Solar Eclipse: प्राचीन संरक्षण मंत्रों का रहस्य और सक्रिय करने की विधि
Solar Eclipse Ancient Protection Mantras – सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) को भारतीय परंपरा में हमेशा से विशेष और संवेदनशील समय माना गया है। यह केवल खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर हमारे शरीर, मन और आत्मा पर पड़ता है। प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण का समय नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य शक्तियों की सक्रियता को बढ़ा देता है। इसलिए, यह वह क्षण भी है जब साधक को अपनी रक्षा, शुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेष मंत्रों का सहारा लेना चाहिए।
DivyayogAshram के अनुसार, ग्रहण के समय साधना और मंत्र जप का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। खासकर प्राचीन संरक्षण मंत्र (Ancient Protection Mantras) इस दौरान सबसे प्रभावी माने जाते हैं। यह मंत्र न केवल साधक को अदृश्य बाधाओं, नजर और दुष्प्रभाव से बचाते हैं, बल्कि आत्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और आभा को भी मजबूत करते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण के समय कौन से प्राचीन संरक्षण मंत्र सक्रिय होते हैं, उन्हें सही तरीके से कैसे जपा जाए, और उनसे हमें क्या लाभ मिलते हैं।
सूर्य ग्रहण और उसका महत्व
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ग्रहण के समय सूर्य की ऊर्जा अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाती है।
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यह समय नकारात्मक शक्तियों की सक्रियता का भी प्रतीक है।
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शास्त्रों में इसे आत्मशुद्धि और साधना का विशेष अवसर बताया गया है।
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मंत्र जप और ध्यान से साधक अपनी रक्षा कर सकता है और आत्मिक शक्ति प्राप्त कर सकता है।
प्राचीन संरक्षण मंत्र और उनका प्रभाव
1. ॐ नमः शिवाय
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यह सबसे प्राचीन और शक्तिशाली मंत्र है।
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ग्रहण के समय इसका जप साधक की रक्षा करता है और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
2. ॐ दुं दुर्गायै नमः
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देवी दुर्गा का यह बीज मंत्र सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक है।
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यह साधक को नजर दोष और अदृश्य शक्तियों से बचाता है।
3. ॐ हं हनुमते नमः
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हनुमान जी का यह मंत्र शत्रु, भय और दुष्प्रभाव से रक्षा करता है।
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ग्रहण के समय इसका जप साधक की आभा को बढ़ाता है।
4. ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥
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यह शुद्धि मंत्र है जो साधक को बाहरी और आंतरिक अपवित्रता से मुक्त करता है।
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ग्रहण में इसका जप मानसिक शुद्धि और आत्मिक संतुलन लाता है।
5. ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
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विष्णु गायत्री मंत्र जीवन की रक्षा और समृद्धि के लिए है।
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ग्रहण के समय इसका जप साधक को दिव्य आभा प्रदान करता है।
सही विधि से मंत्र जप
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ग्रहण से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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शांत और पवित्र स्थान पर आसन लगाएँ।
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दीपक जलाएँ और अपने इष्ट देव का ध्यान करें।
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चयनित संरक्षण मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
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ग्रहण समाप्ति पर पुनः स्नान करें और दान अवश्य करें।
मंत्र जप से मिलने वाले लाभ
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नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा।
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नजर दोष और दुष्प्रभाव से मुक्ति।
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मानसिक शांति और आत्मविश्वास।
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आत्मिक शक्ति और आभा का विकास।
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शत्रुओं और अदृश्य बाधाओं से सुरक्षा।
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ध्यान और साधना में गहराई।
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ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति।
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परिवार और घर की रक्षा।
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भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति।
DivyayogAshram का मार्गदर्शन
DivyayogAshram मानता है कि ग्रहण काल साधना का अद्भुत समय है। अगर साधक इस समय प्राचीन संरक्षण मंत्रों का जप करता है, तो उसे कई गुना फल प्राप्त होता है। लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मंत्र जप श्रद्धा, शुद्ध भाव और नियमों के साथ ही करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या ग्रहण के समय सभी मंत्र जप किए जा सकते हैं?
हाँ, लेकिन संरक्षण मंत्र विशेष रूप से प्रभावी माने जाते हैं।
Q2. क्या ग्रहण के समय सोना ठीक है?
नहीं, इस समय साधना और जप करना सबसे श्रेष्ठ है।
Q3. क्या गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में सावधानी रखनी चाहिए?
हाँ, उन्हें मंत्र जप और ध्यान पर केंद्रित रहना चाहिए।
Q4. क्या ग्रहण के बाद स्नान करना आवश्यक है?
हाँ, यह शुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए जरूरी है।
Q5. क्या ग्रहण के समय हवन किया जा सकता है?
हाँ, लेकिन मंत्र जप का महत्व अधिक बताया गया है।
Q6. क्या छोटे बच्चे भी मंत्र जप सकते हैं?
हाँ, सरल मंत्र जैसे ॐ नमः शिवाय उनके लिए लाभकारी है।
Q7. क्या ग्रहण के बाद दान करना जरूरी है?
हाँ, दान से साधना का फल कई गुना बढ़ता है।
इस प्रकार, सूर्य ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का दुर्लभ अवसर है। यदि आप DivyayogAshram द्वारा बताए गए इन प्राचीन संरक्षण मंत्रों का ग्रहण के समय जप करेंगे, तो नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होगी और जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार होगा।







