Buy now

spot_img
spot_img

Trivikrama Vaman Vrat – for Removing Sin

त्रिविक्रम (वामन) व्रत 2024: जाने अनजाने किये गये पाप कर्म से मुक्ति व अद्भुत लाभ

त्रिविक्रम व्रत जिसे वामन व्रत भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन देव को समर्पित है। यह व्रत धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना के लिए जाना जाता है। त्रिविक्रम (वामन) अवतार ने राजा बलि को अहंकार से मुक्त कर मोक्ष दिलाया। इस व्रत के पालन से मनुष्य पापों से मुक्त होता है और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त करता है।

त्रिविक्रम (वामन) व्रत का दिन व मुहूर्त 2024

त्रिविक्रम (वामन) व्रत 2024 में वामन द्वादशी का पर्व 15 सितंबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत और पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

मुहूर्त 2024:

  • द्वादशी तिथि प्रारंभ: 14 सितम्बर 2024 को रात्रि 08:41 बजे से
  • द्वादशी तिथि समाप्त: 15 सितम्बर 2024 को शाम 06:12 बजे तक

इस दौरान दिनभर शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा-अर्चना और व्रत करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

व्रत सामग्री का उपयोग व विधि

व्रत के दौरान प्रयोग की जाने वाली सामग्री में पंचामृत, पीले पुष्प, तुलसी, गाय का घी, कपूर, धूप, फल, मिठाई, जल, और दीपक शामिल होते हैं।

  1. सबसे पहले भगवान वामन की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  2. पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
  3. पीले पुष्प और तुलसी चढ़ाएं।
  4. गाय के घी से दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें।

मंत्र:

“ॐ त्रिविक्रमाय नमो नमः” का 108 बार जप करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें। व्रत के नियमों के अनुसार अनाज और नमक का सेवन न करें। फल, दूध, और पानी का सेवन किया जा सकता है। तामसिक और मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए।

त्रिविक्रम (वामन) व्रत के लाभ

  1. जीवन में समृद्धि आती है।
  2. पापों से मुक्ति मिलती है।
  3. मन को शांति मिलती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  6. परिवार में सुख-शांति बढ़ती है।
  7. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  8. भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
  9. धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
  10. अहंकार नष्ट होता है।
  11. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  12. संतान सुख प्राप्त होता है।
  13. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  14. मानसिक तनाव कम होता है।
  15. समाज में मान-सम्मान मिलता है।
  16. बुरे कर्मों का अंत होता है।
  17. जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

व्रत के नियम

  1. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. झूठ, चोरी या किसी भी प्रकार का गलत आचरण न करें।
  3. पूरे दिन उपवास रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  4. यदि शारीरिक कारणों से उपवास संभव न हो तो फलाहार करें।

त्रिविक्रम व्रत की संपूर्ण कथा

त्रिविक्रम (वामन) व्रत की कथा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह कथा भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन की महिमा का वर्णन करती है। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने एक छोटे ब्राह्मण के रूप में जन्म लिया। उन्होंने राजा बलि के अहंकार को समाप्त कर धर्म और सत्य की स्थापना की।

कथा के अनुसार, राजा बलि दानवीर और महान शासक थे। वे असुर कुल में जन्मे थे, लेकिन वे अपने धर्म और भक्ति के कारण पूजनीय माने जाते थे। राजा बलि ने अपनी भक्ति और शक्ति से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। देवता, विशेष रूप से इंद्र, उनकी शक्ति से चिंतित थे। इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे बलि के अत्यधिक अहंकार और अधर्म से मुक्ति दिलाएं।

भगवान विष्णु ने तब वामन अवतार धारण किया। वामन, एक छोटे ब्राह्मण के रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि, जो दानशीलता के लिए प्रसिद्ध थे, ने बिना सोचे-समझे इसे स्वीकार कर लिया। लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वामन वास्तव में भगवान विष्णु हैं।

वामन ने अपना विशाल रूप धारण किया और पहले पग में धरती और दूसरे पग में आकाश नाप लिया। जब तीसरे पग की बारी आई, तो राजा बलि ने समझ लिया कि यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं है। उन्होंने वामन से कहा कि वे अपना तीसरा पग उनके सिर पर रखें। वामन ने ऐसा ही किया और राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया। लेकिन उनकी भक्ति और दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया और हर वर्ष वामन द्वादशी के दिन उनके सम्मान में पूजा करने का आदेश दिया।

वामन अवतार का महत्व और संदेश

त्रिविक्रम (वामन) व्रत की कथा हमें यह सिखाती है कि भले ही हम कितने ही शक्तिशाली क्यों न हो जाएं, अहंकार का त्याग करना आवश्यक है। अहंकार और अधर्म से पतन निश्चित है।

व्रत का भोग

भगवान को पीले रंग का भोजन जैसे खीर, लड्डू, और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। प्रसाद को सभी के साथ बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

व्रत की शुरुआत व समाप्ति

व्रत सूर्योदय से प्रारंभ करें और भगवान वामन की पूजा करके प्रारंभिक संकल्प लें। संध्या समय पुनः आरती कर के व्रत का समापन करें।

know more about vishnu kavacham vidhi

व्रत में सावधानियाँ

  1. व्रत करते समय मन को शुद्ध रखें।
  2. अहंकार या द्वेष से बचें।
  3. व्रत के नियमों का कठोरता से पालन करें।
  4. किसी भी प्रकार का गलत आचरण न करें।

spiritual store

त्रिविक्रम (वामन) व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: त्रिविक्रम व्रत किसके लिए विशेष फलदायी है?
उत्तर: त्रिविक्रम व्रत उन लोगों के लिए विशेष फलदायी है जो धन, समृद्धि, और शांति चाहते हैं।

प्रश्न 2: व्रत के दौरान क्या खाया जा सकता है?
उत्तर: फल, दूध, और पानी का सेवन किया जा सकता है, लेकिन अनाज और नमक से परहेज करें।

प्रश्न 3: इस व्रत का आध्यात्मिक लाभ क्या है?
उत्तर: इस व्रत से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुलता है।

प्रश्न 4: त्रिविक्रम व्रत में किस मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: “ॐ त्रिविक्रमाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।

प्रश्न 5: त्रिविक्रम व्रत की पूजा सामग्री में क्या-क्या शामिल होता है?
उत्तर: पंचामृत, तुलसी, पीले पुष्प, दीपक, धूप, कपूर, और फल शामिल होते हैं।

प्रश्न 6: व्रत के समय किस दिशा में बैठना चाहिए?
उत्तर: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 7: व्रत का पालन कौन कर सकता है?
उत्तर: इस व्रत का पालन कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 8: त्रिविक्रम व्रत का दिन क्या है?
उत्तर: भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को त्रिविक्रम व्रत किया जाता है।

प्रश्न 9: व्रत के क्या नियम होते हैं?
उत्तर: इस व्रत में ब्रह्मचर्य, सत्य, और संयम का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 10: त्रिविक्रम (वामन) अवतार का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: वामन अवतार ने राजा बलि के अहंकार को समाप्त कर धर्म की स्थापना की थी।

प्रश्न 11: व्रत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: व्रत का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को अहंकार मुक्त करना और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना है।

प्रश्न 12: त्रिविक्रम व्रत से क्या समस्याएं दूर होती हैं?
उत्तर: आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह, और रोगों से मुक्ति मिलती है।

BOOK (३० APRIL 2025) MAHALAKSHMI PUJAN SHIVIR (AKSHAYA TRITIYA) AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img