स्कंदमाता चालीसा पाठ के अद्भुत लाभ: संतान सुख से लेकर समृद्धि तक
स्कंदमाता चालीसा पाठ देवी स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावी साधन है। स्कंदमाता माँ दुर्गा के पाँचवें रूप में पूजी जाती हैं, जिन्हें विशेष रूप से संतान सुख देने वाली और कल्याणकारी देवी माना जाता है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए उन्हें यह नाम मिला है। उनका आशीर्वाद भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। जो भक्त अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह चालीसा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
स्कंदमाता चालीसा
दोहा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी,
नमो नमो अम्बे दुख हरनी।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी,
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला,
नेत्र लाल भृकुटि विकराला।
रूप मातु को अधिक सुहावे,
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना,
पालन हेतु अन्न धन दीना।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला,
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी,
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावे,
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावे॥
रूप सरस्वती को तुम धारा,
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा,
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रहलाद बचायो,
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं,
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा,
दयासिन्धु दीजै मन आसा।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी,
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता,
भुवनेश्वरी बगला सुखदाता।
श्री भैरव तारा जग तारिणी,
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी,
लांगुर वीर चलत अगवानी।
कर में खप्पर खड्ग विराजे,
जाको देख काल डर भाजे॥
सोह महेश्वरी अत्यन्त सुहावे,
भवानी पूरन जग पावे।
त्रिभुवन में तू विख्यात रही,
महाकाली का रूप तुहि॥
चौपाई
स्कंद माता माँ का रूप निराला।
जीवन का हर संकट हल करने वाला।
जो भी करे भक्तिपूर्वक ध्यान।
उसे प्राप्त होय सुख अपार मान॥
जयति जयति जगत में सदा हो।
स्कंदमाता तेरा ही गुणगान॥
चालीसा पाठ का अर्थ
स्कंदमाता चालीसा का अर्थ
दोहे का अर्थ
हे माँ दुर्गा, आपको बार-बार प्रणाम है। आप सुख देने वाली और दुख हरने वाली हैं। आपकी ज्योति निराकार है, और तीनों लोकों में फैली हुई है।
आपके मस्तक पर चंद्रमा है, आपका मुख विशाल है, और आपकी आँखें लाल हैं। आपकी भृकुटि (भौंहें) विकराल हैं। आपका स्वरूप अत्यधिक सुंदर है, और आपका दर्शन करने से भक्तों को अत्यंत सुख मिलता है।
आपने इस संसार को चलाने के लिए शक्ति का रूप लिया और सभी जीवों की पालन के लिए अन्न-धन प्रदान किया। आप अन्नपूर्णा के रूप में समस्त जगत का पालन करती हैं और आदिशक्ति हैं।
प्रलय के समय आप समस्त संसार का विनाश करती हैं। आप गौरी हैं और शिव की प्रिय हैं। योगी, ऋषि, ब्रह्मा और विष्णु निरंतर आपकी स्तुति करते हैं।
चौपाई का अर्थ
आपने सरस्वती का रूप धारण कर संसार में बुद्धि का प्रकाश फैलाया। नरसिंह रूप में प्रकट होकर आपने प्रहलाद की रक्षा की और हिरण्याक्ष का संहार किया।
आप लक्ष्मी रूप में संसार की समृद्धि का कारण हैं और नारायण के साथ वास करती हैं। क्षीरसागर में आपकी करुणा का निवास है। हिंगलाज में भी आप भवानी के रूप में पूजी जाती हैं।
आप मातंगी और धूमावति के रूप में पूजी जाती हैं, और भुवनेश्वरी, बगला, और भैरव के रूप में सुख प्रदान करती हैं। छिन्नमस्ता और तारा देवी के रूप में आप भक्तों के दुख दूर करती हैं।
आपके वाहन सिंह (केहरि) पर सवारी करते हुए वीर हनुमान आपकी सेवा करते हैं। आपके हाथ में खप्पर (खून का पात्र) और खड्ग (तलवार) है, जिन्हें देखकर मृत्यु भी डर जाती है।
आप महेश्वरी और महाकाली के रूप में भी विख्यात हैं, और जगत की रक्षा करती हैं।
स्कंदमाता चालीसा पाठ के लाभ
- संतान सुख: माँ की कृपा से संतान प्राप्ति में सफलता मिलती है।
- सुख-समृद्धि: पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- बीमारियों से मुक्ति: स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है।
- सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- दुश्मनों से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
- आत्मबल में वृद्धि: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- धन प्राप्ति: आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
