Shurpkarna ganesha mantra for wisdom

शूर्पकर्ण गणेश मंत्र – जीवन की बाधाओं को दूर करने का अद्भुत उपाय

शूर्पकर्ण गणेश मंत्र का जप करना कार्य मे सफलता पाने के लिये शुभ माना जाता है। ये भगवान गणेश का एक विशेष रूप हैं, जिनके कान बड़े और शूर्प (सूप) के समान होते हैं। उनके इस रूप का प्रतीक अर्थ यह है कि वह सभी नकारात्मक बातों को हटाकर सकारात्मकता ग्रहण करते हैं। शूर्पकर्ण गणेश का मंत्र जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर मानसिक शांति और सफलता दिलाने में सहायक है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ ग्लौं शूर्पकर्ण गणेशाय नमः

अर्थ:

  • “ॐ” – ब्रह्मांडीय ध्वनि, जो सृष्टि की शक्ति का प्रतीक है।
  • “ग्लौं” – गणेश के विशिष्ट शक्ति का बीज मंत्र।
  • “शूर्पकर्ण” – भगवान गणेश के बड़े कानों को दर्शाता है, जो नकारात्मकता को दूर करते हैं।
  • “गणेशाय” – भगवान गणेश के प्रति संबोधन।
  • “नमः” – समर्पण और आदर का प्रतीक।

मंत्र के लाभ

  1. नकारात्मकता को दूर करता है।
  2. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  4. ज्ञान और विवेक में सुधार।
  5. समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  6. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. पारिवारिक जीवन में शांति आती है।
  9. बाधाओं को दूर करता है।
  10. आध्यात्मिक प्रगति में मदद करता है।
  11. मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है।
  12. व्यापार और नौकरी में सफलता।
  13. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  14. जीवन में संतुलन और सामंजस्य लाता है।
  15. भय और तनाव को कम करता है।
  16. रिश्तों में सुधार लाता है।
  17. अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

शूर्पकर्ण गणेश मंत्र जप विधि

जप के दिन, अवधि और मुहुर्त

  • शुभ दिन: बुधवार, चतुर्थी तिथि, या विशेष पर्व।
  • जप की अवधि: 11 से 21 दिन तक।
  • मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वोत्तम समय होता है।

मंत्र जप सामग्री

  1. शुद्ध जल और अक्षत।
  2. फूल, विशेषकर लाल या पीले।
  3. रुद्राक्ष या हल्दी की माला।
  4. घी का दीपक और धूप।
  5. भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र।
  6. शुद्ध आसन (कुश या ऊन का)।

मंत्र जप संख्या

  • प्रतिदिन 11 माला जपें।
  • एक माला में 108 मंत्र होते हैं, इस प्रकार 11 माला में कुल 1188 मंत्र होते हैं।
  • 11 से 21 दिनों तक इस संख्या का पालन करें।

शूर्पकर्ण गणेश मंत्र जप के नियम

  1. 20 वर्ष की आयु से ऊपर का व्यक्ति जप कर सकता है।
  2. स्त्री और पुरुष, दोनों जप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले वस्त्र पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. शुद्ध वातावरण में जप करें।
  7. प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
  8. पूजा के दौरान पूर्ण मनोयोग और शांति का ध्यान रखें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

  1. शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. पूजा स्थान स्वच्छ और शांतिपूर्ण होना चाहिए।
  3. जप के समय कोई भी बाहरी विघ्न न हो।
  4. नकारात्मक सोच से दूर रहें।
  5. भोजन में सात्विकता बनाए रखें।
  6. किसी भी प्रकार की अपवित्रता से बचें।
  7. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही तरीके से करें।

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शूर्पकर्ण गणेश मंत्र संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. शूर्पकर्ण गणेश कौन हैं?

शूर्पकर्ण गणेश, भगवान गणेश का रूप हैं, जिनके कान बड़े होते हैं। वे नकारात्मकता को दूर करते हैं।

2. इस मंत्र का उद्देश्य क्या है?

मंत्र का उद्देश्य जीवन की बाधाओं को दूर कर शांति, सफलता और समृद्धि प्राप्त करना है।

3. मंत्र जप का सबसे उपयुक्त समय क्या है?

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सबसे उपयुक्त समय है।

4. मंत्र जप के दौरान कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

पीले या लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। नीले और काले कपड़े न पहनें।

5. क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

हाँ, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं। कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है।

6. मंत्र जप कितने दिनों तक करना चाहिए?

मंत्र जप 11 से 21 दिनों तक किया जा सकता है, विशेष दिनों या पर्वों पर जप करें।

7. मंत्र जप के दौरान क्या आहार लें?

सात्विक भोजन करें और मांसाहार, मद्यपान से परहेज करें।

8. मंत्र जप के दौरान कौन सी सामग्री आवश्यक है?

रुद्राक्ष या हल्दी माला, शुद्ध जल, अक्षत, फूल, दीपक, और भगवान गणेश की मूर्ति का प्रयोग करें।

9. मंत्र जप के बाद ध्यान क्यों करना चाहिए?

मंत्र जप के बाद ध्यान करने से मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।

10. मंत्र जप का प्रभाव कितने दिनों में दिखाई देता है?

श्रद्धा और समर्पण से किए गए मंत्र जप का प्रभाव कुछ दिनों में महसूस होता है।

11. क्या इस मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है?

सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जप करें, परंतु अन्य समय पर भी जप किया जा सकता है।

12. क्या मंत्र जप के दौरान विशेष नियमों का पालन आवश्यक है?

हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और सात्विकता का पालन आवश्यक है।

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