त्रिशक्ति मंत्र साधना जिसमे माता की तीन शक्तियां, भुवनेश्वरी, लक्ष्मी व काली की शक्तियां समाहित होती है, ये हर तरह की निगेटिव उर्जा को नष्ट करने वाली होती है। इस प्रयोग की खास बात यह है कि इसे घर के किसी भी दरवाजे पर यह प्रयोग किया जाता है। दरवाजा चाहे पूजा घर का हो, या और किसी कमरे का हो या बाहर का दरवाजा हो। इस प्रयोग से सभी तरह की नकारात्मक उर्जा घर मे प्रवेश नही कर पाती।
त्रिशक्ती मंत्र का संपूर्ण अर्थ
मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं क्रीं नमः
अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” का अर्थ है परमात्मा का सर्वोच्च नाम, जो सभी शक्तियों का स्रोत है। “ह्रां” शक्ति बीज मंत्र है, “ह्रीं” माता भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है, “श्रीं” माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है, और “क्रीं” काली और विजय का प्रतीक है। “नमः” का अर्थ है विनम्रता से नमन करना। इस मंत्र में इन सभी देवियों की शक्तियों का आह्वान किया जाता है, जो साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुरक्षा, और समृद्धि प्रदान करती हैं।
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त्रिशक्ती मंत्र के लाभ
- घर के दरवाजे पर शक्तियों की स्थापना: मंत्र का जप करने से घर के द्वार पर शक्तियों की स्थापना होती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश रुकता है।
- नज़र बाधा से मुक्ति: यह मंत्र व्यक्ति को नज़र बाधा से बचाता है और उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का आवरण बनाता है।
- तंत्र बाधा से सुरक्षा: मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं और काले जादू से रक्षा करता है।
- शत्रु बाधा से सुरक्षा: शत्रुओं के प्रकोप और उनके द्वारा उत्पन्न बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- माता भुवनेश्वरी की कृपा: साधक को माता भुवनेश्वरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- लक्ष्मी की कृपा: माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
- काली की कृपा: माता काली की कृपा से साधक के जीवन में आने वाले सभी संकट और भय समाप्त हो जाते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र साधक की आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है, जिससे आत्मा की शुद्धि होती है।
- क्लेश मुक्ति: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है।
- मानसिक शांति: इस मंत्र का नियमित जप मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- कार्य सिद्धि: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
- धन समृद्धि: घर में आर्थिक बाधाओं का नाश होता है और धन की वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: साधक को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- वास्तु दोष निवारण: मंत्र का प्रभाव घर के वास्तु दोषों को दूर करता है।
- ग्रह बाधा से मुक्ति: यह मंत्र साधक को ग्रहों की अशुभ दृष्टि से बचाता है।
- व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार में उन्नति होती है और लाभ के अवसर बढ़ते हैं।
- नौकरी में प्रमोशन: नौकरी में पदोन्नति और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
- शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि: साधक के शरीर में ऊर्जा और जोश का संचार होता है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी सामंजस्य और प्रेम बना रहता है।
- तंत्र-मंत्र से सुरक्षा: यह मंत्र तांत्रिक प्रकोप और काले जादू से सुरक्षा प्रदान करता है।
साधना विधि
- सामग्री: केले का पत्ता, कुमकुम, चावल, दीपक, धूपबत्ती, फूल, नैवेद्य (मिठाई या फल), जल का पात्र, और घी।
- स्थान: साधना करने का स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
- सावधानी: साधना के समय मन और शरीर दोनों शुद्ध होने चाहिए।
- मंत्र जप: केले के पत्ते पर सभी सामग्री को रखकर मंत्र का ११ माला (१०८८ बार) मंत्र जप करें।
- समय: इस साधना का सबसे शुभ समय संध्याकाल का होता है।
- अवधि: यह साधना कम से कम ३ दिनों तक लगातार करनी चाहिए।
- विधिः केले के पत्ते पर थोड़ा चावल रखे, उस पर सरसो के तेल का ३ बाती वाला दीपक जलाये। अब ११ बार गुरु मंत्र (ॐ गुं गुरुभ्योः नमः) मंत्र का जप करे, फिर ११ बार (ॐ सर्व पित्राय नमः) मंत्र का जप करे, फिर ११ बार (ॐ गं गणपतये नमः) मंत्र का जप करे। अब ११ माला या १०८८ बार “ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं क्रीं नमः” का जप करे। इस तरह से ये अभ्यास ३ दिन तक करे। ३ दिन के बाद कुमकुम किसी प्लेट मे लेकर थोड़ा गीलाकर पेस्ट बना ले, और उसे हाथ की उंगली से दरवाजे पर “ह्रीं श्रीं क्रीं” लिख दे।
- भोजन: इसके बाद किसी जरूरतमंद को भरपेट भोजन या फल दान करे।
सावधानियां
- पवित्रता बनाए रखें: साधना के समय शरीर, वस्त्र और स्थान की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
- संकल्प लें: साधना के प्रारंभ में अपने उद्देश्य का संकल्प लें और साधना को पूरा करने के प्रति दृढ़ रहें।
- शुद्ध आहार: साधना के दिनों में सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करें।
- ध्यान केंद्रित रखें: मंत्र जप के समय ध्यान केंद्रित रखें और मन को भटकने न दें।
- साधना का समय निश्चित करें: साधना का समय निश्चित करें और उसे नियमित रूप से पालन करें।
सामान्य प्रश्न (FAQ)
- त्रिशक्ती मंत्र क्या है?
त्रिशक्ती मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो तीन प्रमुख देवियों – काली, भुवनेश्वरी, और लक्ष्मी की शक्तियों का आह्वान करता है। - मंत्र का अर्थ क्या है?
मंत्र का अर्थ है इन देवियों के शक्तियों को नमन करना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना। - इस मंत्र का जप कैसे करें?
केले के पत्ते पर सभी सामग्री रखकर मंत्र का ११ माला जप करें। - इस मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
प्रातःकाल या संध्याकाल का समय सबसे शुभ होता है। - कितने दिन तक इस मंत्र का जप करना चाहिए?
कम से कम ४१ दिनों तक यह साधना करनी चाहिए। - क्या इस मंत्र से आर्थिक समस्याएं दूर हो सकती हैं?
हां, इस मंत्र का जप करने से आर्थिक बाधाओं का नाश होता है। - क्या यह मंत्र तंत्र बाधा से सुरक्षा प्रदान करता है?
हां, यह मंत्र तांत्रिक बाधाओं और काले जादू से सुरक्षा करता है। - क्या इस मंत्र से शत्रुओं का प्रकोप समाप्त होता है?
हां, यह मंत्र शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। - इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
रोजाना १०८८ बार (११ माला) मंत्र जप करना चाहिए। - क्या इस मंत्र का प्रभाव घर के वास्तु दोषों पर पड़ता है?
हां, यह मंत्र घर के वास्तु दोषों को दूर करता है। - मंत्र जप के समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
मंत्र जप के समय मन को शांत और ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। - क्या यह मंत्र शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाता है?
हां, इस मंत्र का जप शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि करता है। - क्या साधना के समय शुद्ध आहार लेना आवश्यक है?
हां, साधना के समय शुद्ध और सात्विक आहार लेना चाहिए। - क्या साधना में किसी प्रकार की पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
हां, केले का पत्ता, कुमकुम, चावल, दीपक, और नैवेद्य जैसी सामग्री आवश्यक होती है। - क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?
हां, इस मंत्र का जप मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।