- सुखद दांपत्य जीवन: वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- शांति और संतोष: जीवन में शांति और संतोष की भावना आती है।
- विवाह में बाधा दूर होती है: विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
- प्रेम और मेल-मिलाप: आपसी संबंधों में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- सद्गुणों का विकास: व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
- ईश्वरीय कृपा: माँ की कृपा से हर कार्य में ईश्वरीय सहयोग मिलता है।
स्कंदमाता चालीसा पाठ विधि
दिन: स्कंदमाता चालीसा पाठ के लिए शुक्रवार और नवरात्रि के पाँचवे दिन को उत्तम माना जाता है।
अवधि: 41 दिनों तक लगातार पाठ करना अत्यधिक शुभ माना गया है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वोत्तम समय है। इस समय देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
पूजा विधि: माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पाठ शुरू करें। पहले माँ का आह्वान करें और फिर चालीसा का पाठ करें।
स्कंदमाता चालीसा पाठ नियम
- साधना को गुप्त रखें: यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि साधना को गोपनीय रखें।
- नियमितता: 41 दिन तक रोज़ पाठ करें। बीच में कोई भी दिन न छोड़े।
- स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- सात्विक भोजन: इस दौरान सात्विक भोजन करें और मांसाहार से दूर रहें।
- ध्यान और एकाग्रता: मन को शांत और एकाग्र रखते हुए पाठ करें।
- दान: चालीसा पाठ समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को दान दें।
- साधना का उद्देश्य: ध्यान रखें कि साधना का उद्देश्य माँ की कृपा प्राप्त करना हो, न कि किसी अन्य लालसा के लिए।
know more anout skandamata mantra vidhi
स्कंदमाता चालीसा पाठ सावधानियाँ
- सत्यनिष्ठ रहें: पाठ के दौरान सत्य बोलें और असत्य से बचें।
- किसी से चर्चा न करें: अपनी साधना के बारे में किसी से चर्चा न करें।
- धैर्य रखें: साधना में धैर्य रखना अत्यंत आवश्यक है।
- नकारात्मक विचार न आने दें: पाठ के समय मन में नकारात्मक विचारों को आने न दें।
- भक्ति और विश्वास बनाए रखें: पाठ के दौरान माँ के प्रति पूर्ण भक्ति और विश्वास बनाए रखें।
- परिणाम की चिंता न करें: साधना का उद्देश्य केवल माँ की भक्ति हो, परिणाम की चिंता न करें।
स्कंदमाता चालीसा पाठ: प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: स्कंदमाता कौन हैं?
उत्तर: स्कंदमाता माँ दुर्गा का पाँचवा रूप हैं, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
प्रश्न 2: स्कंदमाता चालीसा पाठ क्या है?
उत्तर: यह माँ स्कंदमाता की स्तुति और ध्यान के लिए किया जाने वाला पाठ है, जो भक्तों को अनेक लाभ प्रदान करता है।
प्रश्न 3: स्कंदमाता चालीसा पाठ क्यों करें?
उत्तर: यह पाठ जीवन में सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और मानसिक शांति लाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 4: किस दिन स्कंदमाता चालीसा पाठ करना शुभ होता है?
उत्तर: शुक्रवार और नवरात्रि के पाँचवे दिन स्कंदमाता चालीसा पाठ करना शुभ होता है।
प्रश्न 5: पाठ की अवधि कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: 41 दिनों तक निरंतर स्कंदमाता चालीसा पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
प्रश्न 6: पाठ के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: स्वच्छता, नियमितता, ध्यान और सात्विक आहार का पालन करना आवश्यक है।
प्रश्न 7: क्या स्कंदमाता चालीसा पाठ से संतान सुख प्राप्त होता है?
उत्तर: हां, स्कंदमाता चालीसा पाठ से संतान सुख प्राप्त होता है।
प्रश्न 8: पाठ करते समय किस प्रकार की पूजा विधि अपनाई जाए?
उत्तर: माँ की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर, शांत मन से ध्यान लगाकर पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 9: स्कंदमाता चालीसा पाठ के लाभ क्या हैं?
उत्तर: मानसिक शांति, सुख-समृद्धि, संतान सुख, और कार्यों में सफलता प्रमुख लाभ हैं।
प्रश्न 10: पाठ के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: साधना को गुप्त रखना, असत्य से दूर रहना, और नकारात्मक विचारों से बचना आवश्यक है।
प्रश्न 11: क्या चालीसा पाठ में कोई विशेष मंत्र भी शामिल होता है?
उत्तर: स्कंदमाता चालीसा पाठ में देवी के शक्तिशाली मंत्रों का भी समावेश होता है, जो भक्तों को शक्ति और संरक्षण प्रदान करते हैं।
प्रश्न 12: चालीसा पाठ के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पाठ समाप्त होने के बाद, देवी को भोग लगाएं और जरूरतमंदों को दान दें।