रविवार रात प्रत्यंगिरा देवी प्रयोग का काला रहस्य… सुरक्षा दुगुनी!
Pratyangira Devi Prayog उन दुर्लभ माध्यमों में माना जाता है, जो सुरक्षा, प्रतिरोध और आत्मबल को तीव्र रूप से सक्रिय करता है। यह प्रयोग विशेष रूप से रविवार की रात किया जाता है, क्योंकि यह समय साहस, तेज और आंतरिक स्थिरता से जुड़ा माना जाता है। DivyayogAshram के अनुसार यह देवी केवल उग्रता की प्रतीक नहीं हैं, बल्कि अनुशासन और मर्यादा के साथ की गई साधना में साधक की रक्षा को दुगुना करती हैं।
जो लोग लगातार नकारात्मक प्रभाव, भय, शत्रु दबाव या अस्थिरता महसूस करते हैं, उनके लिए यह प्रयोग भीतर छिपी सुरक्षा शक्ति को जाग्रत करता है। यह प्रक्रिया डर पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि डर को नियंत्रित करने के लिए है। सही विधि, संयम और नियम के साथ किया गया प्रयोग जीवन में स्थायी संरक्षण का अनुभव कराता है।
प्रत्यंगिरा देवी प्रयोग के प्रमुख लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा और तांत्रिक बाधा से मजबूत रक्षा बनती है।
- भय और असुरक्षा भाव में स्पष्ट कमी आती है।
- शत्रु प्रभाव और ईर्ष्या स्वतः कमजोर होती है।
- साधक के आभामंडल में स्थिरता आती है।
- घर और कार्यक्षेत्र की सुरक्षा बढ़ती है।
- मानसिक दृढ़ता और साहस में वृद्धि होती है।
- अचानक आने वाली परेशानियों से बचाव होता है।
- आत्मविश्वास स्थायी रूप से मजबूत होता है।
- निर्णय क्षमता स्पष्ट और संतुलित बनती है।
- बुरी दृष्टि और नकारात्मक सोच निष्प्रभावी होती है।
- साधक के आसपास संरक्षण की अनुभूति रहती है।
- भयावह स्वप्न और मानसिक दबाव कम होते हैं।
- कार्यों में रुकावट कम होने लगती है।
- जीवन में अनुशासन और स्थिरता आती है।
- देवी की कृपा से सुरक्षा का भाव भीतर स्थापित होता है।
विनियोग
ॐ अस्य श्रीप्रत्यंगिरा देवी मंत्रस्य।
ऋषिः भृगुः।
छन्दः अनुष्टुप्।
देवता श्रीप्रत्यंगिरा।
मम सर्वरक्षा सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।
न्यास विधि
न्यास शरीर और मन को साधना के योग्य बनाता है।
हृदय, मस्तक, नेत्र और कंठ का स्पर्श करते हुए देवी का स्मरण करें।
यह भाव रखें कि देवी की रक्षक शक्ति शरीर में स्थापित हो रही है।
न्यास शांत और स्थिर मन से करें।
दिग्बंधन
चारों दिशाओं में मानसिक रूप से देवी का कवच स्थापित करें।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में सुरक्षा ऊर्जा की कल्पना करें।
यह प्रक्रिया साधना के दौरान बाहरी विघ्नों को रोकती है।
Pratyangira Devi Prayog – कौन कर सकता है
यह प्रयोग गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोग कर सकते हैं।
स्त्री और पुरुष दोनों के लिए यह समान रूप से प्रभावी है।
जो व्यक्ति नियम और संयम का पालन कर सकता है, वही इसे करें।
अत्यधिक चंचल या भयग्रस्त व्यक्ति मार्गदर्शन के बिना न करें।
शुभ मुहूर्त
यह प्रयोग केवल रविवार की रात किया जाता है।
रात 10 बजे के बाद से आधी रात तक का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
लगातार 5 रविवार तक प्रयोग किया जाता है।
Pratyangira Devi Prayog – सिद्ध साधना सामग्री
DivyayogAshram के अनुसार निम्न सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
• प्रत्यंगिरा यंत्र
• प्रत्यंगिरा आकर्षण रोसरी
• प्रत्यंगिरा पारद गुटिका
• प्रत्यंगिरा कवच
• प्रत्यंगिरा श्रृंगार सामग्री
• रक्षा सूत्र
• 21 लाल चिरमी दाने
• सिद्ध गोमती चक्र
यह सामग्री साधना को स्थिर और सुरक्षित बनाती है।
मंत्र
ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरायै नमः॥
साधना विधि
काले या गहरे लाल आसन पर बैठें।
सामने प्रत्यंगिरा यंत्र स्थापित करें।
सरसों या घी का दीपक जलाएं।
मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला करें।
यह प्रक्रिया 5 रविवार तक निरंतर करें।
जप के समय मन केवल मंत्र और देवी पर स्थिर रखें।
अंत में देवी से पूर्ण सुरक्षा का निवेदन करें।
साधना के नियम
- साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सात्विक और सीमित भोजन करें।
- क्रोध, भय और नकारात्मक चर्चा से दूर रहें।
- साधना को बीच में न छोड़ें।
- प्रयोग की चर्चा किसी से न करें।
साधना अनुभव
मनीष पांडे, भोपाल
“लगातार डर और असुरक्षा रहती थी। प्रत्यंगिरा देवी प्रयोग के बाद मन स्थिर हुआ।”
रीना चौधरी, जोधपुर
“घर में नकारात्मक माहौल था। इस प्रयोग से वातावरण बदल गया।”
संजय मेहता, अहमदाबाद
“व्यवसाय में शत्रु बाधा थी। साधना के बाद विरोध शांत हुआ।”
- DivyayogAshram’s 100+ Ebook
- Get mantra diksha
- BOOK Kamakhya Sadhana Shivir- At DivyayogAshram
- BAGALAMUKHI EBOOK (HINDI & MARATHI)
- PITRA DOSHA NIVARAN PUJAN BOOKING
- Contact us for puja: 91 7710812329
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1: क्या यह प्रयोग सुरक्षित है
उत्तर: नियमों के पालन से यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है।
2: क्या महिलाएं यह प्रयोग कर सकती हैं
उत्तर: हां, महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।
3: परिणाम कब दिखते हैं
उत्तर: कई लोगों को पहले या दूसरे रविवार से अनुभव होता है।
4: क्या बिना सामग्री प्रयोग संभव है
उत्तर: प्रभाव के लिए सिद्ध सामग्री आवश्यक मानी जाती है।
5: क्या डर या भारीपन हो सकता है
उत्तर: हल्का मानसिक दबाव आ सकता है, जो अस्थायी होता है।
6: क्या यह प्रयोग दोहराया जा सकता है
उत्तर: हां, उचित अंतराल के बाद किया जा सकता है।
7: क्या दीक्षा आवश्यक है
उत्तर: गहरे और सुरक्षित परिणामों के लिए दीक्षा उपयोगी है।
साधना सामग्री और दीक्षा हेतु संपर्क
यदि आप प्रत्यंगिरा देवी प्रयोग की सिद्ध साधना सामग्री और दीक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो DivyayogAshram से संपर्क करें।
📞 7710812329
उचित मार्गदर्शन के साथ साधना का प्रभाव अधिक स्थिर और सुरक्षित होता है।






