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What is Hadi Vidya?

हादी विद्या मंत्र: देवी त्रिपुरा सुंदरी की कृपा पाने का गूढ़ मार्ग

हादी विद्या श्रीविद्या परंपरा की एक अन्य महत्वपूर्ण शाखा है, जो देवी त्रिपुरा सुंदरी की साधना का एक गूढ़ और विशेष मार्ग है। श्रीविद्या में दो प्रमुख साधना पथ होते हैं: कादी विद्या और हादी विद्या। इनमें “हादी” शब्द का अर्थ “ह” से है, जो देवी का बीजाक्षर माना जाता है। हादी विद्या में साधक का उद्देश्य देवी त्रिपुरा सुंदरी के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध को विकसित करना और उनके दिव्य रूप का साक्षात्कार करना है।

अर्थ और महत्व

हादी विद्या, अपने गूढ़ मंत्रों और साधना पद्धति के कारण, केवल विशेष रूप से प्रशिक्षित साधकों के लिए होती है। इस विद्या में साधक मूलाधार से लेकर सहस्रार चक्र तक दिव्य ऊर्जा के प्रवाह का अनुभव करता है। इसे एक अत्यंत शक्तिशाली साधना माना जाता है, जो साधक को उच्चतम आध्यात्मिक उपलब्धि, शक्ति, और देवी की कृपा का अनुभव कराती है।

साधना प्रक्रिया

हादी विद्या में “ह” से शुरू होने वाले बीज मंत्रों का उपयोग किया जाता है। ये मंत्र देवी के विभिन्न रूपों और शक्तियों का आह्वान करते हैं और साधक के भीतर ऊर्जा का प्रवाह शुरू करते हैं। इस विद्या में गुरु का मार्गदर्शन अति आवश्यक होता है, क्योंकि इस साधना के दौरान उत्पन्न शक्तियों को संभालना और नियंत्रित करना गुरु के निर्देशन से ही संभव होता है।

हादी विद्या का साधना मंत्र

“ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं”

इस मंत्र में हादी विद्या की विशेष शक्तियों और देवी के दिव्य स्वरूप का आह्वान किया गया है। हर बीजाक्षर का साधक के मन, शरीर, और चेतना पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

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साधना का उदाहरण

  1. स्थान चयन: पवित्र और शांत जगह चुनें, जहां साधना बिना किसी बाधा के हो सके।
  2. शुद्धि: ध्यान और प्राणायाम से शरीर और मन को स्थिर और शुद्ध करें।
  3. मंत्र उच्चारण: हादी मंत्र 108 बार या नियत संख्या में शांतिपूर्वक और गहराई से जपें।
  4. ध्यान: मंत्र जप के बाद देवी त्रिपुरा सुंदरी के दिव्य स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. आभार: साधना पूरी होने पर देवी को धन्यवाद दें और उनकी कृपा के लिए आभार व्यक्त करें।

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हादी विद्या के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: साधक का चेतन स्तर ऊँचा होता है और उसे आत्मज्ञान का अनुभव होता है।
  2. दिव्य अनुभूति: साधक को देवी त्रिपुरा सुंदरी के साथ एक गहरा संबंध महसूस होता है।
  3. शांति और संतुलन: मन और आत्मा में शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
  4. सिद्धियाँ: साधना से साधक को विभिन्न प्रकार की सिद्धियाँ और शक्तियाँ प्राप्त हो सकती हैं।

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अंत मे

हादी विद्या एक गहन साधना है, जो साधक को देवी त्रिपुरा सुंदरी से जोड़ती है।
यह साधना साधक को उच्च आध्यात्मिक अनुभवों तक पहुंचाती है।
यह पद्धति उन साधकों के लिए है, जो परम सत्य की खोज में समर्पित हैं।
साधना का उद्देश्य दिव्य शक्ति और अंतिम सत्य की प्राप्ति है।

BOOK (३० APRIL 2025) MAHALAKSHMI PUJAN SHIVIR (AKSHAYA TRITIYA) AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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