भूत डामर तंत्र के अनुसार उग्र कनकावती यक्षिणी मंत्र: सुरक्षा और सफलता का अचूक रहस्य
उग्र कनकावती यक्षिनी मंत्र “भूत डामर तंत्र” के अनुसार अत्यंत प्रभावशाली और सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। इस मंत्र का उपयोग साधक को मानसिक, शारीरिक और भौतिक सुरक्षा के साथ अद्भुत लाभ प्रदान करता है। इसे विधिपूर्वक साधना से जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और सफलता प्राप्त होती है।
विनियोग मंत्र और उसका अर्थ
विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री कनकावती यक्षिणी मंत्रस्य, भैरव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, कनकावती यक्षिणी देवता, स्वाहा बीजं, ह्रीं शक्तिः, ॐ कीलकं, मन्त्रार्थे जपे विनियोगः।”
अर्थ:
इस मंत्र में ऋषि भैरव, छंद अनुष्टुप और देवता कनकावती यक्षिणी का आह्वान किया गया है। बीज मंत्र “स्वाहा” साधना को पूर्णता प्रदान करता है।
दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ
दिग्बंधन मंत्र साधक को नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है।
मंत्र:
- “ॐ ह्रीं दिशाबंधनाय नमः।
- ॐ क्लीं दिशापालाय स्वाहा।
- ॐ श्रीं रक्षायै नमः।
- ॐ फट् दिशारक्षिण्यै स्वाहा।”
अर्थ:
यह मंत्र साधक के चारों ओर एक सुरक्षा कवच तैयार करता है, जिससे कोई भी बाधा उसे प्रभावित नहीं कर सकती।
१७ अक्षर का मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ
मंत्र:
“ॐ ह्रीं रक्तवर्णिनी आगच्छ कनकावती स्वाहा।”
अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” से ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान होता है। “ह्रीं” से शक्ति जागृत होती है। “रक्तवर्णिनी” शब्द यक्षिणी की रूप, रंग और सौम्यता को व्यक्त करता है। “आगच्छ” यक्षिणी को बुलाने का आदेश है, और “स्वाहा” साधना को समर्पण का प्रतीक है।
जप के समय सेवन योग्य चीजें
- फलों का सेवन करें।
- मीठा भोजन करें।
- शुद्ध दूध और शहद ग्रहण करें।
- पवित्र जल का उपयोग करें।
- हल्का और सात्विक भोजन करें।
उग्र कनकावती यक्षिनी मंत्र के लाभ
सुरक्षा संबंधी लाभ
- जीवन की नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।
- आत्मिक सुरक्षा और शांति।
- परिवार की सुरक्षा।
- अदृश्य खतरों से सुरक्षा।
भौतिक सुख-सुविधाएं
- धन-संपत्ति में वृद्धि।
- नौकरी में सफलता।
- व्यापार में उन्नति।
- समाज में मान-सम्मान।
मानसिक शांति
- तनाव का निवारण।
- मनोबल में वृद्धि।
- आत्मविश्वास की प्राप्ति।
- विचारों में स्पष्टता।
विशेष आध्यात्मिक लाभ
- मंत्र सिद्धि प्राप्ति।
- कठिन कार्यों में सफलता।
- आध्यात्मिक शक्ति का विकास।
- यक्षिणी का आशीर्वाद।
अन्य लाभ
- बाधा निवारण।
- जीवन में सकारात्मकता।
पूजा सामग्री और मंत्र विधि
- सामग्री: सिंदूर, दीपक, फूल, अगरबत्ती।
- विधि:
- साधक सिंदूर को अपने सामने रखें।
- दीपक प्रज्वलित कर मंत्र जप शुरू करें।
- जप के बाद सिंदूर से तिलक लगाएं।
दिन, अवधि, और मुहूर्त
- दिन: शुक्रवार।
- अवधि: लगातार 13 दिन।
- मुहूर्त: रात्रि 10 से 12 बजे।
नियमावली
- उम्र: 20 वर्ष से ऊपर।
- लिंग: स्त्री-पुरुष दोनों।
- वस्त्र: सफेद या पीले रंग के।
- निषेध:
- धूम्रपान व मद्यपान।
- मांसाहार।
- कामुक विचार।
- अनिवार्यता:
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- शुद्ध और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
मंत्र जप की सावधानियां
- अन्यत्र ध्यान न भटकाएं।
- किसी को मंत्र प्रक्रिया न बताएं।
- अशुद्ध स्थान पर जप न करें।
- जप के बाद तुरंत भोजन न करें।
- नकारात्मक विचारों से बचें।
पृश्नोत्तर: उग्र कनकावती यक्षिनी मंत्र
पृश्न 1: क्या यह मंत्र हर कोई कर सकता है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से ऊपर का कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
पृश्न 2: क्या यह मंत्र तुरंत प्रभाव दिखाता है?
उत्तर: यह व्यक्ति की श्रद्धा और नियमपालन पर निर्भर करता है।
पृश्न 3: क्या मंत्र जप में कोई अन्य देवता की पूजा करनी होती है?
उत्तर: नहीं, केवल यक्षिणी का ही ध्यान करना आवश्यक है।
पृश्न 4: मंत्र जप में कौन-सा सिंदूर उपयोग करें?
उत्तर: कुमकुम या चटक लाल सिंदूर।
पृश्न 5: क्या मंत्र जप में तांत्रिक विधियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं, यह साधना सामान्य श्रद्धा और नियम से की जा सकती है।
पृश्न 6: क्या मंत्र जप के बाद तिलक आवश्यक है?
उत्तर: हां, तिलक से कार्य सिद्धि शीघ्र होती है।
पृश्न 7: क्या साधक अकेले जप कर सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन स्थान पवित्र और सुरक्षित हो।
पृश्न 8: क्या जप के दौरान वस्त्र का रंग महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हां, सफेद या पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
पृश्न 9: क्या रात्रि में ही जप करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, रात्रि का समय अधिक प्रभावशाली होता है।
पृश्न 10: क्या स्त्रियां इस मंत्र को जप सकती हैं?
उत्तर: हां, पूर्ण नियमों का पालन आवश्यक है।
पृश्न 11: क्या मंत्र साधना असफल हो सकती है?
उत्तर: यदि नियमों का पालन न किया जाए तो असफलता संभव है।
पृश्न 12: क्या मंत्र जप से जीवन में स्थायी सुख मिलता है?
उत्तर: हां, यह साधना स्थायी सुख और शांति प्रदान करती है।