्पन्नता की प्राप्ति में सहायक है।
  11. दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम बढ़ाता है।
  12. शिव महिमा का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  13. यह अनुशासन और संतोष की भावना विकसित करता है।
  14. इसे पाठने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  15. श्रद्धा भाव से पाठ करने से भक्तों का मन प्रसन्न रहता है।
  16. यह ध्यान की साधना में मदद करता है।
  17. शिव भक्तों को सद्बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं।
  18. इसे पाठ करने से तनाव कम होता है।
  19. यह मन को एकाग्र करने में सहायक है।
  20. भक्तों का जीवन सफल और खुशहाल बनाता है।

इन सभी लाभों के साथ, शिव महिमा स्तोत्र भक्तों को शिव के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को और भी गहरा करने का अवसर देता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से अनंत लाभ होते हैं।

यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। इसे पढ़ने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

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