होश उड़ाने वाली 3 दिन की क्रोध भैरव प्रयोग विधि
Three Day Krodh Bhairav साधना तंत्र की एक रहस्यमयी साधना है। यह साधना करने से व्यक्ति में अपार ऊर्जा, आत्मविश्वास और शत्रुनाशक शक्ति का विकास होता है। क्रोध भैरव भगवान शिव के उग्र स्वरूप माने जाते हैं। इनकी आराधना से शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और भय समाप्त होते हैं।
इस प्रयोग के दौरान साधक को विशेष नियमों का पालन करना होता है। यह एक तीव्र प्रभावी साधना है जो केवल योग्य साधकों को करनी चाहिए। इसमें ॐ भ्रं क्रोध भैरवाय भ्रं हुं फट्ट मंत्र का विशेष महत्व है।
अद्भुत लाभ
- इस साधना से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
- क्रोध भैरव की कृपा से सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाते हैं।
- यह प्रयोग साधक को बुरी शक्तियों से बचाता है।
- साधना से व्यक्ति का आत्मविश्वास अत्यधिक बढ़ जाता है।
- यह प्रयोग आर्थिक बाधाओं को दूर करने में सहायक है।
- यदि कोई व्यक्ति किसी कानूनी समस्या में फंसा हो, तो यह साधना उसे राहत देती है।
- यह साधना व्यक्ति को अपने कार्यों में शीघ्र सफलता दिलाती है।
- कार्यस्थल पर सफलता और उन्नति में यह साधना सहायक है।
- क्रोध भैरव की साधना से मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है।
- यह प्रयोग तांत्रिक बाधाओं से रक्षा करता है।
- इस साधना के प्रभाव से शरीर रोगमुक्त रहता है।
- क्रोध भैरव की उपासना से आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती है।
- इस साधना से बुरी आत्माओं और नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
- इस साधना से व्यक्ति का साहस और पराक्रम बढ़ता है।
- साधक का आध्यात्मिक विकास तीव्र गति से होता है।
आवश्यक नियम
- ब्राह्मचर्य का पालन करें।
- शुद्ध आहार ग्रहण करें।
- साधना के समय क्रोध न करें।
- गुप्त रूप से साधना करें।
- प्रयोग के दौरान किसी से अनावश्यक वार्तालाप न करें।
शुभ मुहूर्त
- अमावस्या और पूर्णिमा की रात्रि सर्वोत्तम होती है।
- मंगलवार और शनिवार को आरंभ करना अधिक प्रभावशाली होता है।
- रात्रि 10 बजे से 3 बजे के बीच का समय श्रेष्ठ है।
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साधना विधि
1. स्थान चयन
शुद्ध और शांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठें।
2. साधना सामग्री
- लाल आसन
- सरसों का तेल दीपक
- काले तिल
- काले वस्त्र
3. प्रारंभिक अनुष्ठान
स्नान कर के शुद्ध हो जाएं और गणपति पूजन करें।
4. मंत्र जप
मंत्र: ॐ भ्रं क्रोध भैरवाय भ्रं हुं फट्ट
- इसे 3 दिन मे 3100 बार जपें।
- जप के दौरान दीपक जलता रहना चाहिए।
5. हवन
- 108 आहुतियां दें।
- हवन सामग्री में काले तिल, सरसों और गुड़ डालें।
6. समापन
- भैरवजी को प्रणाम कर साधना समाप्त करें।
- अगले तीन दिनों तक इस प्रक्रिया को दोहराएं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या यह साधना कोई भी कर सकता है
यह साधना अनुभवी साधकों के लिए है। सामान्य व्यक्ति को इसे बिना मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए।
2. क्या इस साधना के दुष्प्रभाव हैं
यदि नियमों का सही पालन किया जाए तो कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।
3. क्या इस साधना के दौरान विशेष आहार लेना चाहिए
हाँ, सात्विक और हल्का भोजन ग्रहण करें।
4. यदि मंत्र का उच्चारण गलत हो जाए तो क्या होगा
यदि मंत्र गलत उच्चारित हो जाए, तो पुनः सही तरीके से करें।
5. क्या महिलाएँ यह साधना कर सकती हैं
हाँ, लेकिन उन्हें विशेष सावधानियां रखनी चाहिए।
7. इस साधना में सफलता कब मिलती है
साधना की शुद्धता और श्रद्धा पर निर्भर करता है। कुछ दिनों में प्रभाव दिखने लगता है।
8. क्या इस साधना के बाद कोई अनुष्ठान करना चाहिए
हाँ, भैरवजी को पंचमेवा और जल अर्पित करें।
इस साधना से जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आ सकते हैं। उचित मार्गदर्शन में इसे करें और क्रोध भैरव की कृपा प्राप्त करें।