शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

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विकृताक्ष भैरव / Vikritaksh bhairav Mantra

विकृताक्ष भैरव मंत्र – आत्मविश्वास, साहस और शत्रु मुक्ति

विकृताक्ष भैरव भगवान शिव के भैरव रूपों में से एक हैं, जिन्हें उग्र और शक्तिशाली रूप में पूजा जाता है। विकृताक्ष भैरव मंत्र के जाप से साधक को भय, नकारात्मक शक्तियों और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी है जो जीवन में निरंतर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और समस्याओं से घिरे हुए हैं। भैरव साधना से जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा की अनुभूति होती है।

विकृताक्ष भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं विकृताक्षाय हुं हुं नमः

मंत्र का अर्थ:

  • “ॐ” – ब्रह्मांड की आद्य ध्वनि, सर्वशक्तिमान का प्रतीक।
  • “भ्रं” – भैरव को समर्पित बीज मंत्र, जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
  • “विकृताक्षाय” – भैरव के उग्र और विकराल रूप का आह्वान।
  • “हुं हुं” – शक्ति और सुरक्षा का द्योतक।
  • “नमः” – समर्पण और आभार।

यह मंत्र व्यक्ति के भीतर की शक्ति को जाग्रत करता है और हर प्रकार की बाधा, दुश्मनी और भय से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

विकृताक्ष भैरव मंत्र के लाभ

  1. सभी प्रकार के भय से मुक्ति।
  2. नकारात्मक शक्तियों का नाश।
  3. शत्रुओं से सुरक्षा।
  4. मानसिक और भावनात्मक स्थिरता।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  6. जीवन में साहस और धैर्य की प्राप्ति।
  7. कष्टों और बाधाओं का समाधान।
  8. धन और समृद्धि की प्राप्ति।
  9. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  10. आध्यात्मिक उन्नति।
  11. घर और परिवार की सुरक्षा।
  12. बुरी नजर से बचाव।
  13. मन की शांति और मानसिक स्पष्टता।
  14. कठिन परिस्थितियों से निकलने की शक्ति।
  15. नई ऊर्जा और उत्साह की प्राप्ति।
  16. आंतरिक और बाहरी शांति।
  17. जीवन में शांति और समृद्धि का अनुभव।

विकृताक्ष भैरव मंत्र विधि

दिन और मुहूर्त:

  • शुभ दिन: शनिवार और मंगलवार विशेष रूप से इस साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे तक) या रात्रि में भैरव काल (रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक) का समय सर्वश्रेष्ठ होता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिन तक किया जा सकता है, दैनिक जाप का पालन अनिवार्य है।

मंत्र जाप की संख्या:

  • प्रतिदिन 11 माला (108×11=1188 मंत्र) का जाप करें।

आवश्यक सामग्री:

  1. कुश या ऊन का शुद्ध आसन।
  2. सरसों के तेल का दीपक।
  3. सुगंधित धूप और कपूर।
  4. भैरव की मूर्ति या तस्वीर।
  5. रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला।

विकृताक्ष भैरव मंत्र जाप के नियम

  1. मंत्र जप के दौरान साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों यह साधना कर सकते हैं।
  3. काले और नीले कपड़ों का प्रयोग न करें, सफेद या लाल वस्त्र पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन जियें।

जप के दौरान सावधानियां

  • मंत्र जाप के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  • साधना के समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या क्रोध से बचें।
  • साधना के स्थान को पवित्र और स्वच्छ रखें।
  • एक ही स्थान पर नियमित रूप से जाप करें और साधना पूरी होने तक उस स्थान को न बदलें।

विकृताक्ष भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

1. विकृताक्ष भैरव मंत्र का क्या उद्देश्य है?

उत्तर: विकृताक्ष भैरव मंत्र का उद्देश्य साधक को नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करना और जीवन में साहस व आत्मविश्वास बढ़ाना है।

2. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3. क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन करना चाहिए?

उत्तर: हां, शनिवार और मंगलवार को इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के समय लाल या सफेद वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले वस्त्रों से बचना चाहिए।

5. मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?

उत्तर: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। मांसाहार, मद्यपान और धूम्रपान से बचना चाहिए।

6. क्या इस मंत्र का जाप घर पर किया जा सकता है?

उत्तर: हां, विकृताक्ष भैरव मंत्र का जाप घर पर एक शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

7. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिन तक हो सकती है, जिसमें प्रतिदिन 11 माला का जाप आवश्यक होता है।

8. क्या मंत्र जाप के समय किसी विशेष माला का प्रयोग करना चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला का प्रयोग किया जा सकता है।

9. क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य होता है।

10. क्या इस मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है?

उत्तर: हां, विकृताक्ष भैरव मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है और शत्रु नाश होता है।

11. क्या साधना के दौरान विशेष स्थान पर बैठकर जाप करना आवश्यक है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान एक ही स्थान पर नियमित रूप से जाप करना चाहिए।

12. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद भैरव भगवान का ध्यान करें और उन्हें धन्यवाद दें।

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