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Unlocking Prosperity with Siddha Banyan Root

सिद्ध वट वृक्ष की जड़ का रहस्य और समृद्धि से जुड़ाव

Siddha Banyan Root भारत की आध्यात्मिक परंपरा में वट वृक्ष को अमरत्व और शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसे त्रिमूर्ति का वास भी कहा जाता है। इसकी छाया में साधना करने से व्यक्ति को दीर्घायु और स्थिरता प्राप्त होती है। लेकिन केवल वृक्ष ही नहीं, उसकी सिद्ध जड़ भी अपार आध्यात्मिक ऊर्जा रखती है। यह मानी जाती है कि वट की जड़ व्यक्ति के जीवन में अचल समृद्धि और धन प्रवाह का माध्यम बन सकती है। जब साधक दिव्य भाव और मंत्रों के साथ वट की जड़ को पूजता है, तो वह एक शक्तिशाली ऊर्जा बिंदु में बदल जाती है।

DivyayogAshram के अनुभव बताते हैं कि वट की जड़ को शुद्ध करके, विशेष समय पर साधना करने से आर्थिक अवरोध समाप्त होते हैं। साथ ही घर-परिवार में स्थिरता आती है। इसकी ऊर्जा से जीवन में अनचाही बाधाएँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। लोग बताते हैं कि जब उन्होंने इस सिद्ध माध्यम को अपनाया, तो उनके व्यापार में प्रगति और पारिवारिक समृद्धि का मार्ग खुला। वट वृक्ष की जड़ केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एक जीवित ऊर्जा का केंद्र है, जो साधक के इरादे को मजबूत करता है और आर्थिक सफलता की ओर प्रेरित करता है।


सिद्ध वट जड़ साधना की प्रक्रिया और नियम

सिद्ध वट जड़ साधना का महत्व तभी है जब इसे सही प्रक्रिया से किया जाए। सबसे पहले साधक को शुद्ध मन और स्वच्छ स्थान चुनना चाहिए। वट वृक्ष से निकली छोटी जड़ को गुरुमंत्र या विशेष वैदिक मंत्रों से अभिषिक्त किया जाता है। साधक को इसे लाल या पीले कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान पर स्थापित करना होता है।

DivyayogAshram के अनुसार साधना काल सामान्यतः शुक्रवार या पूर्णिमा की रात सबसे उपयुक्त मानी जाती है। साधक को दीपक, धूप और पुष्प अर्पित करके ‘ॐ नमो वटवृक्षाय समृद्धि प्रदाय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम 108 बार मंत्रोच्चार करने से ऊर्जा सक्रिय होती है। इस साधना के दौरान नियम है कि साधक सात्विक आहार ले और नकारात्मक विचारों से दूर रहे। सात दिनों के भीतर ही साधक को मानसिक शांति और आर्थिक अवरोधों में कमी का अनुभव होता है। वट जड़ साधना में धैर्य और विश्वास अत्यंत आवश्यक है। यह कोई त्वरित जादू नहीं, बल्कि ऊर्जा का धीरे-धीरे प्रकट होने वाला चमत्कार है।


वट जड़ से प्राप्त लाभ और दिव्य परिणाम

वट जड़ साधना से साधक को अनेक स्तरों पर लाभ प्राप्त होते हैं। सबसे पहला लाभ है स्थिर धन प्रवाह। जो लोग लगातार आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हैं, उन्हें यह साधना विशेष फल देती है। दूसरा लाभ है परिवारिक सौहार्द। जब घर में ऊर्जा संतुलित होती है, तो आपसी विवाद भी कम होते हैं।

DivyayogAshram के कई साधकों ने अनुभव साझा किया कि इस साधना के बाद व्यापार में नई संभावनाएँ खुलीं। वट जड़ की ऊर्जा साधक के आत्मविश्वास को बढ़ाती है और उसे निर्णय लेने की शक्ति देती है। तीसरा लाभ है ऋण-मुक्ति। जिन पर कर्ज का बोझ है, उन्हें धीरे-धीरे राहत मिलती है। साथ ही यह साधना नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से रक्षा करती है। इसे घर में रखने से वातावरण में सकारात्मकता फैलती है। कहा जाता है कि जब साधक सच्चे मन से वट जड़ की साधना करता है, तो देवी लक्ष्मी की कृपा स्वतः प्राप्त होती है। साधना के दौरान उत्पन्न ऊर्जा साधक को मानसिक शांति भी देती है। यह केवल धन की वृद्धि का मार्ग नहीं, बल्कि आंतरिक संतुलन और आध्यात्मिक उत्थान का भी साधन है।

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DivyayogAshram में वट जड़ साधना का अनुभव और मार्गदर्शन

हमारे आश्रम में वट जड़ साधना का अभ्यास अनेक साधकों ने किया है। यहाँ गुरुजन साधकों को सही विधि, मंत्र और समय बताते हैं। साधकों ने अनुभव साझा किया कि यह साधना केवल बाहरी समृद्धि ही नहीं देती, बल्कि भीतर से आत्मविश्वास और धैर्य भी जगाती है। कुछ साधकों ने बताया कि साधना शुरू करने के कुछ ही दिनों में व्यापार में अप्रत्याशित लाभ हुआ। कई परिवारों ने अनुभव किया कि घर में कलह कम हुई और सुख-शांति बढ़ी।

DivyayogAshram यह भी बताता है कि वट जड़ साधना करने से पहले साधक को गुरु से आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यहाँ साधना का वातावरण पूर्णत: सात्विक और ऊर्जावान बनाया जाता है। दीप, मंत्र और भक्ति के साथ साधक जब वट जड़ को सक्रिय करता है, तो वह स्वयं शक्ति स्रोत बन जाता है। गुरुजन बताते हैं कि यह साधना केवल धन की चाह रखने के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन और जीवन की पूर्णता पाने के लिए करनी चाहिए। जब साधक इसे अपनाता है, तो उसे भीतर और बाहर दोनों स्तर पर समृद्धि मिलती है। यही इस साधना का वास्तविक रहस्य और सौंदर्य है।

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