स्वर्णा भैरवी: दिव्य आशीर्वाद के लिए भिन्न स्वरूप
Swarna Bhairavi Secrets – देवी स्वर्णा भैरवी तंत्र जगत की एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली शक्ति मानी जाती हैं। उनका स्वरूप साधक को धन, सफलता, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करता है। स्वर्णा भैरवी को “मां की उस दिव्य शक्ति” के रूप में जाना जाता है जो साधक को जीवन के हर क्षेत्र में आशीर्वाद देती हैं।
DivyayogAshram के अनुसार, यदि कोई साधक सही विधि, नियम और मंत्रों से इनकी साधना करता है, तो उसके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ भौतिक सुख भी स्थिर होते हैं।
स्वर्णा भैरवी के स्वरूप
देवी के विभिन्न स्वरूप साधकों को अलग-अलग शक्तियों और आशीर्वाद से संपन्न करते हैं:
- धन प्रदायिनी स्वरूप – साधक को धन और भौतिक सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
- रक्षा स्वरूप – नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- ज्ञान स्वरूप – साधक की बुद्धि और आध्यात्मिक चेतना का विस्तार करती हैं।
- आरोग्य स्वरूप – रोग, भय और मानसिक तनाव को दूर करती हैं।
- सिद्धि स्वरूप – साधक की साधना और तंत्र प्रयोगों को सफल बनाती हैं।
स्वर्णा भैरवी मंत्र और विधि
मुख्य मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं भ्रं स्वर्ण भैरव्या नमः॥
विधि (Vidhi)
- साधक को शुक्रवार या अमावस्या की रात को यह साधना शुरू करनी चाहिए।
- शुद्ध स्नान के बाद पीले या लाल वस्त्र धारण करें।
- ऊन के आसन पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- सामने तांबे की थाली में हल्दी, चावल, पीला पुष्प और दीपक रखें।
- स्वर्णा भैरवी की तस्वीर या यंत्र के सामने बैठकर 11, 21 या 51 माला जप करें।
- जप के समय धूप-दीप अवश्य जलाएं।
- साधना पूर्ण होने पर देवी को पीले वस्त्र, पुष्प, मिठाई और स्वर्णाभूषण (यदि संभव हो तो प्रतीकात्मक) अर्पित करें।
स्वर्णा भैरवी साधना के लाभ
- धन और समृद्धि की प्राप्ति।
- व्यापार और नौकरी में सफलता।
- परिवार में सुख और सौहार्द की वृद्धि।
- शत्रुओं से रक्षा।
- नकारात्मक ऊर्जा और तंत्र बाधा से मुक्ति।
- स्थिर आय के स्रोत बनना।
- मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि।
- घर में लक्ष्मी का स्थायी वास।
- साधक की आभा और आकर्षण में वृद्धि।
- विवाह और संतान संबंधी समस्याओं का समाधान।
- आत्मविश्वास और निर्णय शक्ति का विकास।
- आध्यात्मिक शक्ति का विस्तार।
- आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति।
- कठिन परिस्थितियों में दिव्य सुरक्षा।
- सभी प्रयासों में सफलता।
नियम (Niyam)
- साधना काल में पूर्ण शुद्धाचार और सात्विक आहार का पालन करें।
- नकारात्मक विचार, झूठ, क्रोध और असत्य से दूर रहें।
- नियमित समय पर साधना करें।
- बिना गुरु की अनुमति तंत्र प्रयोग न करें।
- साधना स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें।
कौन कर सकता है स्वर्णा भैरवी साधना?
- गृहस्थ लोग जो परिवार और व्यापार में सुख-समृद्धि चाहते हैं।
- साधक जो शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा चाहते हैं।
- विद्यार्थी जो ज्ञान और एकाग्रता की शक्ति चाहते हैं।
- आध्यात्मिक साधक जो सिद्धि और आत्मिक बल की वृद्धि करना चाहते हैं।
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सामान्य प्रश्न
Q1. क्या स्वर्णा भैरवी साधना घर पर की जा सकती है?
हाँ, यदि विधि और नियम का पालन किया जाए तो इसे घर पर भी किया जा सकता है।
Q2. साधना का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
अमावस्या या शुक्रवार की मध्य रात्रि को यह साधना अत्यंत प्रभावी होती है।
Q3. क्या बिना गुरु के यह साधना संभव है?
मूल मंत्रजाप और सामान्य पूजन संभव है, परंतु गहन साधना और तंत्र प्रयोग गुरु के मार्गदर्शन में ही करें।
Q4. कितने दिनों तक यह साधना करनी चाहिए?
साधक अपनी आवश्यकता और सामर्थ्य अनुसार 11, 21 या 41 दिन तक साधना कर सकता है।
Q5. क्या महिलाओं को भी यह साधना करनी चाहिए?
हाँ, महिलाएं भी पूरी श्रद्धा और शुद्धाचार से यह साधना कर सकती हैं।
Q6. क्या स्वर्णाभूषण अनिवार्य है अर्पण करने के लिए?
नहीं, प्रतीकात्मक रूप में पीला फूल, हल्दी या कोई पीली वस्तु भी अर्पित की जा सकती है।
Q7. क्या यह साधना शत्रु बाधा से भी रक्षा करती है?
हाँ, स्वर्णा भैरवी का रक्षा स्वरूप साधक को हर प्रकार की बाधा से सुरक्षित रखता है।
अंत मे
स्वर्णा भैरवी साधना साधक के जीवन को हर दृष्टि से संतुलित और समृद्ध बनाती है। यह साधना न केवल धन और भौतिक सुख देती है बल्कि आत्मिक बल और सुरक्षा भी प्रदान करती है। DivyayogAshram का मानना है कि सही नियम और श्रद्धा से की गई स्वर्णा भैरवी साधना साधक को जीवन भर दिव्य आशीर्वाद और सफलता देती है।







